देशभर में बढ़े 'डेंगू शॉक सिंड्रोम' के मामले! इस मच्छर के काटने से दो दिनों में हो जाती है मौत, जानें क्या है इसके लक्षण और बचाव के नियम

Update: 2025-10-08 11:07 GMT

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हेल्थ डेस्क। अक्टूबर के महीने में मौसम में बदलाव होता है, जिससे डेंगू फैलने का खतरा बढ़ जाता है। देशभर में डेंगू के मामले बढ़ने की ख़बरें सामने आ रही हैं। हाल ही में नोएडा में एक व्यक्ति की मौत भी हो गई है, जिससे इसके खतरे का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। वैसे तो मच्छरों के काटने से लोग अक्सर ज़्यादा बीमार नहीं पड़ते, लेकिन अगर आपका इम्यून सिस्टम (रोग प्रतिरोधक क्षमता) कमज़ोर है, तो यह जानलेवा भी हो सकता है।

डेंगू से शरीर में ब्लड प्लेटलेट्स की संख्या कम हो जाती है, और व्यक्ति के शरीर पर चकत्ते (रैशेज) पड़ जाते हैं। पूरा शरीर बुखार और ठंड से कांपता रहता है, और भूख-प्यास भी नहीं लगती। लेकिन अब आपको घबराने की कोई ज़रूरत नहीं है, क्योंकि आज हम आपको इसके लक्षण और बचाव के तरीकों के बारे में बताने वाले हैं, जिससे आप पहले से सतर्क रह सकें और सही समय पर अपना इलाज करा सकें।

क्या होता है डेंगू शॉक सिंड्रोम?

डॉक्टर्स बताते हैं कि डेंगू हर किसी के लिए जानलेवा नहीं होता, बल्कि ज़्यादातर लोग कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ मामलों में डेंगू का सबसे खतरनाक रूप सामने आता है, जिसे डेंगू शॉक सिंड्रोम (DSS) कहते हैं। इसमें मरीज़ की हालत अचानक बिगड़ जाती है।

यह तब होता है जब डेंगू वायरस शरीर की खून की नलियों को कमज़ोर कर देता है, जिससे ब्लड प्रेशर तेज़ी से गिरता है और शरीर के ज़रूरी अंगों तक खून पहुँचना बंद हो जाता है। इस वजह से मल्टीपल ऑर्गन फेल हो सकते हैं, जो जानलेवा साबित होता है। आमतौर पर लोग प्लेटलेट्स कम होने को खतरा मानते हैं, लेकिन शॉक सिंड्रोम उससे भी ज़्यादा खतरनाक होता है और तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है।

क्या हैं इसके लक्षण?

जानकारी के अनुसार, डेंगू शॉक सिंड्रोम अचानक से नहीं होता। इसकी शुरुआत में पहले धीरे-धीरे हल्का बुखार आता है, जिसे ज़्यादातर लोग नज़रअंदाज़ कर देते हैं। इसके बाद बुखार लगातार तीन-चार दिन तक चढ़ता-उतरता रहता है। फिर शरीर में बेचैनी, ठंडापन और पेट दर्द जैसी समस्याएँ जन्म लेने लगती हैं। परेशानी ज़्यादा बढ़ने पर शरीर में कमज़ोरी और ब्लड प्रेशर गिरने की समस्या भी होने लगती है।

इसके अलावा, अगर इसका इलाज सही समय पर न किया गया तो, नाक, कान और मसूड़ों से खून भी आ सकता है। डेंगू का वायरस बेहद ही खतरनाक होता है। इसके शरीर में खून की नलियों में पहुँचने के बाद बहुत सी बीमारियाँ जन्म लेने लगती हैं। वहीं, शरीर में खून का बहाव भी रुक जाता है और अंगों तक ऑक्सीजन नहीं पहुँच पाती। यही वजह है कि डेंगू शॉक सिंड्रोम को बेहद खतरनाक बीमारी माना जाता है।

कैसे कराएँ इसका इलाज?

डॉक्टर्स बताते हैं कि अगर किसी को तीन दिन तक लगातार बुखार बना रहे, तो उसे नज़रअंदाज़ न करें और तुरंत डेंगू की जाँच कराएँ। साथ ही, सीबीसी टेस्ट भी ज़रूर करवा लें ताकि प्लेटलेट्स की स्थिति पता चल सके। इस दौरान ब्लड प्रेशर और प्लेटलेट्स की लगातार निगरानी बहुत ज़रूरी है। बिना डॉक्टर की सलाह के कोई दवा न लें, खासकर पेनकिलर या एस्पिरिन जैसी दवाएँ, क्योंकि ये हालत बिगाड़ सकती हैं। बुखार के समय शरीर में पानी की कमी न होने दें और दिन में कम से कम आठ गिलास पानी ज़रूर पिएँ ताकि शरीर हाइड्रेट रहे और रिकवरी जल्दी हो सके। इसके अलावा पपीते के पत्ते का काढ़ा बनाकर भी पिया जा सकता है (लेकिन इसे डॉक्टर की सलाह पर ही लें)।

कैसे करें बचाव?

डेंगू से बचाव के लिए सबसे ज़रूरी है कि घर और आसपास कहीं भी पानी जमा न होने दें, क्योंकि मच्छर वहीं पनपते हैं। अगर कहीं पानी जमा है तो उसे तुरंत साफ करें या ढक दें। रात में सोते समय मच्छरदानी का इस्तेमाल करें और दिन में भी पूरे बाजू वाले कपड़े पहनें ताकि मच्छर काट न सकें। अगर आपको डेंगू के शुरुआती लक्षण जैसे बुखार, बदन दर्द या कमज़ोरी महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें और जाँच कराएँ। खुद से कोई घरेलू नुस्खा या दवा न अपनाएँ, क्योंकि इससे हालत बिगड़ सकती है। सही समय पर इलाज और सावधानी से डेंगू से बचा जा सकता है।

नोट:- यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी सलाह के लिए हमेशा डॉक्टर से संपर्क करें।

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