Pola Parv 2024 : पोला पर्व आज, संतान प्राप्ति के लिए अच्छा योग

Pola Parv 2024 : इस दिन बैल के साथ साथ चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की) की भी पूजा की जाती है. वर्षों पहले बैल, जीवनी को चलाने के लिए मुख्य होते थे, एवं चक्की के द्वारा ही घर पर गेहूं पीसा जाता था।

Update: 2024-09-02 03:04 GMT

Pola Parv 2024 : भाद्रपद मास की अमावास्या को पिठोरी अमावास्या मनाई जाती है इसे पोला भी कहा जाता है। सोमवार 2 तारीख को पिठोरी अमावास्या मनाई जायेगी। ज्योतिषाचार्य दत्तात्रेय होस्केरे के अनुसार मूल प्रकृति के केतु प्रधान मघा नक्षत्र और शिव और सिद्ध योग होने से जीवन में प्रगति और संतान प्राप्ति के लिए यह अच्छा योग बन रहा है।

विष्णु भगवान जब कान्हा के रूप में धरती में आये थे, जिसे जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है। तब जन्म से ही उनके कंस उनकी जान के दुश्मन बने हुए थे। कंस ने कई बार कई असुरों को उन्हें मारने भेजा था। एक बार कंस ने पोलासुर नामक असुर को भेजा था, इसे भी कृष्ण ने अपनी लीला के चलते मार दिया था और सबको अचंभित कर दिया था। वह दिन भादों माह की अमावस्या का दिन था। इस दिन से इसे पोला कहा जाने लगा। यह दिन बच्चों का दिन कहा जाता है।

गाँव में पोला के त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाते है। यहाँ सही के बैल की जगह लकड़ी एवं लोहे के बैल की पूजा की जाती है। बैल के अलावा यहाँ लकड़ी, पीतल के घोड़े की भी पूजा की जाती है।

बैल के साथ साथ चक्की की भी पूजा




इस दिन बैल के साथ साथ चक्की (हाथ से चलाने वाली चक्की) की भी पूजा की जाती है. वर्षों पहले बैल, जीवनी को चलाने के लिए मुख्य होते थे, एवं चक्की के द्वारा ही घर पर गेहूं पीसा जाता था। तरह तरह के पकवान इनको चढ़ाये जाते है, सेव, गुझिया, मीठे खुरमे आदि बनांये जाते है. घोड़े के उपर थैली रखकर उसमें ये पकवान रखे जाते है. फिर अगले दिन सुबह से ये घोड़े, बैल को लेकर बच्चे मोहल्ले पड़ोस में घर घर जाते है, और सबसे उपहार के तौर पर पैसे लेते है.


गेड़ी का जुलुस


इसके अलावा पोला के दिन गेड़ी का जुलुस निकाला जाता है. गेड़ी, बांस से बनाया जाता है, जिसमें एक लम्बा बांस में नीचे उपर आड़ा करके छोटा बांस लगाया जाता है. फिर इस पर बैलेंस करके, खड़े होकर चला जाता है. गेड़ी कई साइज़ की बनती है, जिसमें बच्चे, बड़े सभी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेता है. ये एक तरह का खेल है, जो मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ का पारंपरिक खेल है, भारत के अन्य क्षेत्रों में तो इसे जानते भी नहीं होंगें. पोला का त्यौहार हर मनुष्य को जानवरों का सम्मान करना सिखाता है।

विशेष उपायः

गौधन और बैल की पूजा कर के यदि संतान गोपाल स्त्रोत्र का पाठ करे या गोपाल सहस्रनाम का पाठ करें तो आरती स्थिति सशक्त होही और संतान संबंधी समस्या का भी समाधान होगा।

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