Tampons Safe: पीरियड्स के दौरान टैंपोन का इस्तेमाल करती हैं तो जरा सावधानी से, वरना हो सकता है नुकसान...

Update: 2023-08-10 06:23 GMT

Tampons Safe : रायपुर। पीरियड्स से रिलेटेड बातों पर आमतौर पर महिलाएं संकोच करती हैं लेकिन अब जागरुकता आने और हिचक टूटने से यह टैबू नहीं रहा। बात करने से ही नई बातें सामने आती हैं और कई समस्याओं का हल भी मिल जाता है। महिला स्वास्थ्य और महिलाओं के इंटीमेट हाइजीन के लिए लिए ऐसा ही एक प्रोडक्ट है ' टैंपोन '। हालांकि बहुत सी महिलाएं इसका काफी पहले से इस्तेमाल करती आ रही हैं लेकिन कई अब भी इससे अनजान हैं। इस लेख में आपको टैंपोन्स और इसके इस्तेमाल से होने वाली सुविधाओं और दिक्कतों की भी जानकारी मिलेगी।

क्या होते हैं टैंपोन्स?

टैंपोन्स पीरियड्स के दौरान ब्लड फ्लो को सोखने के लिए बनाया गया एक प्रोडक्ट है जो सिलैंड्रिकल शेप का होता है। आपको इसे वजाइना के अंदर डालना होता है। इसमें एक स्ट्रिंग भी लगी होती है जिससे आप इसे बाहर खींच कर फेंक सकती हैं।इसे यूज करने का सही तरीका या तो आप फैमिली में किसी बड़ी महिला से सीख सकती हैं, जिन्हें इसके इस्तेमाल का अनुभव हो या फिर वीडियो देख कर सीख सकती हैं। ये बात तय है कि टैंपोन के इस्तेमाल के बाद आपको असहजता महसूस नहीं होती और आप खेलना, जिम जाना जैसे अपने पसंद के काम करती रह सकती हैं।

अलग- अलग क्षमता के होते हैं टैंपोन्स

टैंपोन्स हैवी, मीडियम और कम फ्लो के हिसाब से अलग -अलग आते हैं। आप अपने फ्लो के हिसाब से इनका चयन कर सकती हैं। इतना ज़रूर है कि आपको 4 से 6 घंटे से अधिक एक टैंपोन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। इसे बदल लेना चाहिए। साथ ही विशेषज्ञों के अनुसार बहुत ज्यादा सोखने की क्षमता वाले टैंपोन का इस्तेमाल कम ही करना चाहिए।

समय का ध्यान रख बदल लें टैंपोन, वर्ना हो सकती है ये बीमारी

अपने टैम्पॉन को बदलने का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी है। ज़्यादा समय तक टैंपोन न बदलने से टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम (TSS) हो सकता है जो एक रेयर लेकिन खतरनाक बीमारी है। विशेषज्ञों के अनुसार कम सोखने वाले टैम्पॉन का इस्तेमाल करना और उन्हें बार-बार बदलना टैम्पॉन के इस्तेमाल का सबसे सुरक्षित तरीका है। इसका कारण यह है कि वजाइना में बैक्टीरिया स्वाभाविक रूप से मौजूद होते हैं। अगर ज्यादा सोखने वाले टेंपोन का इस्तेमाल किया जाए, और ऐसा करके आप सोचें कि अब इसे जल्दी बदलने की ज़रूरत नहीं है तो ये सही नहीं है। लंबे समय तक लगा हुआ छोड़ दिए गए टेंपोन से बैक्टीरिया बढ़ सकते हैं और टीएसएस की वजह बन सकते हैं। वहीं अगर ब्लीडिंग काफी कम है तो पैड का इस्तेमाल बेहतर है क्योंकि तब टैंपोन के इस्तेमाल से यह वजाइना की प्राकृतिक नमी को सोख लेगा और बाहर खींचने के दौरान वजाइना वाॅल में कट लग सकते हैं जो संक्रमित हो सकते हैं और टीएसएस का कारण बन सकते हैं।

ये हैं टीएसएस के लक्षण

टीएसएस एक गंभीर समस्या है और आपको इसका सामना न करना पड़े, इसके लिए सचेत रहिए। टीएसएस के शुरूआती लक्षण हैं तेज बुखार, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, रैशेज़, तेज दर्द आदि वहीं हालत बिगड़ने पर हाई बीपी, उल्टी या दस्त, हाथों पल सनबर्न जैसे दाने,दौरे भी शामिल हैं। हालांकि टीएसएस के मामले बहुत कम देखने में आते हैं लेकिन इनकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इसलिए सावधान रहें। टेंपोन का इस्तेमाल करें तो उसे 4-5 घंटे बाद ज़रूर बदल लें। आपको बता दें कि यदि आपको टीएसएस का सामना करना पड़ता है तो इसका इलाज डाॅक्टर एंटीबायोटिक्स और शाॅक मैनेजमेंट से करते हैं।

पाॅज़िटिव साइड

टेंपोन का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इनके इस्तेमाल के बाद असहजता का अहसास नहीं होता। ऐसा नहीं लगता कि आपने अलग से कोई चीज़ खुद के साथ जोड़ रखी है। मूवमेंट पर दागों का डर नहीं रहता और इनके छोटे आकार के कारण अपने पर्स में रखकर साथ ले जाना आसान है।

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