India vs Aus Final 2023: फाइनल में हमेशा भारत पर भारी रहा है ऑस्ट्रेलिया- जानिए वजह

India vs Aus Final 2023: क्रिकेट और हॉकी दो ऐसे खेल हैं जिसमें किसी भी टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है ऑस्ट्रेलिया को हराना. ऑस्ट्रेलिया को हराना तब और भी मुश्किल हो जाता है जब वो मैच फाइनल हो...

Update: 2023-11-18 11:10 GMT

India vs australia 

India vs Aus Final 2023: क्रिकेट और हॉकी दो ऐसे खेल हैं जिसमें किसी भी टीम के लिए सबसे बड़ी चुनौती है ऑस्ट्रेलिया को हराना. ऑस्ट्रेलिया को हराना तब और भी मुश्किल हो जाता है जब वो मैच फाइनल हो. यही कारण है जब कल ऑस्ट्रेलिया और साऊथ अफ्रीका के बीच दूसरा सेमी फाइनल खेला जा रहा था तो मैं साऊथ अफ्रीका की जीत की कामना कर रहा था ताकि भारत को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ फाइनल न खेलना पड़े. ऐसा इसलिए नहीं कि वर्तमान ऑस्ट्रलियाई टीम इस सदी की शुरुआत की ऑस्ट्रलियाई टीम की तरह बहुत शक्तिशाली है, बल्कि इसलिए कि ये टीम भी विगत की अन्य ऑस्ट्रलियाई टीमों की तरह मानसिक रूप से बहुत मजबूत है और उन टीमों की तरह ही ये विपक्षी टीमों पर मैच के शुरू होने से पहले ही मनोवैज्ञानिक दबाव डालने में कामयाब हो जाती है. हालाँकि भारत वर्तमान विश्वकप के अपने पहले ही मैच में ऑस्ट्रेलिया को हरा चुका है, पर इस चलते फाइनल में ऑस्ट्रेलियाई चुनौती को हलके में नहीं ले सकता है, खासकर अब तक के फाइनल मैचों में उनके रिकॉर्ड को देखते हुए.

ऑस्ट्रेलिया अब तक विश्व कप में 7 फाइनल खेल चूका है जिसमें से वो 5 फाइनल मैचों में विजयी रहा है. इसमें 1987 में खेला गया फाइनल भी है. 1987 के विश्व कप से पहले अपेक्षाकृत एक नयी और कमजोर ऑस्ट्रलियाई टीम को कप जीतने का दावेदार नहीं माना जा रहा था, पर उसने सेमी फाइनल में पहले पाकिस्तान और फिर फाइनल इंग्लैंड जैसी शक्तिशाली टीमों को हराकर कप जीत लिया. विश्व कप के फाइनल में अब तक इसे सिर्फ 1975 में वेस्ट इंडीज, जो उस जमाने में बेहद शक्तिशाली टीम हुआ करती थी, और 1996 में श्रीलंका ही हरा पायी है. 1999 से 2007 तक , जब कि विश्व क्रिकेट में ऑस्ट्रेलिया नंबर 1 टीम थी, उसने लगातार तीन विश्व कप का ख़िताब जीता था. इस दौरान 2003 का फाइनल भला कौन भारतीय क्रिकेट प्रेमी भूला होगा. लगातार 9 मैच जीतकर भारत फाइनल में पहुंची थी, पर वहां उसे ऑस्ट्रेलिया के हाथों पराजय का मुंह देखना पड़ा और 20 साल बाद विश्व कप जीतने का भारत का सपना टूट गया था. हालाँकि भारत ने 2011 ऑस्ट्रेलिया को क्वार्टर फाइनल में हराकर उस हार का बदला ले लिया था और बाद में 28 वर्षों के बाद विश्व कप एक बार अपने नाम किया. पर 2015 में अपेक्षाकृत कमजोर ऑस्ट्रलियाई टीम के हाथों उसे एक बार फिर सेमी फाइनल में हार का मुंह देखना पड़ा था. बाद में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को मात देकर 5 वीं बार विश्व कप के ख़िताब पर कब्ज़ा किया था.

विश्व कप में भारत और ऑस्ट्रेलिया का पहली बार आमना-सामना 1983 के विश्व कप में हुआ था. बॉर्डर, येलप, ह्यूज, लिली, थोमसन, मार्श जैसे स्टार खिलाडियों से सजी मजबूत ऑस्ट्रलियाई टीम ने भारत को पहले लीग मैच में 162 रनों से हरा दिया था, पर भारत ने दुसरे लीग मैच में 118 रनों से हराकर न सिर्फ उस हार का बदला ले लिया बल्कि सेमी फाइनल में भी जगह बनायी. 1987 में एक बार फिर ये ग्रुप मैचों में दो बार भिड़े और दोनों टीम 1-1 मैच में विजयी रही. इसके बाद 2011 तक भारत 5 मुकाबलों में एक बार भी विजयी नहीं रहा. 2023 के लीग मैच की तरह 2019 में भी भारत लीग मैच में ऑस्ट्रेलिया को हारने में सफल रहा था. विश्व कप के मैचों में अब तक दोनों टीमों के बीच 13 मैच खेले गए हैं जिसमें ऑस्ट्रेलिया की टीम 8 बार विजयी रही है, जबकि भारत 5 बार.

21 वीं सदी के शुरुआत से भारत बनाम ऑस्ट्रेलिया के मुकाबलों को उतना ही बड़ा माना जाता है जितना एशेज के मुकाबले या भारत बनाम पाकिस्तान के मुकाबले. इसकी शुरुआत 2001 के उस ऐतिहासिक श्रृंखला से हुई जिसे भारत के दौरे पर आई हुई ऑस्ट्रलियाई टीम के कप्तान स्टीव वॉ ने ''लास्ट फ्रंटियर'' की संज्ञा दी थी. इस श्रृंखला में लगातार 16 टेस्ट मैचों में विजयी ऑस्ट्रलियाई टीम का विजयी रथ भारत ने रोक लिया था.इसके बाद से सदी के पहले दशक तक, जब तक ऑस्ट्रलियाई टीम का विश्व क्रिकेट में 80 के दशक के वेस्ट इंडीज के टीम जैसा दबदबा रहा, भारत ही एक मात्र ऐसी टीम थी जिसने ऑस्ट्रलियाई का न सिर्फ डटकर मुकाबला किया बल्कि बाद में उसे 2008 में अपदस्त करके नंबर 1 टीम बनी.इसलिए जब 2003 में दोनों टीमों का मुकाबला हुआ तो दोनों देशों के क्रिकेट प्रेमियों की भावनाएँ अपने चरम पर थी. ये दोनों देशों के बीच खेला जाने वाला अब तक का एकमात्र विश्व कप फाइनल है. टेस्ट चैम्पियनशिप के फाइनल में इसी साल दोनों टीमों का मुकाबला हुआ पर इसमें भी ऑस्ट्रेलिया ही विजयी रहा था.

2003 की तरह 2023 में एक बार फिर से 20 साल बाद दोनों देश खिताबी मुकाबले में आमने-सामने हैं. पर इस बार समीकरण बिलकुल बदला हुआ है. 2003 में फाइनल तक के सफ़र में ऑस्ट्रलियाई टीम अजेय रही थी, वहीँ भारत ऑस्ट्रेलिया से हारने के बाद लगातार 9 मैच जीतकर फाइनल में पहुंचा था.जबकि इस साल फाइनल तक के सफ़र में भारतीय टीम अजेय रही है जबकि ऑस्ट्रेलिया पहले भारत और दक्षिण अफ्रीका से हारने के बाद लगातार 8 मैच जीतकर फाइनल में पहुंची है. इस आधार पर जहाँ 2003 में मनोवैज्ञानिक बढ़त ऑस्ट्रेलिया के पास थी, तो इस बार वो बढ़त भारत के पास है. फॉर्म के आधार पर 2003 में जहाँ ऑस्ट्रेलिया की टीम सबसे मजबूत नजर आ रही थी, तो इस बार भारत की टीम सबसे अधिक मजबूत नजर आ रही है.

पर जहाँ 2003 में फाइनल के शुरू होने से पहले ही भारतीय टीम एक तरह से जीतना को लगभग नामुमकिन समझ लिया था, वहीं ऑस्ट्रेलिया टीम कभी भी इस मानसिकता से किसी भी मैच को नहीं खेलती है. उनके क्रिकेट का इतिहास ही रहा है कभी हार न मानना. वे लगभग असंभव परिस्थितियों से इसी मानसिकता के चलते मैच जीत लेते हैं. इसका उदहारण इस विश्व कप में उनका अफगानिस्तान से खिलाफ मैच है जिसमें उन्होंने नामुमकिन को मुमकिन बनाकर सेमी फाइनल में अपनी जगह पक्की की थी. कल के मैच में भी अपने इसी मनोबल के चलते वे दक्षिण अफ्रीका को हारने में सफल रहे थे. भारत के लिए अच्छी खबर ये है कि विगत 20 सालों के आपसी मुकाबलों में भारत की टीम ने भी ऑस्ट्रिया से ये चीज सीख ली है. यही कारण है कि पहले 2018 में और फिर 2021 में ऑस्ट्रेलिया को उसी के मैदानों पर भारत हारने में सफल रही है.

तुलनात्मक रूप से देखें तो दोनों टीमें काफी मजबूत और संतुलित नजर आ रही है. अगर भारत के पास रोहित शर्मा, सुबमन गिल, विराट कोहली, श्रेयस अय्यर, राहुल के रूप में बल्लेबाजी का मजबूत क्रम है तो ऑस्ट्रेलिया के पास वार्नर, हेड, लाबुशेन, स्मिथ, मैक्सवेल के रूप में लगभग उतनी ही मजबूत बल्लेबाजी है. पर जहाँ भारत एक बड़े टेल के साथ रविवार के मैच में उतरेगा, ऑस्ट्रेलिया के पुछल्ले बल्लेबाज भी रन बनाने में सफल रहते हैं. कल के सेमी फाइनल में ये नजर भी आया जब स्टार्क और कप्तान कमिंस ने 8 वें विकेट के लिए 20 रन जोड़कर ऑस्ट्रेलिया को 3 विकेट से विजयी बनाया था. उसी तरह अगर भारत के पास बुमराह, शमी और सिराज के रूप में तेज गेंदबाजों की तिकड़ी है तो ऑस्ट्रेलिया के पास स्टार्क, कमिंस और हेजलवुड की तिकड़ी के रूप में उसका जवाब है. अलबत्ता स्पिन गेंदबाजी में भारत के कुलदीप और जड़ेजा ऑस्ट्रलियाई स्पिन गेंदबाजों जैम्पा और मैक्सवेल पर भारी पड़ते नजर आ रहे हैं. दोनों टीमों के फॉर्म को देखते हुए लगता है कि टॉस की भूमिका काफी अहम रहेगी. भारत 2003 की तरह लक्ष्य का पीछा करना शायद ही चाहेगा, भले ही उसने लीग मैच में ऑस्ट्रेलिया को लक्ष्य के पीछा करके ही हराया है क्योंकि 2003 के अनुभव ने उसे सिखा दिया है कि फाइनल के दवाब में ऐसा करना कितना कठिन है. फिर भी फॉर्म के आधार पर भारत ऑस्ट्रेलिया से मजबूत नजर आ रही है है और उम्मीद यही है कि आगामी रविवार को होने वाले फाइनल में भारत ऑस्ट्रेलिया को हराकर 2003 के फाइनल में हुई हार का बदला लेकर तीसरी बार विश्व कप के ख़िताब पर कब्ज़ा कर लेगा. पर क्या ऐसा होगा?

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