MP के इंदौर में चूहा कांड: मासूमों की मौत पर भड़का गुस्सा; युवाओं ने MYH अस्पताल का किया घेराव, दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग

मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय हॉस्पिटल में हुए चर्चित चूहा कांड को लेकर बड़ा अपडेट सामने आया है।

Update: 2025-09-21 12:17 GMT

(NPG FILE PHOTO)

भोपाल। मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय हॉस्पिटल में हुए चर्चित चूहा कांड को लेकर जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है। रविवार को जय आदिवासी युवा शक्ति (जयस) संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के मुख्य गेट पर जोरदार प्रदर्शन किया। उनका आरोप है कि, अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण दो नवजात बच्चियों की दर्दनाक मौत हुई, जो मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है।

प्रदर्शन की शुरुआत

दोपहर 12 बजे से जयस कार्यकर्ता अस्पताल के गेट पर जुटने लगे। कुछ ही देर में नारेबाजी शुरू हो गई दोषियों को सस्पेंड करो, मासूमों को न्याय दो, भ्रष्टाचार बंद करो जैसे नारों से माहौल गरमा गया।

कार्यकर्ताओं ने अस्पताल प्रशासन के खिलाफ जमकर आक्रोश जताया। जयस के राष्ट्रीय अध्यक्ष लोकेश मुजाल्दा ने कहा, इंदौर में घटित चूहाकांड ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है। यह सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि सिस्टम की नाकामी और भ्रष्टाचार का नतीजा है। मासूमों की जान गई और अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।

मांगें और चेतावनी

जयस ने अपनी मांगों में स्पष्ट किया कि, डीन, सुपरिटेंडेंट और अन्य जिम्मेदार अधिकारियों को तत्काल सस्पेंड किया जाए और उन पर गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन चरणबद्ध तरीके से और तेज किया जाएगा।

लोकेश ने कहा, यह आंदोलन सिर्फ न्याय की मांग नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य तंत्र की जवाबदेही तय करने का प्रयास है। अगर आज कार्रवाई नहीं हुई तो कल फिर किसी मासूम की जान जा सकती है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

कुछ देर बाद अस्पताल के डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया और एसडीएम प्रदीप सोनी मौके पर पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की, लेकिन जयस कार्यकर्ताओं ने साफ कहा कि जब तक लिखित आश्वासन नहीं मिलता, आंदोलन जारी रहेगा।

क्या है चूहा कांड?

आपको बता दें कि, अभी हाल ही मध्य प्रदेश के इंदौर में 1 सितंबर को एमवाय अस्पताल में भर्ती दो नवजात बच्चियों को चूहों ने कुतर दिया था। दोनों बच्चियों की हालत गंभीर हो गई और बाद में उनकी मौत हो गई। इस घटना ने पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी थी। अस्पताल प्रशासन ने पहले दावा किया कि, मौतें गंभीर बीमारी से हुईं, लेकिन जांच में सामने आया कि, चूहों के काटने से बच्चियों की हालत बिगड़ी थी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने भी इस मामले में नोटिस जारी कर रिपोर्ट मांगी थी।

सफाई कंपनी पर कार्रवाई

हाईकोर्ट ने इस मामले को गंभीर मानते हुए सरकार को 15 सितंबर तक स्टेटस रिपोर्ट देने का आदेश दिया था। सफाई और पेस्ट कंट्रोल की जिम्मेदार निजी कंपनी एजाइल सिक्योरिटी का अनुबंध रद्द कर दिया गया है। पीडियाट्रिक विभाग के एचओडी को हटाया गया और प्रभारी एचओडी को सस्पेंड किया गया।

जयस ने साफ कर दिया है कि, जब तक दोषियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होती, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने चेतावनी दी है कि, अगर सरकार ने जल्द कदम नहीं उठाए तो प्रदेशभर में आंदोलन फैलाया जाएगा। फिलहाल, इस घटना पर लगातर अपेट्स जारी है।

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