E Rickshaw Ban In Bhopal: ई-रिक्शा से स्कूल आने-जाने पर लगी रोक, बच्चों की सुरक्षा को लेकर लिया गया फैसला

Schooli Baccho Ke Liye E Rickshaw Ban: भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से स्कूली बच्चों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अब सोमवार 21 जुलाई 2025 से शहर के स्कूली बच्चों का ई रिक्शा ले स्कूल आना-जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह निर्णय कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।

Update: 2025-07-20 11:11 GMT

Schooli Baccho Ke Liye E Rickshaw Ban: भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से स्कूली बच्चों के लिए एक बड़ी खबर सामने आई है। अब सोमवार 21 जुलाई 2025 से शहर के स्कूली बच्चों का ई रिक्शा ले स्कूल आना-जाना पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है। यह निर्णय कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह द्वारा सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। 

फैसले के पीछे की वजह

शहर में ई रिक्शा लंबे समय से बच्चों के ट्रांसपोर्ट के रूु में इस्तेमाल हो रहे थे, लेकिन अब इनकी सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रशासन का कहना है कि ई-रिक्शा अक्सर क्षमता से ज्यादा बच्चों को लादकर चलते हैं। इनमें न तो बेल्ट होती है, न ही किसी तरह की इमरजेंसी सुरक्षा। इनके पलटने की घटनाएं भले भोपाल में अभी नहीं हुईं, लेकिन अन्य शहरों में हो चुकी हैं। इस आधार पर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) को सभी स्कूलों को सूचित करने का निर्देश दिया गया है कि ई-रिक्शा अब बच्चों के लिए प्रतिबंधित होंगे।

सांसद की बैठक से निकला बड़ा एक्शन

बीते शुक्रवार को भोपाल सांसद आलोक शर्मा की अध्यक्षता में ट्रैफिक सुधार पर विशेष बैठक बुलाई गई थी। बैठक में स्कूल ट्रांसपोर्ट को लेकर कई चिंताएं सामने आई। कलेक्टर ने सुझाव दिया कि छोटे बच्चों को असंतुलित वाहनों में भेजना अस्वीकार्य है। एक्सपर्टस और ट्रैफिक पुलिस की राय से सहमति मिलने के बाद आदेश अमल में लाया गया।

अब क्या होगा?

सोमवार से प्रशासनिक टीमें स्कूलों में जाकर निगरानी करेंगी। स्कूल प्रबंधन से बात कर यह जाना जाएगा कि किन बच्चों को ई रिक्शा ले लाया जा रहा है।ऐसे अभिभावकों को वैकल्पिक व्यवस्था करनी होगी। ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की निगरानी में प्रतिबंध का पालन सुनिश्चित किया जाएगा।

कितने ई-रिक्शा हैं भोपाल में?

ट्रैफिक विभाग के अनुसार भोपाल में करीब 12,500 ई-रिक्शा रजिस्टर्ड हैं। हालांकि इनमें से कोई भी स्कूल से अटैच नहीं है, लेकिन निजी स्तर पर बड़ी संख्या में अभिभावक इनका उपयोग करते हैं।

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