NPG Exclusive Land Scam: भारतमाला में फर्जी जमीनों का खेल! फीट-फीट में बंट गई जमीन, करोड़ों का फर्जीवाड़ा, घोटाले में 60 केस दोबारा खुले

NPG Exclusive Land Scam: भारतमाला परियोजना के तहत भूमि अधिग्रहण में टुकड़ों में बटांकन और जमीन का बंटवारा तथा नामांतरण कर फीट के हिसाब से करोड़ों रुपए के भुगतान हेतु अवार्ड पारित करवा लिए गए थे। बिलासपुर संभागायुक्त सुनील कुमार जैन ने भुगतान रुकवा पहले इसकी जांच करवाई। जांच में पता चला कि 11 करोड़ 69 लाख 90 हजार की बजाय वास्तविक मुआवजा सिर्फ 5 करोड़ 21 लाख 3 हजार रुपए बनना था। जिस पर अवॉर्ड को रिवॉर्ड करते हुए मुआवजा कम कर दिया गया। इस प्रकार शासन को 6 करोड़ 48 लाख 46 हजार 794 रुपए की क्षति होने से बचत हो गई।

Update: 2025-08-04 09:20 GMT

NPG Exclusive Land Scam: बिलासपुर। भारतमाला परियोजना घोटाले में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं। जमीन को टुकड़ों में बटांकन करवा शासन के करोड़ों रुपए हड़पने के मामले में विधानसभा में भी प्रश्न उठाए जा चुके हैं और इस मामले में कई अधिकारियों के ऊपर एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। एनपीजी के लगातार खुलासे के बाद राज्य सरकार ने इसे संज्ञान लेते हुए ईओडब्ल्यू को मामला सौंप दिया है। इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई है वहीं कई फरार चल रहे हैं। अब बिलासपुर संभागायुक्त सुनील कुमार जैन ने ऐसे फर्जी मुआवजा के प्रकरणों पर समीक्षा कर 78 में से 60 मामलों में मुआवजा रकम कम कर दिया है। जिससे शासन के 6 करोड़ रुपए बच गए है।

भारत सरकार की महत्वाकांक्षी भारतमाला परियोजना में मुआवजा निर्धारण में नियमों को ताक में रखकर कुछ लोगों को लाभ पहुंचाया गया। 500 वर्ग मीटर से कम भूमि पर अधिक मुआवजा और उससे अधिक पर कम मुआवजा देकर टुकड़ों में भूमि दिखाकर करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया। इसके लिए अभिलेखों में कूट रचना, टुकड़ों में बटांकन और नामांतरण कर फीट हिसाब से मुआवजा लिया गया। बटवारा के आधार पर भी फर्जी मालिक बनाकर राजस्व अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर करोड़ों रुपए का मुआवजा प्राप्त किया गया।

भारतमाला परियोजना बिलासपुर जिले से भी होकर गुजरती है। भारतमाला परियोजना के तहत बिलासपुर उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए भूमि अधिग्रहण में भारी गड़बड़ी उजागर हुई है। बिलासपुर से गुजरने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग में ग्राम ढेका में इसके लिए भूमि अधिग्रहित की गई। वास्तविक भूमि के अलावा ज्यादा मुआवजा के लिए राजस्व अधिकारियों ने टुकड़ों टुकड़ों में बटांकन कर तय मुआवजा से कही अधिक मुआवजा के प्रकरण बना दिए गए। इसके लिए बकायदा मुआवजा देने हेतु अवार्ड भी पारित कर दिया गया। पर इसमें धांधली की आशंका को देखते हुए अवार्ड पारित होने के बाद भी भुगतान नहीं किया गया और इसकी जांच करवाई गई।

जांच में यह स्पष्ट हुआ कि अधिक मुआवजे के लिए टुकड़ों में जमीन का बटांकन और बटवारा तथा नामांतरण किया गया। इसके अलावा इसके लिए कूचरचना भी की गई। टीम बनाकर जब जांच करवाई गई तो इसमें तत्कालीन तहसीलदार डीएस उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा की संलिप्तता सामने आई। जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर तोरवा थाने में इसकी फिर भी दर्ज की गई है।

ग्राम ढेका में अधिग्रहित जमीन और इसके मुआवजा प्रकरण की जांच टीम बनाकर करवाई गई। अलग-अलग अधिकारियों को अलग-अलग जवाबदारी दी गई। बिलासपुर एसडीएम मनीष साहू से यह जांच रिपोर्ट मांगी गई कि जिस भूमि में मुआवजा अवार्ड पारित हुआ है उसकी खरीदी बिक्री अधिग्रहण के लिए अधिसूचना जारी होने से कितने पहले या बाद में की गई। किस समय इसका बंटवारा हुआ है और कितने टुकड़ों में बटांकन हुआ है। जबकि बिलासपुर में ज्वाइंट कलेक्टर रहे विपुल गुप्ता ने यह जांच की, कि प्रत्येक प्रकरण में कितने मुआवजा राशि का प्रकरण तैयार किया गया है और वास्तविक में कितना होना था।

अलग–अलग बिंदुओं पर अलग–अलग अधिकारियों द्वारा जांच करवा रिपोर्ट बिलासपुर संभागायुक्त सुनील कुमार जैन ने मंगवाई। इसकी उन्होंने समीक्षा की और बिलासपुर कलेक्टर संजय अग्रवाल से भी विमर्श किया। तकनीकी पहलुओं समेत सभी बिंदुओं पर समीक्षा के बाद संभागायुक्त ने यह पाया कि शासन को आर्थिक क्षति कारित करने के लिए गलत मुआवजा प्रकरण तैयार किया गया है। मुआवजा देने के लिए अवार्ड भी पारित हो चुका था। हालांकि धांधली की आशंका को देखते हुए संभागायुक्त ने भुगतान रुकवा दिया था। अब पूर्व में अवार्ड को रिवॉर्ड कर नए सिरे से भुगतान हेतु अवार्ड पारित किया गया है। इससे शासन के करोड़ों रुपए बच गए हैं।

6 करोड़ रुपए से भी अधिक का शासन को बचत,60 मामलों में बदला मुआवजा-

संभागायुक्त सुनील कुमार जैन ने मुआवजा के लिए अवार्ड हुए 78 प्रकरणों की समीक्षा की। 78 प्रकरणों में कुल 11 करोड़ 69 लाख 90 हजार 686 रुपए अवॉर्ड पूर्व में पारित हुआ था। समीक्षा के बाद इसमें से 18 प्रकरणों में अवार्ड हुए मुआवजा राशि को बस सही पाते हुए कमिश्नर ने यथावत रखा और 60 प्रकरणों में मुआवजा राशि कम कर दिया गया। पूर्व में पारित 11 करोड़ 69 लाख 90 हजार रुपए के अवार्ड को समीक्षा के बाद 5 करोड़ 21 लाख 3 हजार 892 रुपए कर दिया है। इस तरह संभागायुक्त सुनील कुमार जैन के निर्णय से शासन को 6 करोड़ 48 लाख 46 हजार 794 रुपए की क्षति होने से बच गया।

इस तरह से किया गया था घोटाला-

भारतमाला परियोजना के तहत ढेका-उरगा राष्ट्रीय राजमार्ग 130 के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु केंद्र सरकार ने 20 फरवरी 2018 को थ्री-डी अधिसूचना जारी की गई थी। अधिसूचना जारी होने के तत्काल बाद बटांकन ग्राम ढेका में बढ़ गए। विवादित भूमि पर 22 बटांकन एक दिन और 11 बटांकन दूसरे दिन जारी किए गए। कुल 33 बटांकन में 78 मालिक बन गए। यह बटांकन भी थ्री दी अधिसूचना से पहले बैक डेट में 2017 में जारी हुआ। नेशनल हाईवे अथॉरिटी ने इस पर सवाल उठाते हुए पूछा था कि जब थ्रीडी जारी हुई तब भी इन बटांकन और विभाजन को प्रदर्शित होना था पर थ्रीडी जारी होने के समय यह नहीं थे बाद में मुआवजा क्लेम आए याने बैकडेट में यह बंटवारा हुआ है। एनएचआई ने इसे आयुक्त न्यायालय में चुनौती दी थी। जिस पर हुई जांच में सच सामने आ गया।

रायपुर में भी इस तरह का मामला-

बिलासपुर के अलावा रायपुर में भी इस मामले में दोषी अधिकारी कर्मचारियों पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर की है। जितेंद्र साहू (पटवारी), बसंती घृतलहरे (पटवारी), निर्भय साहू (एसडीएम), शशिकांत कुर्रे (तहसीलदार), लखेश्वर प्रसाद किरण (नायब तहसीलदार), लेखराम देवांगन (पटवारी) पर ईओडब्ल्यू ने एफआईआर दर्ज की थी। जिसके बाद इनके निलंबन की कार्यवाही भी हुई है और यह फरार चल रहे हैं। विशेष न्यायालय ने इनके खिलाफ वारंट भी जारी किया है। गलत तरीके से मुआवजा हासिल करने वाले हरमीत खनूजा, विजय जैन, उमा तिवारी, केदार तिवारी को अप्रैल माह में गिरफ्तार किया गया था जिन्हें जुलाई से माह में हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। हालांकि शासन कि इस मामले में राशि बचाने की पहले कार्यवाही बिलासपुर में ही हुई है।

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