Hartalika teej 2024 pooja muhurat : हरतालिका तीज पर शुभ संयोग, जानें पूजा के सभी शुभ मुहूर्त

Hartalika teej 2024 pooja muhurat : इस वर्ष शुक्रवार 6 तारिख को तृतीया तिथि दोपहर 3.00 बजे तक है तत्पश्चात चतुर्थी तिथि है अत: तृतीया तिथि चतुर्थी युक्त होने से इसी दिन हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाएगा|

Update: 2024-09-06 12:31 GMT

Haritalika Teej pooja : प्रत्येक वर्ष हरितालिका व्रत जिसे तीजा भी कहा जाता है भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को एवं हस्त नक्षत्र में होता है।

हरितालिका व्रत सुहागिन महिलाओ एवं अविवाहित कन्याओं के सौभाग्य की वृद्धि के लिए किया जाने वाला अति महत्वपूर्ण एवं परम पुण्यदायक व्रत होता है । यह व्रत अत्यन्त कठिन एवं पुण्यदायनी होता है।

आज देश के साथ प्रदेश भर की महिलाएं निर्जला व्रत के साथ पूजा और 16 श्रृंगार की तैयारी में लगी रही. बस कुछ ही देर में महिला  सायं कल की पूजा शुरू करेंगी। बतायें चले कि तीज की पूजा तीन से चार पहर में सम्पन्न होती है। 


त्रियोग की तीज


ज्योतिषाचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका तीज का पर्व माने जाता है| इस वर्ष शुक्रवार 6 तारिख को तृतीया तिथि दोपहर 3.00 बजे तक है तत्पश्चात चतुर्थी तिथि है अत: तृतीया तिथि चतुर्थी युक्त होने से इसी दिन हरितालिका तीज का पर्व मनाया जाएगा| वैसे भी तिथि तत्व में लिखा है की जिस दिन तृतीया तिथि 16 घटी से अधिक हो उसी दिन तृतीया को चतुर्थी युक्त ग्रहण करें| तृतीया तिथि को द्वितीया युक्त ग्रहण करना शुभ नहीं माना जाया|इस वर्ष तीज के दिन चंद्रपर्धान हस्त नक्षत्र है | शास्त्रों मे वर्णन है की चन्द्र , पति पत्नी के संबंधों मे सेतु का कार्य करता है| साथ ही शुक्ल योग, अमृत योग और रवि योग जैसे त्रियोग पर यह तीज पड़ रही है| जो की अत्यंत लाभप्रद है|


चर-सामान्य मुहूर्त: शाम में 04:40 बजे से 06:13 बजे तक




इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पति रूप में प्राप्ति के लिए रखा

सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखण्ड बनाए रखने एवं अविवाहित युवतियां मनवांछित वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। सर्वप्रथम इस व्रत को माता पार्वती ने भगवान शिव शंकर को पति रूप में प्राप्ति के लिए रखा था। इस दिन विशेष रूप से गौरी−शंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व ही जगकर स्नान आदि से निवृत होकर पूरा श्रृंगार करती हैं।

पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर गौरी−शंकर की प्रतिमा स्थापित की जाती है। इसके साथ ही भगवान गणेश की स्थापना कर चंदन, अक्षत, धूप दीप, फल फूल आदि से षोडशोपचार पूजन किया जाता है और पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन करते हुए जागरण कर तीन बार आरती की जाती है और शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।



पूजा के लिए फुलेरा और प्रसाद की तैय्यारी करती हुई महिलाएं। 


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