NPG Explainer: जस्टिस सूर्यकांत बनेंगे भारत के 53वें CJI, जानिए CJI की भूमिका, चयन प्रक्रिया और अब तक की मुख्य न्यायाधीश की पूरी टाइमलाइन

Justice Suryakant CJI: 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। समझिए उनकी भूमिका, चयन प्रक्रिया और आजादी के बाद से लेकर अब तक के सभी CJIs की यात्रा।

Update: 2025-11-01 16:33 GMT

Justice Suryakant CJI: भारत की न्यायपालिका एक नए दौर में प्रवेश करने जा रही है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 24 नवंबर को जस्टिस सूर्यकांत को देश का 53वां मुख्य न्यायाधीश (CJI) नियुक्त करेंगी। वे मौजूदा CJI भूषण आर. गवई की जगह लेंगे। गवई 23 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं, और उनके रिटायरमेंट के अगले ही दिन सूर्यकांत न्यायपालिका की कमान संभालेंगे। उनका कार्यकाल करीब 15 महीने का होगा, जो फरवरी 2027 तक चलेगा।

2. कौन हैं जस्टिस सूर्यकांत?
हरियाणा में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने अपने करियर की शुरुआत पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में वकालत से की थी। बाद में वे जज बने और 2018 में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। एक साल बाद, यानी 2019 में, उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया।
वे उन जजों में गिने जाते हैं जो फैसलों में भाषा को सरल और न्याय को सुलभ बनाने की कोशिश करते हैं। सामाजिक न्याय, शिक्षा और मानवाधिकार जैसे मामलों में उनकी सोच हमेशा व्यावहारिक और मानवीय रही है।
3. CJI की भूमिका क्या होती है?
मुख्य न्यायाधीश केवल सुप्रीम कोर्ट के प्रमुख नहीं होते वे पूरे देश की न्यायिक व्यवस्था के संचालनकर्ता होते हैं। उनकी जिम्मेदारियाँ तीन मुख्य हिस्सों में बंटी होती हैं..
1. संविधान पीठ का गठन: कौन-से संवैधानिक मामलों की सुनवाई बड़ी बेंच करेगी, इसका निर्णय।
2. केस अलॉटमेंट: कौन सा जज किस केस की सुनवाई करेगा, इसकी रूपरेखा बनाना।
3. न्यायाधीशों की नियुक्ति व ट्रांसफर: कॉलेजियम सिस्टम के तहत अन्य जजों की सिफारिश करना।
इन सबके अलावा CJI देश की न्यायिक व्यवस्था की नीति दिशा भी तय करते हैं कि अदालतें समाज के बदलते हालातों के साथ कैसे कदम मिलाकर चलें।
4. CJI की नियुक्ति कैसे होती है?
भारत में परंपरा है कि सुप्रीम कोर्ट का सबसे वरिष्ठ जज ही अगला CJI बनता है। कानून मंत्रालय मौजूदा CJI से उनके उत्तराधिकारी का नाम मांगता है। प्रस्ताव राष्ट्रपति को भेजा जाता है, और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद नियुक्ति की अधिसूचना जारी होती है। यह सिलसिला 1950 से अब तक बिना किसी रुकावट जारी है सिवाय कुछ ऐतिहासिक अपवादों के जैसे 1973 में ए.एन. रे की नियुक्ति जिसने उस समय बड़ा विवाद खड़ा किया था।
5. जस्टिस सूर्यकांत से क्या उम्मीदें हैं?
जस्टिस सूर्यकांत के कार्यकाल को लेकर न्यायिक गलियारों में कई उम्मीदें हैं। माना जा रहा है कि वे ई-कोर्ट सिस्टम 2.0 को पूरी तरह लागू करेंगे। उनके नेतृत्व में जमानत कानूनों में एकरूपता लाने और सामाजिक न्याय से जुड़े मामलों में तेजी से फैसले होने की उम्मीद है। वे खुद मानते हैं कि न्याय तभी सार्थक है जब वह आम नागरिक की समझ में आ सके। इसलिए कोर्ट की भाषा को और सरल बनाना भी उनके एजेंडे में रहेगा।
6. भारत के CJIs की 75 साल की यात्रा
भारत की न्यायपालिका की यात्रा 1950 में एच. जे. कनिया से शुरू हुई थी। आज तक कुल 52 मुख्य न्यायाधीश देश का नेतृत्व कर चुके हैं हर किसी ने न्याय व्यवस्था को नई दिशा दी।
दशक: उल्लेखनीय: CJI: प्रमुख उपलब्धियाँ
1950–70	बी. पी. सिन्हा, एम. हिदायतुल्ला	संविधान की व्याख्या और स्वतंत्र न्यायपालिका की नींव
1970–90 एस. एम. सिकरी, वाई. वी. चंद्रचूड़ ‘मूल संरचना सिद्धांत’, न्याय बनाम सत्ता संघर्ष
1990–2010 जे. एस. वर्मा, वाई. के. सभरवाल मानवाधिकार, न्यायिक पारदर्शिता
2010–25 डी. वाई. चंद्रचूड़, भूषण गवई डिजिटल न्याय, सामाजिक समानता
1: 1950 – एच. जे. कनिया बने पहले मुख्य न्यायाधीश
2: 1973 – ए.एन. रे की नियुक्ति पर विवाद, ‘मूल संरचना सिद्धांत’ उभरा
3: 2010–25 – डिजिटल न्याय का दौर, डी. वाई. चंद्रचूड़ और गवई युग
4: 2025 – जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल: न्याय को सरल और तकनीक-संचालित बनाने का मिशन
8. न्यायपालिका की दिशा और भविष्य
भारत की अदालतें आज टेक्नोलॉजी, पारदर्शिता और सामाजिक ज़िम्मेदारी की ओर बढ़ रही हैं। न्याय केवल फैसले तक सीमित नहीं रहा अब यह नागरिक अनुभव का हिस्सा बन चुका है।जस्टिस सूर्यकांत का कार्यकाल इस दिशा में एक निर्णायक कदम हो सकता है, जो न्याय को सिर्फ किताबों से नहीं, लोगों की ज़िंदगी में लाने की कोशिश करेगा।
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