बर्ड फ्लू से पोल्ट्री फार्म संचालक की हालत ख़राब: 160 रुपए प्रति किलो से घटकर हुआ अब इतना सस्ता….अंडे के दामों में भी आई गिरावट

Update: 2021-01-09 09:01 GMT

संदीप कुमार NPG.NEWS

रायपुर 9 जनवरी 2020। बर्ड फ्लू को लेकर राजधानी रायपुर के पोल्ट्री फार्म की निगरानी की जा रही है। हालांकि अभी छत्तीसगढ़ में मुर्गी और बत्तख में अभी बर्ड फ्लू के लक्षण नहीं पाए गए हैं। हालांकि दूसरे राज्यों में बर्ड फ्लू को देखते हुए रायपुर जिला स्तरीय अधिकारियों को अतिरिक्त सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। वहीँ अब बर्ड फ्लू की दहशत ने पोल्ट्री फॉर्म से जुड़े रायपुर के कारोबारियों की चिंता बढ़ा दी है। कई राज्यों में मुर्गी में बर्ड फ्लू की पुष्टि के चलते राजधानी में चिकन के कारोबार में 25 से 30 प्रतिशत तक की गिरावट आ चुकी है। हालांकि अंडे की खपत में 1 रूपए की गिरावट आई है। रायपुर में पहले प्रतिदिन 100 टन तक चिकन की खपत होती थी, जो कोरोना के चलते घटकर 60 टन रोजाना पर आ गई थी। इसके बाद अब बर्ड फ्लू की दहशत के चलते एक हफ्ते में ये घटकर 80 टन रोजाना पर पहुंच गई है। इसकी वजह से पोल्ट्री फार्म व्यावसायियों ने 160 रुपए किलो पर बिक रहे चिकन बॉयलर के दाम घटाकर 140 रुपए कर दिए हैं।

दाम हुए कम: तेलीबांधा स्थित न्यू पोल्ट्री फार्म के संचालक रोशन फुंड के मुताबिक जिंदा चिकन सप्लाई 1 टन से आधे टन तक प्रतिदिन पर आ गई है। डीलर्स को एक किलो का जो मुर्गा 160 रुपए के दाम पर मिल रहा था, अब वाह 140 रुपए किलो के हिसाब से मिल रहा है। बिक्री भी थोड़ी कम हो गई है। अंडा पहले थोक में 5. 35 था वो अब मार्केट में 4.60 रूपए हो गया है। साथ ही पहले ग्राहकों को जो अंडा साढ़े छह रूपए में बेचा जा रहा था वो अब साढ़े पांच रूपए हो गया है।

वहीँ पोल्ट्री फार्म से जुड़े एक और व्यवसायी का कहना है कि, सरकार बर्ड फ्लू से प्रभावित राज्यों की सीमाओं को सील करें, क्योंकि पोल्ट्री व्यापार से जुड़े कारोबारी प्रदेश की सीमाओं के बाहर से चोरी छिपे सस्ते दाम पर माल ला रहे हैं। इसी वजह से यहां बर्ड फ्लू फैलने का खतरा बना हुआ है। प्रदेश के किसी भी पोल्ट्री फार्म में अभी इस बीमारी की दस्तक नहीं दी है और राजधानी रायपुर में भी इसका खतरा ना के बराबर है

पशुपालन विभाग के अफसरों ने बताया कि बॉयलर को यदि आप 70 डिग्री के ऊपर पकाते या उबालते हैं तो बर्ड फ्लू का संक्रमण उसमें से खत्म हो जाता है। अभी तक बॉयलर से मानव में इसके पहुंचने की कोई पुष्टि नहीं हुई है।

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