Makar Sankranti Par Nibandh Hindi: सूर्य की आराधना, आसमान पर रंग-बिरंगे पतंगें, तिल के लड्डू और प्रकृति का पर्व

Makar Sankranti Par Nibandh Hindi: मकर संक्रांति सुनकर मन में सबसे पहले जो दो ख्याल आते हैं, उनमें एक तो आसमान पर उड़ने वाले रंग-बिरंगे पतंग हैं और दूसरे तिल के मीठे लड्डू हैं। वैसे मकर संक्रांति की तारीख 14 जनवरी तय है।

Update: 2023-01-07 06:10 GMT

Makar Sankranti Par Nibandh Hindi:


प्रस्तावना: मकर संक्रांति सुनकर मन में सबसे पहले जो दो ख्याल आते हैं, उनमें एक तो आसमान पर उड़ने वाले रंग-बिरंगे पतंग हैं और दूसरे तिल के मीठे लड्डू हैं। वैसे मकर संक्रांति की तारीख 14 जनवरी तय है। कभी-कभार 13 या 15 जनवरी को भी यह मनाया जाता है। यह सूर्य की उपासना का पर्व है, क्योंकि इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह भगवान सूर्य की उपासना का दिन है। इस दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान, दान और सूर्य देव की आराधना करते हैं।

मकर संक्रांति का अर्थ

मकर संक्रांति को सरल शब्दों में समझें तो यह दो शब्दों से मिलकर बना है। मकर और संक्रांति। मकर का अर्थ मकर राशि से है और संक्रांति का अर्थ होता है परिवर्तन। यानी जब सूर्य मकर राशि में परिवर्तन होता है, तब उसे मकर संक्रांति के रूप में जाना जाता है।

प्रकृति के प्रति आभार जताने का पर्व

देश में यह प्रकृति के प्रति आभार जताने के पर्व के रूप में भी मनाया जाता है। मकर संक्रांति, उत्तरायण, पोंगल या पौष संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण होता है और धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है। देश के अलग-अलग राज्यों में इसे अलग-अलग नाम से जाना जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में मनाते हैं जबकि आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरल में इसे 'संक्रांति' कहते हैं। यह सूर्य की उपासना का पर्व है। पंजाब में एक दिन पहले लोहड़ी मनाई जाती है, जो एक मौसमी पर्व है। किसानों के लिए यह उत्साह और उल्लास का अवसर है, जब हाड़ कंपाती हवाएं अलविदा होने लगती हैं और नई फसल का समय सामने आ जाता है। कुल मिलाकर यह पर्व और यह समय पूरी तरह प्रकृति को समर्पित है।

पतंगबाजी प्रतीक है सक्रियता का

संक्रांति शब्द का संचार या गति के रूप में भी अर्थ निकाला जाता है। यही वजह है कि इस दिन पतंगबाजी का भी आयोजन किया जाता है। देश में कई जगहों पर काइट फेस्टिवल का आयोजन किया गया है। वैसे मकर संक्रांति को दार्शनिक अर्थ में देखें तो सर्दियों में आलस्य में जकड़ा शरीर जरा गति पकड़ ले, इसके लिए पतंगबाजी के जरिए वार्मअप किया जाता है। इसके साथ ही उत्सवों का दौर भी शुरू हो जाता है। देशभर में अलग-अलग जगहों पर मेले-मड़ई की शुरुआत होती है।

वैज्ञानिक मान्यता

मकर संक्रांति धार्मिक और पौराणिक नहीं, बल्कि वैज्ञानिक मान्यताओं के आधार पर भी मनाया जाता है। जब हम छत या मैदान में खड़े होकर खुले आसमान के नीचे पतंग उड़ाते हैं, तो सूर्य की किरणें सीधे हम पर पड़ती हैं। संक्रांति पर जब सूर्य एक गोलार्द्ध से दूसरे गोलार्द्ध की यात्रा कर रहा होता है, तब इस दिन किरणों का सकारात्मक औषधीय प्रभाव हमारी सेहत पर पड़ता है। सर्दियों में जब हम अक्सर सर्दी-जुकाम से पीड़ित रहते हैं, तब इन किरणों से सेहत पर अच्छा असर होता है।

कुछ अलग खाने का पर्व

मकर संक्रांति के अवसर पर हम आम दिनों से हटकर कुछ अलग खाते हैं। वर्ष के दूसरे दिनों में तिल और गुड़ से बने व्यंजनों की पूछ-परख नहीं होती लेकिन इन दिनों हम मूंगफली और गुड़ से बनी चिक्की, तिलकुट्टा और तिलगुड़ से बने व्यंजन खूब पसंद करते हैं। महाराष्ट्र में गन्ने की पहली फसल आने के कारण इस दिन घर घर में तिल-गुड़ बनाकर खाया जाता है। राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखण्ड, छत्तीसगढ़, दिल्ली सहित कई राज्यों में दाल चावल की खिचड़ी, तिल गुड़ से बनी गजक, रेवड़ी आदि खाने का रिवाज है। पश्चिम बंगाल में चावल के आटे और खजूर गुड़ से बने पीठे, पुली और पातीशाप्ता मिठाइयां खाई खिलाई जाती हैं। कई राज्यों में इस अवसर पर घेवर और फीणी भी खाते हैं और बहन-बेटियों के यहां भेजते हैं।

दान-पुण्य का पर्व

भारतीय संस्कृति में दान-पुण्य का बड़ा महत्व है। मकर संक्रांति में दान-पुण्य की विशेष महत्ता बताई गई है। इस दिन गरीबों, ब्राह्मणों आदि को अपनी आर्थिक शक्ति के मुताबिक खुलकर तिल गुड से बना मीठा, चावल-दाल, चिवड़ा, कपड़े, धनराशि आदि दान किया जाता है। उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल में इस दिन गंगा स्नान करने का भी महत्व है। माना जाता है कि इस दिन गंगा में डुबकी लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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