DPDP Act Recent News: आपके काम की खबर: पर्सनल डिजिटल डेटा रहेगा सुरक्षित, लीक होने पर मिलेगा अलर्ट

DPDP Act Recent News: भारत सरकार ने 14 नवंबर 2025 को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण (डीपीडीपी) नियम, 2025 को अधिसूचित किया है। इससे व्यक्तिगत डिजिटल डेटा ज्यादा सुरक्षित हो गया है और लीक होने पर अलर्ट मिलेगा।

Update: 2025-11-17 14:25 GMT

DPDP Act Recent News: रायपुर। इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने से पहले उन पर जनता की टिप्पणियाँ आमंत्रित कीं है। दिल्ली, मुंबई, गुवाहाटी, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में परामर्श सत्र आयोजित किए गए। इन चर्चाओं में विभिन्न प्रकार के प्रतिभागियों ने भाग लिया। स्टार्टअप्स, एमएसएमई, उद्योग निकायों, नागरिक समाज के विभिन्न समूहों और सरकारी विभागों ने विस्तृत सुझाव दिए है। नागरिकों ने भी अपने विचार साझा किए है। परामर्श प्रक्रिया के दौरान कुल 6,915 सुझाव प्राप्त हुए है। इन सुझावों ने अंतिम नियमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संसद ने 11 अगस्त 2023 को डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम पारित किया। यह कानून भारत में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक संपूर्ण ढाँचा तैयार करता है। यह स्पष्ट करता है कि संगठनों को ऐसा डेटा एकत्र या उपयोग करते समय क्या करना चाहिए।

ये है उद्देश्य

यह कानून सात मूल सिद्धांतों पर आधारित है। इनमें सहमति और पारदर्शिता, उद्देश्य सीमा, डेटा न्यूनीकरण, सटीकता, भंडारण सीमा, सुरक्षा उपाय और जवाबदेही शामिल हैं। ये सिद्धांत डेटा प्रोसेसिंग के हर चरण का मार्गदर्शन करते हैं। ये सिद्धांत यह भी सुनिश्चित करते हैं कि व्यक्तिगत डेटा का उपयोग केवल वैध और विशिष्ट उद्देश्यों के लिए ही किया जाए। इस अधिनियम की एक प्रमुख विशेषता भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड का गठन है। यह बोर्ड एक स्वतंत्र निकाय के रूप में कार्य करता है जो अनुपालन की निगरानी करता है, उल्लंघनों की जाँच करता है और यह सुनिश्चित करता है कि सुधारात्मक उपाय किए जाएँ। यह अधिनियम के तहत प्रदत्त अधिकारों को लागू करने और व्यवस्था में विश्वास बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

जुर्माना भारी भरकम

डीपीडीपी अधिनियम, डेटा फिड्युसरी द्वारा अनुपालन न करने पर भारी वित्तीय जुर्माना लगाता है। उचित सुरक्षा उपाय न बनाए रखने पर डेटा फिड्यूसरी द्वारा अधिकतम ₹ 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। व्यक्तिगत डेटा उल्लंघन के बारे में बोर्ड या प्रभावित व्यक्तियों को सूचित न करने और बच्चों से संबंधित दायित्वों के उल्लंघन पर, प्रत्येक पर 200 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है । डेटा फिड्यूसरी द्वारा अधिनियम या नियमों का कोई अन्य उल्लंघन करने पर 50 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

नागरिकों को मिले अधिकार

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025, डीपीडीपी अधिनियम, 2023 को पूर्ण रूप से प्रभावी बनाते हैं। ये नियम तेज़ी से बढ़ते डिजिटल परिवेश में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के लिए एक स्पष्ट और व्यावहारिक प्रणाली का निर्माण करते हैं। ये नियम नागरिकों के अधिकारों और संगठनों द्वारा जिम्मेदारी से डेटा उपयोग पर केंद्रित हैं। इन नियमों का उद्देश्य डेटा के अनधिकृत व्यावसायिक उपयोग पर अंकुश लगाना, डिजिटल नुकसान को कम करना और नवाचार के लिए एक सुरक्षित वातावरण बनाना है। ये नियम भारत को एक मज़बूत और विश्वसनीय डिजिटल अर्थव्यवस्था बनाए रखने में भी मदद करेंगे।

लीक का बताना होगा असर

नियमों में व्यक्तिगत डेटा उल्लंघनों की रिपोर्ट करने की एक सरल और समयबद्ध प्रक्रिया निर्धारित की गई है। इसका उल्लंघन होने पर डेटा फिड्यूशरी को बिना किसी देरी के सभी प्रभावित व्यक्तियों को सूचित करना होगा। संदेश स्पष्ट भाषा में होना चाहिए और इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि क्या हुआ, संभावित प्रभाव क्या होगा और समस्या के समाधान के लिए क्या कदम उठाए गए। इसमें सहायता के लिए संपर्क विवरण भी शामिल होना चाहिए।

ऑनलाइन दे सकेंगे शिकायत

ये नियम एक पूर्णत: डिजिटल भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड की स्थापना करते हैं, जिसमें चार सदस्य होंगे। नागरिक एक समर्पित पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से ऑनलाइन शिकायतें दर्ज कर सकेंगे और अपने मामलों पर नज़र रख सकेंगे। यह डिजिटल प्रणाली त्वरित निर्णय लेने में सहायक है और शिकायत निवारण को सरल बनाती है। बोर्ड के निर्णयों के विरुद्ध अपील की सुनवाई अपीलीय न्यायाधिकरण, टीडीएसएटी द्वारा की जाएगी।

नागरिक को ये रहेगा अधिकार

प्रत्येक व्यक्ति के पास अपने व्यक्तिगत डेटा के उपयोग की अनुमति देने या अस्वीकार करने का विकल्प होता है। सहमति स्पष्ट, सूचित और समझने में आसान होनी चाहिए। व्यक्ति किसी भी समय अपनी सहमति वापस ले सकता है।

यह जानने का अधिकार

नागरिक यह जानकारी मांग सकते हैं कि कौन सा व्यक्तिगत डेटा एकत्र किया गया है, इसे क्यों एकत्र किया गया है और इसका उपयोग कैसे किया जा रहा है। संगठनों को यह जानकारी एक सरल प्रारूप में प्रदान करनी होगी।

कानून में यह भी

  • व्यक्तिगत डेटा तक पहुँच का अधिकार
  • व्यक्ति अपने व्यक्तिगत डेटा की एक प्रति मांग सकते हैं जो डेटा फिड्युसरी के पास मौजूद है।
  • व्यक्तिगत डेटा को सही करने का अधिकार
  • लोग गलत या अपूर्ण व्यक्तिगत डेटा में सुधार का अनुरोध कर सकते हैं।
  • व्यक्तिगत डेटा अपडेट करने का अधिकार
  • जब नागरिकों के विवरण में परिवर्तन हो जाए, जैसे कि नया पता या अद्यतन संपर्क नंबर, तो वे उसमें परिवर्तन के लिए अनुरोध कर सकते हैं।
  • कुछ परिस्थितियों में व्यक्ति व्यक्तिगत डेटा हटाने का अनुरोध कर सकते हैं। डेटा फिड्यूशियरी को इस अनुरोध पर निर्धारित समय के भीतर विचार करके कार्रवाई करनी होगी।
  • प्रत्येक व्यक्ति अपनी ओर से अपने डेटा अधिकारों का प्रयोग करने के लिए किसी को नियुक्त कर सकता है। यह बीमारी या अन्य बाधाओं के मामले में मददगार होता है।

डेटा उल्लंघन के दौरान सुरक्षा

यदि कोई उल्लंघन होता है, तो नागरिकों को जल्द से जल्द सूचित किया जाना चाहिए। संदेश में यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि क्या हुआ और वे क्या कदम उठा सकते हैं। इससे लोगों को नुकसान कम करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने में मदद मिलेगी।

बच्चों के लिए विशेष सुरक्षा

जब किसी बच्चे का व्यक्तिगत डेटा शामिल हो तो माता-पिता या अभिभावक की सत्यापन योग्य सहमति आवश्यक है। यह सहमति तब तक आवश्यक है जब तक कि प्रसंस्करण स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा या वास्तविक समय सुरक्षा जैसी आवश्यक सेवाओं से संबंधित न हो।

व्यक्तिगत जानकारी पर ये नियम

संशोधन व्यक्तिगत जानकारी के दिखाने पर रोक नहीं लगाता। इसमें केवल यह आवश्यक है कि ऐसी जानकारी का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जाए और गोपनीयता के हितों को ध्यान में रखते हुए ही साझा किया जाए। साथ ही सूचना का अधिकार अधिनियम की धारा 8(2) पूरी तरह से प्रभावी रहेगी। यह प्रावधान किसी सार्वजनिक प्राधिकरण को सूचना जारी करने की अनुमति देता है जब इसको दिखाने में जनहित किसी भी संभावित नुकसान से अधिक प्रबल हो। यह सुनिश्चित करता है कि सूचना का अधिकार अधिनियम का सार, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक जीवन में खुलेपन और जवाबदेही को बढ़ावा देना है, निर्णय लेने में मार्गदर्शन करता रहे।

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