बयान: हॉकी टीम के गोलकीपर श्रीजेस ने कहा भारत के लिए 2024 ओलंपिक खेलना चाहता हूं, लेकिन कई चुनौतियों से निपटना मुश्किल
भारतीय हॉकी टीम के गोलकीपर आर श्रीजेश ने कहा है कि वो पेरिस ओलंपिक तक भारत के लिए खेलना चाहते हैं, लेकिन उनके लिए यह आसान नहीं होगा। शनिवार को श्रीजेश ने बताया कि 2024 तक अपनी फिटनेस बनाए रखना और लगातार अच्छा प्रदर्शन करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। अंतर्राष्ट्रीय हॉकी महासंघ ने हाल ही में 33 साल के श्रीजेश को बेस्ट गोलकीपर का अवॉर्ड दिया था। उन्होंने टोक्यो ओलंपिक में भारत को कांस्य पदक जिताने में अहम भूमिका निभाई थी।
जब श्रीजेश से पूछा गया कि क्या वो पेरिस ओलंपिक में खेलना चाहेंगे तो इसके जवाब में उन्होंने कहा “कोई भी खिलाड़ी ओलंपिक को न नहीं कहेगा। हम सब लालची हैं। मेरी कोशिश हमेशा कड़ी मेहनत करने की रहेगी और मैदान में अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करूंगा। मैं पिछले 21 सालों से हॉकी खेल रहा हूं। इसलिए में हमेशा एक और मैच खेलना चाहूंगा। इसलिए जब तक मेरी टीम के खिलाड़ी मुझे बाहर नहीं कर देते, मैं टीम में रहना चाहूंगा।”
खिलाड़ी किसी बात की गारंटी नहीं दे सकते
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के दौरान श्रीजेश ने कहा कि एक खिलाड़ी के जीवन में कुछ भी निश्चित नहीं होता है। वह चोटिल हो सकता है, उसका प्रदर्शन खराब हो सकता है या दूसरे खिलाड़ी उससे बेहतर कर सकते हैं। 2020 ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने के बाद श्रीजेश के साथी खिलाड़ी रुपिंदर पाल सिंह, बिरेन्द्र लाकरा और एसवी सुनील संन्यास ले चुके हैं। वहीं जब भारतीय हॉकी टीम के कप्तान मनप्रीत सिंह से श्रीजेश को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा “वो हमारी टीम के साथ पेरिस जाएंगे। श्रीजेश सबसे बेहतरीन गेलकीपर हैं इसलिए हम उन्हें ओलंपिक में खेलते देखना चाहेंगे। हमें उन पर भरोसा है, लेकिन उनकी फिटनेस और प्रदर्शन पर काफी कुछ निर्भर करता है।”
2024 में दोनों टीमें जीतेंगे मेडल
श्रीजेश ने कहा कि पेरिस ओलंपिक में भारत की पुरुष और महिला हॉकी टीमें मेडल जरूर जीतेंगी, लेकिन आगे की राह काफी मुश्किल होने वाली है। उन्होंने कहा “हमारी कोशिश होगी कि पेरिस में और बेहतर प्रदर्शन करके सिल्वर या गोल्ड मेडल जीतें। हालांकि यह आसान नहीं होगा। हमने 41 साल बाद मेडल जीता है और इसके बाद भारतीय फैंस काफी उम्मीदों के साथ हमें ओलंपिक में भेजेंगे। हमने अब यह साबित कर दिया है कि हम जीत सकते हैं। इसलिए पेरिस में उम्मीदें ज्यादा होंगी। इस बाद महिला टीम दुर्भाग्य से मेडल नहीं जीत पाई, लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि पेरिस में उनके पास भी मेडल होगा।”
विरोधियों को देखकर अपनी रणनीति बनाई
कांस्य पदक के मैच में श्रीजेश ने आखिरी क्षणों में गोल रोककर भारत को जीत दिलाई थी। उन्होंने आखिरी छह सेकेंड याद करते हुए कहा “जब हमने वो पेनाल्टी कॉर्नर दिया तब मुझे लगा कि अब क्या होगा। यह मैच हमारी पकड़ से जा सकता था, लेकिन सोचने के लिए ज्यादा समय नहीं था। हमें यह पेनाल्टी कॉर्नर बचाना था। मैं विरोधी खिलाड़ियों को देखकर अपनी रणनीति बना रहा था। एक गोलकीपर के रूप में मेरे दिमाग में कई बातें चल रही थी। मैं सोच रहा था कि मैं इतने लंबे समय से गोलकीपिंग कर रहा हूं। मुझे यह गोल रोकना होगा।”