Bilaspur High Court News: CG शिक्षिका के जज्बे का कमाल: वेतनमान के लिए शिक्षिका ने खुद किया चीफ जस्टिस की बेंच में पैरवी, जीता मुकदमा

Bilaspur High Court News: बिना किसी वकील के खुद ही शिक्षिका और उनके पति ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में बहस करते हुए तर्क प्रस्तुत किए। शिक्षिका और उनके पति के तर्कों को जायज ठहराते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है।

Update: 2024-02-29 12:38 GMT

Bilaspur High Court News: बिलासपुर। क्रमोन्नति वेतनमान का लाभ नहीं मिलने पर शिक्षिका ने खुद ही कानूनी लड़ाई लड़ी। इसमें उनके पति का भी साथ उन्हें मिला। बिना किसी वकील के खुद ही शिक्षिका और उनके पति ने चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में बहस करते हुए तर्क प्रस्तुत किए। शिक्षिका और उनके पति के तर्कों को जायज ठहराते हुए चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश को निरस्त कर दिया है। बेंच ने शिक्षिका को क्रमोन्नति वेतनमान समेत सभी आर्थिक लाभ का हकदार माना है।

सूरजपुर जिले के नारायणपुर के प्राइमरी स्कूल में सहायक शिक्षिका सोना साहू की नियुक्ति कोरिया जिले के सोनहत प्राइमरी स्कूल में सहायक शिक्षिका के पद पर 1 अगस्त 2005 को हुई थी। बिना किसी बाधा के में लगातार नौकरी कर रही है। इस बीच वित्त एवं योजना विभाग में 1 जुलाई 2007 को सर्कुलर जारी कर कर्मचारियों को क्रमोन्नति वेतनमान देने के संबंध में दिशा निर्देश जारी किए इसके बाद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग में भी 2 नवंबर 2007 को सर्कुलर जारी किया।

इसके तहत 10 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान देने का निर्णय लिया गया। वर्ष 2013 में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने एक अलग सर्कुलर आदेश जारी किया। इसके अंतर्गत शिक्षा विभाग और पंचायतों के अधीन कार्यरत और 8 वर्ष की सेवा पूरी कर चुके शिक्षकों को समान वेतनमान दिया जाना था। इसके बाद 14 नवंबर 2014 को एक आदेश जारी कर दो नवंबर 2011 को जारी सर्कुलर को निरस्त कर दिया गया।

10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर मिलना था क्रमोन्नति वेतनमान:–

सामान्य प्रशासन विभाग में 2 मार्च 2017 को आदेश जारी कर दिशा निर्देश तय किए। इसके अनुसार 10 वर्ष की सेवा पूरी करने पर पहला क्रमोन्नति वेतनमान और 20 वर्ष की सेवा पूरी करने पर दूसरा क्रमोन्नति वेतनमान दिया जाना था। इस इसलिए मैं स्कूल शिक्षा विभाग ने सर्कुलर भी जारी किया था।

विभाग ने नामंजूर कर दी शिक्षिका की अर्जी:–

याचिकाकर्ता ने 10 वर्ष की सेवा पूरी होने के बाद क्रमोन्नत वेतनमान की मांग करते हुए संबंधित अधिकारियों के समक्ष आवेदन दिया, लेकिन उनके आवेदन पर विचार नहीं किया गया। इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने हाई कोर्ट में याचिका लगाई हाईकोर्ट ने उन्हें विस्तृत आवेदन देने और विभाग को आवेदन का निराकरण करने के निर्देश देते हुए याचिका निराकृत कर दी।

अर्जी मंजूर की पर एक माह बाद बदला आदेश:–

याचिका करता ने 16 दिसंबर 2019 को आवेदन प्रस्तुत किया विभाग में 15 जनवरी 2020 को क्रमोन्नत वेतनमान देने का आदेश जारी किया। लेकिन 29 फरवरी 2020 को जनपद सीईओ ने आदेश को इस आधार पर निरस्त कर दिया कि याचिकाकर्ता ने 30 अप्रैल 2013 के बाद 10 वर्ष की सेवा अवधि पूरी की है। लिहाजा वह क्रमोन्नत वेतनमान की हकदार नहीं है। इस आदेश के खिलाफ अपील की गई थी।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र अग्रवाल की बेंच ने वकालत का अनुभव भले ही नहीं था, लेकिन शिक्षिका और उनके पति को अपना पक्ष रखने का पूरा अवसर दिया। मामले में 12 दिसंबर 2023 को फैसला सुरक्षित रखा गया था। कल बुधवार को फैसला सार्वजनिक किया गया। जिसमें चीफ जस्टिस की बेंच ने शिक्षिका को वेतनमान समेत सभी आर्थिक लाभ का हकदार माना है।

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