Chhattisgarh Lok Sabha elections: 3 कलेक्टर, 1चुनावः छत्तीसगढ़ में बना राष्ट्रीय कीर्तिमान...जब एक चुनाव कराने 3 कलेक्टर हुए अपाइंट
Chhattisgarh Lok Sabha elections: 2004 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ से एक राष्ट्रीय रिकार्ड बना था एक चुनाव के लिए तीन कलेक्टरों को अपाइंट करना पड़ा। अभी तक ऐसा कभी नहीं हुआ कि एक चुनाव कराने के लिए तीन कलेक्टर नियुक्त करना पड़ा था।
रायपुर। बात जरा पुरानी है...मगर उतना भी नहीं। राज्य बनने के बाद पहला लोकसभा चुनाव 2004 में हुआ था। तीन साल राज करने के बाद सत्ता गंवाने वाले अजीत जोगी महासमुंद संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी थे उनके खिलाफ छत्तीसगढ़ के दिग्गज नेता विद्याचरण शुक्ल चुनाव लड़ रहे थे। तब विद्या भैया का हाल ही में भाजपा प्रवेश हुआ था। चूकि उनकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की वजह से कांग्रेस को पराजय का मुंह देखना पड़ा था और बीजेपी को आश्चर्यजनक तौर पर सत्ता मिल गई थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में एनसीपी को सात फीसदी वोट मिले थे और कांग्रेस साढ़े तीन फीसदी मतों के अंतर से हारी थी। जाहिर है, बीजेपी को इससे खुश होना लाजिमी था। और विद्या भैया का अजीत जोगी को सत्ताच्यूत करने का मकसद पूरा हो गया था। ऐसे में, उन्होंने एनसीपी छोड़ भाजपा ज्वाईन कर लिया था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहार बाजपेयी की इच्छा पर उन्हें महासमुंद लोकसभा सीट से टिकिट भी मिल गई।
अब बात कलेक्टरों की। अजीत जोगी जब नामंकन दाखिल करने पहुंचे तो उस समय मनोहर पाण्डेय रेगुलर कलेक्टर थे। सत्ता बदलने पर रमन सरकार ने मनोहर को महासमुंद का कलेक्टर बनाया था। बताते हैं, नामंकन दाखिल होने के बाद जोगी के फार्म में कुछ त्रुटियां हो गई थी। कलेक्टर पर आरोप लगा कि वे सर्किट हाउस में जाकर उसे सुधार करवाया। चुनाव आयोग को इसकी जानकारी मिली तो मनोहर पाण्डेय की छुट्टी हो गई। उनकी जगह शैलेष पाठक को कलेक्टर बनाकर भेजा गया। नामंकन मनोहर पाण्डेय ने कराया और वोटिंग शैलेष पाठक ने कराई। दरअसल, मतदान के बाद आयोग को शिकायत हुई कि शैलेष पाठक ने एग्जीट पोल कराया है, उसमें कांग्रेस की सरकार बन रही है। इस शिकायत के मिलते ही आयोग हरकत में आया और सीनियर अफसर से इसकी जांच कराई। शिकायत सही मिली तो आयोग ने शैलेष को हटा दिया। उनके बाद गौरव द्विवेदी को तीसरा कलेक्टर बनाकर भेजा गया। गौरव ने फिर मतगणना कराया। याने एक कलेक्टर ने नामंकन दाखिल कराया, दूसरे ने मतदान कराया और तीसरे मतगणना कराया।
हादसे में जोगी हुए जख्मी
चुनाव प्रचार के दौरान अजीत जोगी एक सड़क हादसे में गंभीर रुप से घायल हो गए। उसके बाद उन्हें महीनों अस्पताल में रहना पड़ा। हादसा इतना बड़ा था कि उन्हें व्हील चेयर पर निर्भर हो जाना पड़ा। सियासी पंडित भी मानते हैं कि जोगी अगर इस हादसे का शिकार होकर व्हील चेयर पर नहीं गए होते तो फिर बीजेपी सरकार 2008 में फिर रिपीट नहीं हुई होती। बहरहाल, महासमुंद लोकसभा का जब रिजल्ट आया, जोगी कोमा में थे। तब उनका पूरा परिवार दिल्ली में था। स्थिति यह नहीं थी कि जीत का प्रमाण पत्र लेने उनकी पत्नी रेणू जोगी या बेटा अमित जोगी रायपुर आ सकें। उनकी जगह उनके कटट्र समर्थक और बिलासपुर के कांग्रेस नेता अनिल टाह ने कलेक्टर गौरव द्विवेदी से जीत का सर्टिफिकेट ग्रहण किया।