Bilaspur Highcourt News: सड़कों पर आवारा मवेशियों की समस्या: हाईकोर्ट ने दिए सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का सख्ती से पालन करने के निर्देश

Bilaspur Highcourt News: सड़कों पर मवेशियों की उपस्थिति के चलते हो रहे सड़क हादसों को रोकने के लिए लगी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्य को दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए है।

Update: 2025-11-12 10:19 GMT

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Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। सड़क दुर्घटनाओं के चलते हो रहे पशुओं की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से शपथ पत्र मांगा है। इसके साथ ही विभिन्न बिंदुओं पर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए निर्देश जारी किया है। हाईकोर्ट में इस संबंध में हुई सुनवाई में डिवीजन बेंच ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का आदेश जारी किया है।

मवेशियों के चलते हो रही सड़क दुर्घटनाओं पर लगी जनहित याचिकाओं पर चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच में सुनवाई चल रही है। सुनवाई के दौरान बेंच को सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी इसी मामले का संज्ञान लेकर सुनवाई करने की जानकारी दी गई। बताया गया कि सात नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सात नवंबर को विभिन्न बिंदुओं पर आदेश जारी कर इसके परिपालन में देश के सभी राज्यों के मुख्य सचिवों से शपथ पत्र मांगा है। 13 जनवरी को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई करने वाला है। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई लंबित रहने के कारण हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने के बाद 19 जनवरी को अगली सुनवाई रखी हैं,वही सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देशों का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है।

हाईकोर्ट के पिछले आदेश के पालन में मुख्य सचिव ने 10 नवंबर को अपना व्यक्तिगत शपथ पत्र प्रस्तुत किया। बताया कि 24 और 25 अक्टूबर को वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर सड़कों से आवारा पशु हटाने के लिए कई फैसले लिए गए हैं। सभी शहरी क्षेत्रों में कांजी हाउस सक्रिय किए जा रहे हैं। खराब हो चुके कांजी हाउस की मरम्मत के निर्देश दिए गए हैं। शिकायत के लिए दो टोल-फ्री नंबर जारी किए गए हैं।

शहर और एनएच के लिए टोल फ्री नंबर जारी

शहरी क्षेत्रों के लिए 1100 और राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए 1033 टोल फ्री नंबर है। इन नंबरों पर मिली शिकायत पर तुरंत कार्रवाई करते हुए पशुओं को कांजी हाउस या गौशाला भेजा जाएगा। कलेक्टर और संभागीय आयुक्त हर हफ्ते समीक्षा करेंगे। हादसा रोकने में लापरवाही पाए जाने पर टोल ठेकेदार जिम्मेदार होगा। सभी टोल प्लाजा के एग्रीमेंट में यह शर्त जोड़ी जाएगी कि सड़कों को पशुओं से मुक्त रखना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।

एक महीने का विशेष अभियान चलाया जाएगा

मुख्य सचिव ने बताया कि राज्य सरकार अब एक महीने का विशेष अभियान भी चलाएगी, जिसमें दिन-रात कार्रवाई होगी। इसकी जानकारी अखबार, सोशल मीडिया और डिजिटल माध्यमों से दी जाएगी। फसलों अवशेष जलाने को लेकर भी प्रावधानों के तहत सख्ती से कार्रवाई होगी। वहीं, पीडीएस के तहत चावल की जगह धान या सब्सिडी पर चारा देने के सुझाव को नियमों के खिलाफ बताया गया।

सिर्फ ड्राफ्ट न बनाएं, जमीन पर लागू करें

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि आप लोग योजनाएं और निर्देश बनाते हैं, लेकिन लागू कौन कर रहा है? सड़कें अंधेरे में डूबी रहती हैं। हर दिन हादसे हो रहे हैं और सिर्फ रिपोर्ट भरकर खानापूर्ति की जा रही है। सुरक्षा और मॉनिटरिंग का हाल खराब है।

दुर्घटना से घायल मवेशियों के लिए कोई सिस्टम नहीं

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि बछड़े को गाड़ी ने टक्कर मारी। लोगों ने मदद के लिए कॉल किया लेकिन, कोई अधिकारी नहीं पहुंचा। टोल नंबर पर फोन करने पर किसी ने रिसीव नहीं किया। वेटनरी हॉस्पिटल फोन करने पर कोई जवाब नहीं मिला। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि अगर अस्पतालों में इलाज की सुविधा नहीं तो रिपोर्ट झूठी है।

सुप्रीम कोर्ट के इन आदेशों का करना होगा पालन

  • राजमार्ग, एक्सप्रेस-वे और शहर की सड़कों से पशुओं को हटाना अनिवार्य।
  • संयुक्त अभियान चलाकर पशुओं को गौशालाओं और कैटल पाउंड में भेजा जाए।
  • 24×7 हाईवे पेट्रोलिंग टीम बनाकर मॉनिटरिंग की जाए।
  • हर हाईवे पर स्थायी हेल्पलाइन नंबर लगाए जाएं।
  • आदेशों के पालन में लापरवाही पर अधिकारी खुद जिम्मेदार होंगे।
  • 8 हफ्तों में सुप्रीम कोर्ट में पालन पर रिपोर्ट देनी होगी।

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