Mahasamund Lok Sabha elections 2024: महासमुंद लोकसभा चुनाव 2024: महासमुंद लोकसभा क्षेत्र, इतिहास, प्रत्‍याशी, चुनाव परिणाम

Mahasamund Lok Sabha elections 2024: छत्‍तीसगढ़ का महासमुंद लोकसभा सीट की सीमाएं पड़ोसी राज्‍य ओडिशा से लगती हैं। इस क्षेत्र की बड़ी आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। महासमुंद और धमतरी क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर खेती होती है। महासमुंद पहले रायपुर जिला का हिस्‍सा था। 1998 में यह अलग जिला बना। इसे दक्षिण कोशल की राजधानी भी कहा जाता है। सिरपुर भी इसी जिला में शामिल है।

Update: 2024-04-04 08:49 GMT

Mahasamund Lok Sabha elections 2024: एनपीजी न्‍यूज डेस्‍क

महासमुंद लोकसभा सीट छत्‍तीसगढ़ की उन सीटों में शामिल है जो 1951 में अस्तित्‍व में आई। यशोदास डागा यहां के पहले सांसद चुने गए। यह सीट लंबे समय तक शुक्‍ल परिवार का गढ़ बना रहा। पहले विद्याचरण शुक्‍ल फिर उनके बड़े भाई श्‍याम चरण शुक्‍ल इस सीट का प्रतिनिधित्‍व कर चुके हैं। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य निर्माण के बाद 2004 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने इस सीट से राज्‍य के पहले मुख्‍यमंत्री रहे अजीत जोगी को अपना प्रत्‍याशी बनाया था। इसी चुनाव के दौरान जोगी के साथ वह बड़ा हादसा हुआ जिसकी वजह से वे जीवन में कभी अपने पैरों पर खड़े नहीं हो पाए।

छत्‍तीसगढ़ का प्रयाग कहा जाने वाली राजिम इसी संसदीय क्षेत्र का हिस्‍सा है। महासमुंद सामान्‍य सीट है। इस संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की कुल आठ सीटें शामिल हैं। सराईपाली (एससी) और बिन्द्रानवागढ (एसटी) आरक्षित सीट है। बाकी बसना, खल्लारी, महासमुंद, राजिम, कुरूद और धमतरी सामान्‍य सीटें हैं।

महासमुंद संसदीय क्षेत्र का मैप

महासमुंद संसदीय क्षेत्र में वोटर (2024) 

कुल वोटर

1753230

पुरुष वोटर 

863145

महिला वोटर 

890052

तृतीय लिंग 

33

 महासमुंद संसदीय क्षेत्र के अब तक के सांसद 

वर्षसांसदपार्टी

1952 

श्योदास डागा 

कांग्रेस

1962

 विद्या चरण शुक्ला 

कांग्रेस

1967 

वी. शुक्ला 

कांग्रेस

1971

 कृष्णा अग्रवाल 

कांग्रेस

1977

 बृजलाल वर्मा 

बीएलडी

1980 

विद्या चरण शुक्ला

 कांग्रेस (आई)

1984

 विद्याचरण शुक्ल

 कांग्रेस

1989

 विद्याचरण शुक्ल 

कांग्रेस

1991

 पवन दीवान

 कांग्रेस

1996 

पवन दीवान 

कांग्रेस

1998

 चन्द्रशेखर साहू (चंपू) 

भाजपा

1999 

श्यामा चरण शुक्ला 

कांग्रेस

2004 

अजीत जोगी 

कांग्रेस

2009

 चंदूलाल साहू (चंदू भैया) 

भाजपा

2014

 चंदू लाल साहू 

भाजपा

2019 

चुन्नी लाल साहू 

भाजपा


Live Updates
2024-04-04 09:08 GMT

कबीर पंथ के संत देवकर साहेब भी बीजेपी में शामिल

महासमुंद। कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद अनिता रावटे ने बीजेपी ज्वाइन कर लिया है। आज महासमुंद में नामांकन से पहले मुख्यमंत्री के समक्ष भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेसियों की होड़ दिखी। महासमुंद जिला पंचायत की अध्यक्ष रही उषा पटेल, पूर्व में महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष और महासमुंद नगर पालिका की अध्यक्ष रही अनिता रावटे, महासमुंद नगर पालिका के उपाध्यक्ष रहे हरबंश सिंह ढिल्लों, पिथौरा नगर पंचायत के 4 बार के अध्यक्ष रहे देव सिंह निषाद, महिला नागरिक बैंक की अध्यक्ष रही अरुणा शुक्ला, जनपद पंचायत महासमुंद के पूर्व उपाध्यक्ष नरेंद पटेल का नाम शामिल होने वालों में प्रमुख रहा।

2024-04-04 09:07 GMT

3 कलेक्टर, 1चुनावः छत्तीसगढ़ में बना राष्ट्रीय कीर्तिमान...जब एक चुनाव कराने 3 कलेक्टर हुए अपाइंट

रायपुर। बात जरा पुरानी है...मगर उतना भी नहीं। राज्य बनने के बाद पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ था। तीन साल राज करने के बाद सत्ता गंवाने वाले अजीत जोगी महासमुंद संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल चुनाव लड़ रहे थे। तब विद्या भैया का हाल ही में भाजपा प्रवेश हुआ था। चूकि उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वजह से कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा था और बीजेपी को आश्चर्यजनक तौर पर सत्ता मिल गई थी।

2024-04-04 09:05 GMT

अटल जी के इस एक वादे का पार्टी को आज तक मिल रहा है फायदा

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ अलग राज्‍य बने अभी 24 वर्ष हुए हैं, लेकिन इसका चुनावी इतिहास काफी पुराना है। अविभाजित मध्‍य प्रदेश के दौर में इसे कांग्रेस का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था। इस क्षेत्र ने अविभाजित मध्‍य प्रदेश को 3-3 मुख्‍यमंत्री दिए। इनमें पं. रविशंकर शुक्‍ल मध्‍य प्रदेश के पहले मुख्‍यमंत्री थे। पं. शुक्‍ल के पुत्र श्‍यामाचरण शुक्‍ल और फिर मोती लाल वोरा भी मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रह चुके हैं। पं. शुक्‍ल के पुत्र विद्याचरण शुक्‍ल यानी वीसी शुक्‍ला की केंद्रीय राजनीति में अलग धाक थी। वीसी इंदिरा और संजय गांधी के करीबियों में शामिल थे।

2024-04-04 09:05 GMT

देखें कैसे-छत्‍तीसगढ़ में 4 महीने में ही बदल जाता है पूरा चुनावी समीकरण

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा की 90 और लोकसभा की 11 सीटें हैं। दोनों चुनावों के बीच केवल 4 महीने का अंतर होता है। विधानसभा का चुनाव नवंबर- दिसंबर में होता है तो लोकसभा चुनाव के लिए मतदान अप्रैल- मई में। लेकिन इन 4 महीने में भी प्रदेश का पूरा सियासी और सीटों का समीकरण बदल जाता है। विधानसभा चुनाव के दौरान कुछ सीटों पर तीसरी पार्टियां मुकाबले को त्रिकोणी बनाने में सफल रहती हैं, लेकिन लोकसभा के चुनाव में तीसरी पार्टियां कोई विशेष असर नहीं दिख पाती हैं। 90 प्रतिशत वोट शेयर बीजेपी और कांग्रेस के बीच बंट जाता है। बसपा सहित अन्‍य पार्टियां महज 10 प्रतिशत में सिमट कर रह जाती हैं।

2024-04-04 09:04 GMT

2019 में जीती हुई कोरबा और बस्‍तर नहीं है इसमें शामिल..

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में विधानसभा की 90 और लोकसभा की 11 सीट है। रायपुर और दुर्ग संसदीय क्षेत्र में 9-9 और बाकी 9 संसदीय क्षेत्रों में विधानसभा की 8-8 सीटें शामिल हैं। दो महीने पहले हुए विधानसभा चुनावों में सत्‍तारुढ़ भाजपा का प्रदर्शन बिलासपुर और दुर्ग संभाग को छोड़कर बाकी तीनों संभागों में पार्टी का प्रदर्शन अच्‍छा रहा है। सरगुजा संभाग की सभी 14 विधानसभा सीट भाजपा जीतने में सफल रही है।

2024-04-04 09:04 GMT

जानिए... राज्‍य की किस सीट पर कब होगा लोकसभा चुनाव

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर 3 चरणों में मतदान होगा। पहले चरण में केवल एक बस्‍तर सीट पर वोटिंग होगी। दूसरे चरण में कांकेर, राजनांदगांव और महासमुंद में मतदान होंगे। बाकी सीटों पर तीसरे चरण में वोट डाले जाएंगे। पहले चरण में बस्‍तर लोकसभा सीट के लिए 19 अप्रैल को मतदान होगा। वहीं, राजनांदगांव, महासमुंद और कांकेर सीट पर 26 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे। वहीं रायपुर, दुर्ग, सरगुजा, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, कोरबा, बिलासपुर पर 7 मई को वोट डाले जाएंगे। सभी सीटों के लिए एक साथ 4 जून को मतगणना होगी।

2024-04-04 09:02 GMT

महासमुंद लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्‍याशी 

कांग्रेस ने महासमुंद सीट से ताम्रध्वज साहू को प्रत्‍याशी बनाया है। साहू पूर्ववर्ती सरकार में  गृह, जेल, कृषि, लोक निर्माण एवं सहकारिता विभाग के मंत्री थे। वे दुर्ग ग्रामीण विधानसभा से विधायक चुने गए थे। 2023 में विधानसभा का चुनाव हार गए। साहू महामंत्री मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी, ब्लॉक कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष,जिला साहू संघ व मध्य प्रदेश साहू संघ के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस रह चुके हैं। 1998 में ताम्रध्वज साहू पहली बार विधायक चुने गए थे। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद बने पहले मंत्रिमंडल में भी वे मंत्री रहे थे। कांग्रेस की राजनीति में आने से पहले वह गांव के सरपंच रहे थे। ताम्रध्वज साहू चार बार विधायक चुने जाने के अलावा 2014 में दुर्ग लोकसभा से सांसद भी रहे थे। उन्होंने कद्दावर भाजपा नेत्री सरोज पांडे को चुनाव हराया था।

ताम्रध्वज साहू 1998 में पहली बार विधायक चुने गए उससे पूर्व वे महामंत्री मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी भोपाल उपाध्यक्ष मध्यप्रदेश कांग्रेस सेवादल सदस्य जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग संगठन मंत्री ब्लॉक कांग्रेस कमेटी दुर्ग संगठन मंत्री मध्यप्रदेश कांग्रेस सेवादल, अध्यक्ष छत्तीसगढ़ साहू समाज, उपाध्यक्ष राज्य पाठ्यपुस्तक निगम मध्य प्रदेश अध्यक्ष जिला साहू संघ दुर्ग उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश किसान कांग्रेस भोपाल रहे। इसके अलावा भी सदस्य सलाहकार मंडल मध्य प्रदेश डाक–तार विभाग भोपाल। सदस्य जिला 20 सूत्री कार्यक्रम दुर्ग सदस्य जनपद पंचायत दुर्ग अध्यक्ष सहकारी विपणन समिति मर्यादित दुर्ग अध्यक्ष जिला पंचायत परिषद दुर्ग अध्यक्ष शिक्षित बेरोजगार समिति अध्यक्ष दुर्ग जिला मानस सदस्य सलाहकार समिति मध्य प्रदेश विद्युत मंडल सरपंच ग्राम पंचायत पाऊवारा दुर्ग, अध्यक्ष प्रदेश वैश्य संगठन दुर्ग, सदस्य अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी दुर्ग रहे।

2024-04-04 08:59 GMT

भाजपा सांसद प्रत्याशी रूप कुमारी चौधरी का जीवन परिचय...

भाजपा ने महासमुंद लोकसभा सीट से रूपकुमारी चौधरी को अपना प्रत्याशी बनाया है। अघरिया समाज से आने वाली रुपकुमारी चौधरी पूर्व में बसना विधानसभा से विधायक रह चुकी हैं। वे वर्तमान में जिला भाजपा अध्यक्ष है। वे बसना ब्लॉक की ग्राम पंचायत धनापाली की निवासी है। रूप कुमारी चौधरी का जन्म 5 जुलाई 1976 को बसना ब्लॉक के ग्राम धनापाली जिला महासमुंद में हुआ है। उनके पिता का नाम स्वर्गीय क्षेमराज पटेल है। उन्होंने दसवीं तक की शिक्षा अर्जित की है। 1 अप्रैल 1993 को उनका विवाह सराईपाली ब्लॉक के हर्राटार ग्राम निवासी ओमप्रकाश चौधरी के साथ हुआ है। उनके पति ओमप्रकाश चौधरी भूमि विकास बैंक के पूर्व अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में व्यक्ति करते हैं। रूप कुमारी चौधरी का भी व्यवसाय कृषि ( चौधरी सा मिल, सांकरा) है। उनके एक पुत्र व दो पुत्री हैं। वह ग्राम हर्राटार पोस्ट सरायपाली जिला महासमुंद की रहने वाली है।

रूप कुमारी चौधरी 2005 में पहली बार जिला पंचायत सदस्य सराईपाली विधानसभा क्षेत्र से बनी। जिला पंचायत सदस्य बनने के साथ ही वे सहकारिता एवं उद्योग समिति की सभापति भी बनी। 2006 में कार्यकारिणी सदस्य भाजपा, 2007 में प्राथमिक सोसायटी केजुवा की सदस्य, संचालक प्राथमिक सहकारी संघ,जिला सहकारी संघ 2009 में प्रतिनिधि राज्य सहकारी संघ रायपुर बनी। 2010 में जिला पंचायत सदस्य के लिए बसना विधानसभा क्षेत्र से दोबारा चुनी गई। 2011 में जिला महामंत्री भाजपा महिला मोर्चा महासमुंद का पद संभाला।

2024-04-04 08:57 GMT

जानिए...कौन हैं वो नेता जो 3 अलग-अलग सीट से जा चुके हैं संसद

रायपुर। आजादी के बाद से छत्‍तीसगढ़ ने देश और प्रदेश को कई दिग्‍ग नेता दिए हैं। अविभाजित मध्‍य प्रदेश के प्रथम मुख्‍यमंत्री पं. रविशंकर शुक्‍ल छत्‍तीसगढ़ के थे। उनके पुत्र पं. श्‍यामाचरण शुक्‍ल भी एमपी के सीएम रहे। दूसरे पुत्र पं. विद्याचरण शुक्‍ल केंद्र में मंत्री रहे। उनकी गिनती देश के दिग्‍गज नेताओं में होती थी। मध्‍य प्रदेश के पूर्व मुख्‍यमंत्री मोतीलाल वोरा भी छत्‍तीसगढ़ के ही थे। ये वो नाम हैं जिनकी हमेशा चर्चा होती है। इन सबके बीच आज हम प्रदेश के उन दिग्‍गज नेताओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो एक से ज्‍यादा सीटों से चुनाव लड़कर संसद तक पहुंचे हैं।

2024-04-04 08:56 GMT

 जानिए... छत्‍तीसगढ़ में किसके नाम पर दर्ज है सर्वाधिक व सबसे कम वोट के अंतर से जीत का रिकार्ड

रायपुर। छत्‍तीसगढ़ राज्‍य बने करीब 24 साल हो गए हैं। इस दौरान 4 बार आम चुनाव हो चुके हैं। राज्‍य बनने के बाद पांचवीं बार आम चुनाव की प्रक्रिया चल रही है। अब तक के 4 चुनावों में कुल 44 लोग लोकसभा में छत्‍तीसगढ़ का प्रतिनिधित्‍व कर चुके हैं। हर बार हार-जीत का अंतर बदलता रहता है। अब तक हुए 4 चुनावों में सबसे बड़ी जीत 3 लाख 91 वोट से ज्‍यादा के अंतर की रही है। वहीं, सबसे छोटी जीत में वोटरों का अंतर 12 सौ के करीब रहा है। सर्वाधिक और सबसे कम वोट के अंतर से सांसद बनने वाले दोनों नेता एक ही पार्टी के हैं।

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