Liquer Scam, Supreme Court News: शराब घोटाला: घाेटालेबाज आबकारी अफसरों को सुप्रीम कोर्ट ने दी सशर्त स्थायी जमानत, इन शर्तों का करना होगा पालन, पासपोर्ट करना होगा सरेंडर

Liquer Scam, Supreme Court News: छत्तीसगढ़ में हुए दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में फंसे आबकारी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त स्थायी जमानत दे दी है। आबकारी अफसरों को दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। राज्य की सीमाओं से बाहर जाने के लिए पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। सुनवाई के दौरान उपस्थिति दर्ज करानी होगी। गैर हाजिरी को जमानत की शर्तोें का उल्लंघन माना जाएगा और इसे दुरुपयोग के रूप में देखा जाएगा।

Update: 2025-11-13 10:54 GMT

दिल्ली। छत्तीसगढ़ में हुए दो हजार करोड़ रुपये से अधिक के शराब घोटाले में फंसे आबकारी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त स्थायी जमानत दे दी है। आबकारी अफसरों को दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। राज्य की सीमाओं से बाहर जाने के लिए पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। सुनवाई के दौरान उपस्थिति दर्ज करानी होगी। गैर हाजिरी को जमानत की शर्तोें का उल्लंघन माना जाएगा और इसे दुरुपयोग के रूप में देखा जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ के चर्चित शराब घोटाला में आबकारी विभाग के अधिकारियों को दी गई अंतरिम गिरफ्तारी सुरक्षा को जरुरी शर्तों के साथ स्थायी कर दिया है। डिवीजन बेंच ने यह आदेश आरोपी आबकारी अधिकारियों के विरुद्ध दर्ज मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के मामलों में सुनवाई के दौरान पारित किया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमल्या बागची की डिवीजन बेंच ने यह आदेश सभी पक्षों के अधिवक्ताओं की सुनने के बाद सुनाया है।

डिवीजन बेंच ने घोटाले में संलिप्त आबकारी अफसरों को राहत देते हुए साफ किया कि याचिकाकर्ता अधिकारी एजेंसियों की जांच में पूरा सहयोग करेंगे और किसी भी स्थिति में गवाहों को प्रभावित करने या सबूतों से छेड़छाड़ करने का प्रयास नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता अफसरों को ट्रायल कोर्ट के समक्ष अपना पासपोर्ट सरेंडर करना होगा। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो सप्ताह का समय दिया है। राज्य की सीमाओं से बाहर जाने से पहले ट्रायल कोर्ट से अनुमति लेनी होगी। बगैर ट्रायल कोर्ट की अनुमति के राज्य की सीमाओं से बाहर जाने पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच ने निर्देशित किया है कि सुनवाई के दौरान अनिवार्य रूप से उपस्थिति दर्ज करानी होगी। अगर वे अनुपस्थित रहते हैं तो इसे जमानत की शर्तों का उल्लंघन माना जाएगा और इसे दुरुपयोग के रूप में देखा जाएगा

इन शर्तों का करना होगा

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लिखा है कि याचिकाकर्ता अधिकारियों को जांच अधिकारी के समक्ष आवश्यकतानुसार उपस्थित होना होगा। यदि जांच के दौरान कोई अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करनी हो तो उसमें सहयोग देना अनिवार्य होगा। याचिकाकर्ता अधिककारियों को अपने मोबाइल नंबर जांच अधिकारियों को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। ऐसा इसलिए कि जांच के दौरान जरुरत पड़ने पर जांच एजेंसी के अफसर संपर्क कर सके।

पूर्व मंत्री लखमा की याचिका पर दो सप्ताह बाद होगी सुनवाई

आबकारी घोटाले में जेल में बंद पूर्व मंत्री व कोंटा के विधायक कवासी लखमा ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। कवासी लखमा व ईडी से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए कोर्ट ने दो सप्ताह बाद की तिथि तय कर दी है।

क्या है शराब घोटाला

वर्ष 2019 से 2022 के बीच छत्तीसगढ़ में दाे हजार करोड़ से अधिक का शराब घोटाला किया गया। आरोप है कि आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने एक सिंडिकेट के साथ मिलीभगत कर अवैध रूप से शराब की बिक्री कराई और इस प्रक्रिया में भारी कमीशन वसूला। जांच एजेंसियों के अनुसार 3200 करोड़ का घोटाला किया गया। घाेटाले से जुड़े आबकारी अफसरों की याचिका पर सुनवाई के बाद स्पेशल कोर्ट और हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया था।

हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए आबकारी अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट से अफसरों को गिरफ्तारी से अंतरिम राहत मिली थी। सुप्रीम कोर्ट ने सशर्त अंतरिम राहत देते हुए ट्रायल कोर्ट के समक्ष आत्मसमर्पण कर जमानत बांड जमा करने का निर्देश दिया था।

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