NOTA Use in Chhattisgarh: बस्तर में खटाखट दबा NOTA: प्रदेश की 4 एसटी सीटों पर सबसे ज्यादा हुआ नोटा का प्रयोग, जानिए...राज्य की 11 लोकसभा सीटों में कहां कितनों ने दबाया यह बटन
NOTA Use in Chhattisgarh: लोकसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ में इस बार वोटरों ने जमकर नोटा का बटन बदबाया है। प्रदेश में नोटा का प्रयोग सबसे ज्यादा आदिवासी क्षेत्रों में हुआ है। राज्य की एसटी आरक्षित सीटों पर नोटा का वोट शेयर 1 से लेकर 4 प्रतिशत तक है।
NOTA Use in Chhattisgarh: रायपुर। NOTA (None of the above) यानी इनमें से कोई नहीं। चुनाव आयोग देशभर के वोटरों को यह विकल्प देता है, ताकि चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों में से उन्हें कोई भी योग्य नहीं लग रहा है तो वे इस बटन को दबा सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 में छत्तीसगढ़ में एक प्रतिशत से कम वोटरों ने इस बजट का प्रयोग किया है, लेकिन कुछ लोकसभा क्षेत्रों में नोटा का कुल वोट में हिस्सा करीब 4 प्रतिशत तक है। नोटा में इतने बड़े पैमाने पर वोट पड़ना उस क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के लिए चिंता का विषय हो सकता है। प्रदेश में हाल ही में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव में नोटा का सबसे ज्यादा प्रयोग प्रदेश की आदिवासी आरक्षित सीटों पर सबसे ज्यादा हुआ है।
जानिए... बस्तर में कितने लोगों ने दबाया नोटा
प्रदेश की 11 लोकसभा सीटों में नोटा का सबसे ज्यादा प्रयोग बस्तर संसदीय क्षेत्र में हुआ है। इस सीट से बीजेपी ने महेश कश्यप के रुप में नए चेहरे को मौका दिया था, जबकि कांग्रेस की टिकट पर पूर्व मंत्री और कोंटा सीट से लगातार 5वीं बार के विधायक कवासी लखमा मैदान में थे। चुनाव परिणाम बीजेपी प्रत्याशी में पक्ष में आया है।
बस्तर संसदीय क्षेत्र में कुल 36 हजार 733 लोगों ने नोटा का बजट दबाया है। इनमें 25 वोट पोस्टल बैलेट के जरिये पड़े हैं। बस्तर में हुए कुल मतदान में नोटा का हिस्सा 3.65 प्रतिशत रहा। यानी करीब 4 प्रतिशत वोटरों ने नोटा का प्रयोग किया है।
जानिए...छत्तीसगढ़ की एसटी आरक्षित सीटों पर कितने लोगों ने दबाया नोटा का बजट
प्रदेश की 4 लोकसभा सीट आदिवासी यानी एसटी आरक्षित है। इनमें बस्तर के साथ कांकेर, सरगुजा और रायगढ़ शामिल है। 11 लोकसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा नोटा का प्रयोग इन्हीं चारों सीटों पर हुआ है। बस्तर में 3.65 प्रतिशत लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है। बस्तर के बाद सबसे ज्यादा नोटा सरगुजा के वोटरों ने दबाया है। वहां पोस्टल बैलट के जरिये 14 सहित कुल 28 हजार 107 लोगों ने नोटा का बजट दबाया, जो कुल मतदान का 1.93 प्रतिशत है। यानी सरगुजा के लगभग 2 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का प्रयोग किया। इसी तरह कांकेर के 1.48 प्रतिशत वोटरों ने नोटा का प्रयोग किया। वहां कुल 18 हजार 618 मत नोटा पर पड़े हैं। नोटा का सर्वाधिक प्रयोग के मामले में रायगढ़ चौथे नंबर पर है। वहां 14 हजार 993 वोटरों ने नोटा का बजट दबाया जो कुल मतदान का लगभग 1 प्रतिशत है।
पोस्टल बैलेट में सबसे ज्यादा नोटा राजनांदगांव में
पोस्टल बैलेट (डाक मतपत्र) के जरिये सबसे ज्यादा वोट राजनांदगांव सीट पर पड़ा है। वहां डाक मतपत्र के जरिये मतदान करने वाले 401 लोगों ने नोटा का विकल्प चुना है। बता दें कि इस सीट से कांग्रेस की टिकट पर प्रदेश के पाटन के मौजूदा विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल चुनाव लड़ रहे थे। बघेल का मुकाबला बीजेपी के सीटिंग एमपी संतोष पांडेय से था। चुनाव में पांडेय जीते हैं। इस सूची में कांकेर दूसरे नंबर पर है। वहां डाक मतपत्र वाले 51 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है। वहीं, पोस्टल बैलेट वाले जांजगीर और महासमुंद में 39-39 वोट नोटा में पड़ा है। रायपुर में 34 और रायगढ़ में 29 डाक मतपत्रों में नोटा का विकल्प का प्रयोग किया गया है।
जानिए... नोटा का विकल्प देने वाला छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य
छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है जिसने अपने यहां के वोटरों को नोटा का विकल्प दिया। राज्य में 2009 में हुए स्थानीय निकाय के चुनावों में देश में पहली बार नोटा का प्रयोग किया गया। 2013 के विधानसभा चुनावों में जिन राज्यों में सबसे पहले वोटरों को नोटा का विकल्प दिया गया उनमें छत्तीसगढ़ भी शामिल था। इसके बाद आम चुनाव यानी लोकसभा के चुनावों में नोटा का प्रयोग शुरू हुआ।
कहां कितना दबा नोटा का बटन
लोकसभा क्षेत्र | लोकसभा 2024 | विधानसभा 2023 |
बस्तर | 36733 | 37418 |
सरगुजा | 28107 | 23497 |
कांकेर | 18618 | 23557 |
रायगढ़ | 14993 | 19512 |
राजनांदगांव | 9152 | 15281 |
कोरबा | 6076 | 18391 |
दुर्ग | 5596 | 11969 |
जांजगीर | 5098 | 8748 |
रायपुर | 4414 | 11164 |
महासमुंद | 3801 | 17155 |
बिलासपुर | 2842 | 10986 |