High Court Guidelines for School Buses: नहीं चलेंगी 12 साल पुरानी बस, स्कूली बसों को लेकर हाईकोर्ट का सख्त निर्देश, जानिए नई गाइडलाइन
High Court Guidelines for School Buses:मध्य प्रदेश में स्कूल बसों से हो रहे के हादसों को देखते हुए हाईकोर्ट ने स्कूली बसों के लिए नई गाइडलाइन जारी की है.
High Court Guidelines for School Buses: मध्य प्रदेश में स्कूल बसों से हो रहे के हादसों को देखते हुए हाईकोर्ट की इंदौर बैंच ने एक बड़ा फैसला लिया है. जिसमें हादसों को गंभीरता और बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हाईकोर्ट ने नई गाइडलाइन जारी की है.
हाईकोर्ट ने गाइडलाइन जारी करते हुए प्रदेश सरकार को निर्देश दिए है. यह फैसला 2018 में हुए डीपीएस स्कूल बस हादसे से जुड़ी याचिकाओं पर आया है. इसके तहत एमपी मोटर व्हीकल एक्ट-1994 में स्कूल बस रजिस्ट्रेशन, संचालन व प्रबंधन के लिए नियमों का प्रावधान किया जाना अनिवार्य है. हाईकोर्ट ने गाइडलाइन का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं. इसके अलावा कुछ और गाइडलाइन भी मिले है आइए जानते हैं...
क्या है निर्देश...
हाईकोर्ट ने स्कूल बसों के हादसों को देखते हुए सख्त निर्देश दिए हैं. इसके तहत प्रदेश में कोई भी स्कूलों में 12 साल पुरानी बसें नहीं चलाई जाएगी. सभी बसों में स्पीड गवर्नर, जीपीएस और सीसीटीवी कैमरे अनिवार्य है. जिससे बसों को कंट्रोल में रखा जा सकें. इतना ही नहीं स्कूल बस में स्कूल का एक शिक्षक भी हो. जिसे बच्चे के आखिरी स्टॉप तक होना जरुरी है. अगर कोई छात्र ऑटो रिक्शा सेसे आना जाना करता है तो इसका ध्यान रखा जाए कि ड्राइवर सहित ऑटो रिक्शा में चार लोग ही बैठे. लोगो के बीच आरटीओ, डीएसपी-सीएसपी ट्रैफिक इन गाइडलाइन नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए.
ये भी है गाइडलाइन में शामिल
बस की खिड़की पर ग्रिल हो, साथ ही फर्स्ट एड किट व अग्निशमन यंत्र होना जरूरी है. साथ ही फिल्म व रंगीन ग्लास का उपयोग नहीं करें.
स्कूल प्रबंधन को ड्राइवर व कंडक्टर का मेडिकल चेकअप करवाना होगा साथ ही और आपराधिक गतिविधियों पर नजर ररखना होगा.
बस का रंग पीला होना चाहिए जिसपर स्कूल बस या ऑन स्कूल ड्यूटी लिखा जाए. उसपर स्कूल का नाम, पता, टेलिफोन व व्हीकल इंचार्ज का मोबाइल नंबर की पट्टी लगाएं.
अनुबंधित बसों के पास मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार फिटनेस प्रमाण पत्र होना चाहिए. बसों में बीमा, परमिट, पीयूसी व टैक्स रसीद रखी जाए.
बस सहायक को स्कूल प्रबंधन की तरफ से इमर्जेंसी उपयोग व बच्चों को बैठाने-उतारने का प्रशिक्षण दिया जाए.
ड्राइवर के पास स्थाई लाइसेंस व 5 साल का अनुभव हो. ऐसे ड्राइवर नियुक्त न करें जिनका ओवर स्पीडिंग, नशा करके चलाने जैसे नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना या चालान किया गया हो.