आखिर क्यों आतें है 'सुसाइडल थॉट्स', जानिए क्या है इसके पीछे का साइंस और इससे बचने के उपाय

आजकल के आधुनिक लाइफस्टाइल में लोगों को डिप्रेशन होना आम बात बन गई, बात-बात पर जरुरत से ज्यादा सोचना, चीजों को नेगेटिव लेना, आत्म विश्वाश का कम होना, लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है।

Update: 2025-09-28 07:03 GMT

NPG file photo

आजकल के आधुनिक लाइफस्टाइल में लोगों को डिप्रेशन होना आम बात बन गई, बात-बात पर जरुरत से ज्यादा सोचना, चीजों को नेगेटिव लेना, आत्म विश्वाश का कम होना, लोगों की सबसे बड़ी समस्या बन गई है। ये ओवरथिंकिंग धीरे-धीरे इंसान को अंदर से खोखला कर देती है। मानसिक तनाव इतना बढ़ जाता है कि, कई बार लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं और कुछ तो आत्महत्या तक का ख्याल मन में पाल लेते हैं।

इंसान के बचपन की छोटी-छोटी घटनाएं जैसे- खिलौना टूटना और डांट पड़ना, चाइल्ड एब्यूज, किसी इच्छा का पूरा न होना, परीक्षा में अच्छे अंक या किसी काम में सफल न हो पाना, इंसान के मन में डर और असुरक्षा पैदा कर देती हैं। यही डर बड़े होकर ओवरथिंकिंग का रूप ले लेता है, जो इंसान को भीतर से कमजोर और डरपोक बना देती है। फिर उस व्यक्ति का मन किसी काम में नहीं लगता, विषयों को जानने की रूचि कम होने लगती है। जो उसे आगे की जिंदगी में सफल नहीं होने देती।

युवा इस समस्या से परेशान

इस समस्या से ज्यादातर आज के 18 से 25 वर्ष के युवा प्रभावित होते है, चूँकि उन्हें अपने करियर, निजी जीवन, प्रेम संबंध और अपने भविष्य की चिंता ज्यादा होती है और ये पूरा न होने या मिलने पर उनकी मानसिक स्थिति पर दबाव पड़ता है, और वो आत्मग्लानि का शिकार हो जाते है। कुछ लोग सहानुभूति पाने के लिए ज़्यादा सोचते हैं, कुछ फैसलों से बचने के लिए और कुछ बार-बार अपने निर्णय बदलने के लिए। लेकिन ये आदत धीरे-धीरे मानसिक बीमारी का रूप ले लेती है।

अपनाये ये '3M' फॉर्मूला

विशेषज्ञों के अनुसार, इस समस्या से बचने के लिए आप "3M फॉर्मूला" का उपयोग कर सकते है। ये प्रक्रिया आपको काफी हद तक आराम पाने में मदद कर सकती है। जिसमें पहला है- मूव करना, यानी शरीर को एक्टिव रखना। जिसके लिए आप योग और थोड़ा टहलने की कोशिश करें। दूसरा है- माइंडफुल रहना, मतलब आज में जीना सीखें, कल की चिंता छोड़ें। तीसरा है 'मूड अच्छा रखना'- कहने का अर्थ ये कि, अपनी पसंद की चीजें करें जैसे- गार्डनिंग, खाना बनाना या ध्यान लगाना, पढ़ना इत्यादि। अगर फिर भी मन भारी लगे, तो किसी दोस्त से खुलकर बात करें या किसी अच्छे थैरेपिस्ट से मदद लें सकते है।

ओवरथिंकिंग कैसे बनता है डिप्रेशन

अब बात करते हैं उस खतरनाक मोड़ की, जब ओवरथिंकिंग डिप्रेशन में बदल जाती है और इंसान आत्महत्या करने की सोचने लगता है। रिसर्च बताती है कि, खुदकुशी कोई बीमारी नहीं, बल्कि गहरी निराशा का नतीजा होती है। इसके पीछे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, किसी घटना का मानसिक असर, कोई सदमा या अकेलापन हो सकता है।

ज्यादातर देखा जाता है कि, व्यक्ति के पुराने अतीत में बीती ख़राब मेमोरीज उसे भविष्य में भी मानसिक रूप से कमजोर कर देती है। आज कल के आधुनिक दौर में युवा प्रेम संबंध में असफलता, नौकरी न मिलना, नशे आदि का शिकार होना या किसी सदमें का शिकार होने के कारण आत्महत्या जैसे ख्याल मन में पालने लगते है।

जानिए कैसे होते है इसके लक्षण

अगर कोई अचानक बहुत चुप रहने लगे, छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा करने लगे, अपनी हर बात पर ज़िद करने करने लगे, सोशल मीडिया से दूरी बना ले या फिर मोटिवेशन वाली पोस्ट डालने लगे, तो ये संकेत हो सकते हैं कि वो अंदर से बहुत परेशान है। अगर वो किसी करीबी से आत्महत्या जैसी बात भी करे, तो इसे हल्के में बिल्कुल न लें। ऐसे समय में उस इंसान को अकेला न छोड़ें, उससे बात करें, उसका साथ दें और ज़रूरत लगे तो किसी अच्छे डॉक्टर या थैरेपिस्ट से सलाह जरूर लें।

"याद रखें, मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही ज़रूरी है जितना शारीरिक। सोचिए, लेकिन इतना नहीं कि सोच ही आपकी जान ले ले।"

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