UP News: CM योगी का बड़ा फैसला! अब बिना विवाद के संपत्ति का हो सकेगा आसानी से बंटवारा, सरकार लाएगी सेटेलमेंट का नया फार्मूला, पढ़िए

UP News: संपत्ति विवाद पर अंकुश लगाने के लिए उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.

Update: 2024-08-06 11:33 GMT

UP News: संपत्ति को लेकर विवाद होना आम बात है. कई बात संपत्ति को लेकर विवाद इतना बढ़ जाता है. लोग अपराध पर उतर आते है. पिछले कुछ समय से संपत्ति विवाद बढ़े है. ऐसे में इसपर अंकुश लगाने के लिए उत्तरप्रदेश की योगी सरकार ने बड़ा फैसला लिया है.  

दरअसल, संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापन के लिए नई व्यवस्था जल्द ही लागू होने जा रही है. इससे किसी विवाद के पीढ़ियों की संपत्तियों का बंटवारा आसानी से हो सकेगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिए हैं कि एक परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे और जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क 5,000 रुपये तय किया जाए. 

मुख्यमंत्री ने कहा कि देय स्टाम्प शुल्क 5,000 रुपये होने से पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में बड़ी सुविधा मिलेगी. क्योकि अधिक खर्च के कारण परिवार में विभाजन के दौरान विवाद की स्थिति बनती है. ऐसे में अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिवार के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क भी 5,000 रुपये किये जाने से आम लोगो को आसानी होगी. 

सीएम योगी ने आगे कहा,कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज ऑफ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किए गए हैं। संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और सुविधा होगी. 

क्या होता है विभाजन

  • विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं विभाजन उनके मध्य होता है।
  • विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा / भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं।

क्या है व्यवस्थापन

  • व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार (जीवित) अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है।
  • व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है। अर्थात सम्पत्ति यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी किया जा सकता है।

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