Maa Mahagauri: अमोघ फलदायिनी हैं मां महागौरी, जानें माता का स्वरूप, कथा, मंत्र, भोग और पूजन विधि

मां महागौरी मां पार्वती का ही दिव्य रूप हैं। मां महागौरी पूरी तरह से गौर वर्ण की हैं। उन्होंने सफेद वस्त्र धारण कर रखे हैं। नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। आज यानि 10 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।

Update: 2024-10-10 05:38 GMT
Maa Mahagauri: अमोघ फलदायिनी हैं मां महागौरी, जानें माता का स्वरूप, कथा, मंत्र, भोग और पूजन विधि
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Maa Mahagauri: आज यानि 10 अक्टूबर को आश्विन शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि दोपहर 12 बजकर 31 मिनट से शुरू हो रही है, जो 11 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 6 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। नवरात्रि की अष्टमी के दिन माता के महागौरी स्वरूप की पूजा का विधान है। हालांकि इस बार अष्टमी और नवमी एक साथ 11 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

मां महागौरी का स्वरूप

मां महागौरी मां पार्वती का ही दिव्य रूप हैं। मां महागौरी पूरी तरह से गौर वर्ण की हैं। उन्होंने सफेद वस्त्र धारण कर रखे हैं। इनके आभूषण भी सफेद हैं, जिसके चलते उन्हें श्वेतांबरधरा भी कहा जाता है। मां महागौरी की 4 भुजाएं हैं। इनका ऊपर वाला दाहिना हाथ अभय मुद्रा में रहता है। माता नीचे वाले हाथ से त्रिशूल धारण करती हैं। ऊपर वाले बाएं हाथ में मां डमरू धारण करती हैं और नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है। मां वृषभ की सवारी करती हैं और वृषारूढ़ा कहलाती हैं। मां महागौरी का रूप बेहद पवित्र और सौम्य है। उनकी मुद्रा बेहद शांत है।


मां का स्वरूप बेहद सौम्य

मां शांत मुद्रा में रहती हैं और मां का स्वरूप सौम्य नजर आता है। गौर वर्ण की होने के कारण मां महागौरी कहलाती हैं। इनकी पूजा विधि-विधान से करने से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। मां अमोघ फलदायिनी हैं। इनकी पूजा से पाप नष्ट हो जाते हैं।

मां महागौरी की कथा

देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की। इससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव इन्हें दर्शन देते हैं और इन्हें मनोवांछित वरदान देते हैं। भगवान इन्हें वरदान देते हैं कि वे इन्हें पति के रूप में प्राप्त होंगे। इसके बाद भगवान शिव ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर कांतिमय बना दिया। मां का स्वरूप विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान और गौर वर्ण का हो गया। गौर वर्ण की होने के कारण इनका नाम महागौरी पड़ा। 

मां महागौरी की पूजा के वक्त इन मंत्रों का जाप करें

  • सर्वमंगल मांग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
  • या सर्वभूतेषु महागौरी रूपेण संस्थिता।।
  • नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
  • प्रार्थना मंत्र- श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।।
  • महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया।।
  • बीज मंत्र- श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:।।

मां महागौरी की पूजन विधि

  • सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र पहन लें।
  • चौकी सजाकर उस पर मां की प्रतिमा या तस्वीर रख दें।
  • मां महागौरी को सिंदूर का टीका लगाएं।
  • इसके बाद उन्हें फूल चढ़ाएं।
  • घी या तेल का दीपक जलाएं।
  • मां को धूप, दीप, अक्षत, चंदन, रोली और मिठाई अर्पित करें।
  • मां को चुनरी ओढ़ाएं।
  • मां महागौरी के मंत्रों का जाप करें।
  • दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
  • दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
  • आरती करें, फिर इसके बाद क्षमा प्रार्थना करें।
  • सभी को प्रसाद वितरित कर दें।

मां महागौरी का प्रिय रंग है गुलाबी

माता महागौरी का प्रिय रंग गुलाबी माना जाता है। ऐसे में आप भी मां महागौरी की पूजा गुलाबी रंग के वस्त्र पहनकर करें, इससे मां प्रसन्न होंगी।

मां को इन चीजों से लगाएं भोग

मां महागौरी को नारियल, हलवा, पूरी और सब्जी का भोग लगाएं। देवी की आठवीं पूजा के दिन काले चने का प्रसाद विशेष रूप से बनाया जाता है। इस दिन कन्याओं का पूजन करें, इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

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