Parth Pawar Land Scam: अजित पवार के बेटे पर 300 करोड़ के जमीन घोटाले का आरोप, महाराष्ट्र में मचा बवाल, पढ़ें कौन हैं पार्थ पवार?

Parth Pawar Land Scam: पुणे में सरकारी जमीन के 1800 करोड़ के सौदे को मात्र 300 करोड़ में खरीदने के आरोप ने महाराष्ट्र की राजनीति में तूफान ला दिया है। जानिए कौन हैं पार्थ पवार और क्या है पूरा मामला।

Update: 2025-11-07 10:34 GMT

Parth Pawar Land Scam: महाराष्ट्र की सियासत में एक नया भूचाल उस वक्क आ गया जब उपमुख्यमंत्री अजित पवार के बेटे पार्थ पवार का नाम पुणे के मुंधवा इलाके में हुए कथित 1800 करोड़ रुपये के जमीन घोटाले से जुड़ गया। आरोप है कि पार्थ पवार की कंपनी Amadea Enterprises LLP ने यह सरकारी जमीन महज़ 300 करोड़ रुपये में खरीदी जबकि उसकी असली कीमत लगभग 1800 करोड़ बताई जा रही है।

राज्य सरकार ने मामले की गंभीरता को देखते हुए तहसीलदार सूर्यकांत येवले और सब-रजिस्ट्रार आरबी तारु को निलंबित कर दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने जांच के आदेश जारी किए हैं।
कौन हैं पार्थ पवार?
पार्थ पवार अजित पवार के बेटे और एनसीपी के संस्थापक शरद पवार के भतीजे हैं। उन्होंने मुंबई के एच.आर. कॉलेज से ग्रेजुएशन और लंदन से लॉ की पढ़ाई की है। 2019 में उन्होंने मावल लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था लेकिन शिवसेना उम्मीदवार से हार गए थे। इसके बावजूद वे पिंपरी-चिंचवाड़ और मावल क्षेत्रों में एक्टिव राजनीति में बने हैं।
क्या है लैंड डील विवाद?
सरकारी दस्तावेज़ों के मुताबिक 16.19 हेक्टेयर सरकारी जमीन 20 मई को Amadea Enterprises LLP को बेची गई। कंपनी के पार्टनर दिग्विजय अमर सिंह पाटिल का नाम सेल डीड में दर्ज है। रिपोर्ट्स के अनुसार असली बाजार कीमत करीब ₹1600–₹1800 करोड़ थी, जबकि डील ₹300 करोड़ में की गई। यही अंतर इस सौदे को संदिग्ध बनाता है। विपक्ष ने इस डील को सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार का प्रतीक बताया है वहीं सरकार ने कहा है दोषी चाहे कोई भी हो बख्शा नहीं जाएगा।
सरकारी जांच और विपक्ष का हमला
राज्य के रेवेन्यू और लैंड रिकॉर्ड विभाग को जांच की ज़िम्मेदारी दी गई है। विपक्षी दलों ने इसे सत्ता की हनक से सरकारी संपत्ति लूटने का मामला बताया है। कांग्रेस और शिवसेना (UBT) ने अजित पवार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि यह परिवारिक नेटवर्क के ज़रिए कमाई का उदाहरण है। दूसरी ओर, एनसीपी (अजित गुट) ने कहा कि यह सौदा कानूनी रूप से वैध है और पार्थ पवार पर लगाए गए आरोप राजनीतिक प्रेरित हैं।
पवार परिवार की तीसरी पीढ़ी पर आरोप
दिलचस्प यह है कि पवार परिवार की यह तीसरी पीढ़ी है जिसका नाम किसी बड़े विवाद में आया है। पहले शरद पवार को कोऑपरेटिव बैंक केस में जांच का सामना करना पड़ा फिर अजित पवार पर सिंचाई घोटाले के आरोप लगे और अब पार्थ पवार पर यह ज़मीन सौदे का मामला। यह दिखाता है कि पवार परिवार की राजनीतिक यात्रा लगातार विवादों से घिरी रही है।
कानूनी और राजनीतिक असर
यह घोटाला सिर्फ़ वित्तीय नहीं बल्कि राजनीतिक और नैतिक सवालों से भी जुड़ा है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो यह अजित पवार की साख पर सीधा असर डाल सकता है ख़ासकर तब जब वे उपमुख्यमंत्री होने के साथ वित्त विभाग भी संभाल रहे हैं। वहीं बीजेपी-शिवसेना गठबंधन के भीतर भी यह मुद्दा राजनीतिक असहजता पैदा कर सकता है क्योंकि विपक्ष इसे डबल स्टैंडर्ड की मिसाल बता रहा है।
अब क्या होगा?
सरकार ने जांच एजेंसियों को तीन सप्ताह में प्राथमिक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है। अगर किसी तरह की गड़बड़ी साबित होती है, तो FIR को आगे बढ़ाकर ED या ACB जांच की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल पार्थ पवार ने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है लेकिन सूत्रों के अनुसार उन्होंने कहा है कि सभी लेनदेन वैधानिक प्रक्रिया के तहत हुए हैं।
Tags:    

Similar News