Vishnudeo Cabinet Expansion: इन 2 मंत्रियों का शपथग्रहण और निगम, मंडलों में नियुक्तियों की उल्टी गिनती! नवरात्र में शुभ मुहूर्त, पूर्व मंत्री ने लाल बत्ती में फंसाया पेंच

Vishnudeo Cabinet Expansion: छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव कैबिनेट के विस्तार के साथ निगम-मंडलों में नियुक्ति की अटकलें एक बार फिर तेज हो गई है। पीएम नरेंद्र मोदी के 30 मार्च को छत्तीसगढ़ दौरे के बाद 3 अप्रैल का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर आ रहे हैं। इसके बाद किसी भी दिन मंत्रियों को शपथ दिलाई जाएगी। निगम-मंडलों में भी राजनीतिक नियुक्तियों की एक बड़ी लिस्ट निकलेगी। उधर, पूर्व मंत्री ने केंद्रीय नेतृत्व को पत्र लिखकर बीजेपी के पुराने नेताओं की लाल बत्ती की उम्मीदों में पेंच फंसा दी है। उन्होंने कहा है कि पुराने लोगों को लाल बत्ती न दी जाए, उनलोगों के चलते ही 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई थी।

Update: 2025-03-25 14:19 GMT
Vishnudeo Cabinet Expansion: इन 2 मंत्रियों का शपथग्रहण और निगम, मंडलों में नियुक्तियों की उल्टी गिनती! नवरात्र में शुभ मुहूर्त, पूर्व मंत्री ने लाल बत्ती में फंसाया पेंच
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Vishnudeo Cabinet Expansion: रायपुर। छत्तीसगढ़ में विष्णुदेव कैबिनेट का बहुप्रतीक्षित विस्तार चैत नवरात्र में हो सकता है। सत्ताधारी पार्टी के अंदरखाने में भी इस बात की चर्चा है कि मंत्रिमंडल के नए चेहरों पर मुहर लग गई है, आने वाले चैत नवरात्रि में किसी दिन शपथ समारोह आयोजित किया जा सकता है।

खबरें तो ये चल रही कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पिछले हफ्ते दिल्ली गए थे। वहां पीएम नरेंद्र मोदी से उनकी मुलाकात हुई थी। उससे पहले वे केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी वे मिले थे। दिल्ली दौरे में ही नए मंत्रियों पर चर्चा हो चुकी है।

अभी विष्णुदेव साय सरकार और पूरी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 30 मार्च के बिलासपुर दौरे को लेकर व्यस्त है। जाहिर है, विधानसभा और लोकसभा चुनाव में पार्टी को बंपर समर्थन मिलने के बाद पीएम मोदी छत्तीसगढ़ नहीं आए हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान वे चुनावी दौरे पर जरूर दो बार आए मगर कोई सरकारी दौरा नहीं था।

प्रधानमंत्री के लौटने के बाद 3 अप्रैल को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बस्तर आ रहे हैं। उससे पहले 30 मार्च से ही नवरात्रि प्रारंभ हो रही है। पार्टी के सीनियर नेताओं ने संकेत दिए हैं कि अमित शाह के बस्तर प्रवास के बाद दो नए मंत्रियों के लिए शपथ समारोह का आयोजन किया जा सकता है।

बता दें, विष्णुदेव कैबिनेट में दो मंत्रियों के पद खाली हैं। एक पद प्रारंभ से ही रिक्त रखा गया और दूसरा, बृजमोहन अग्रवाल के लोकसभा सदस्य बनने के बाद खाली हुआ। पिछले साल दिसंबर एंड में दोनों नए मंत्रियों की शपथ लगभग तय हो गई थी। याद होगा, राज्यपाल बस्तर के दौरे पर जा रहे थे मगर उनका कार्यक्रम निरस्त हो गया था। हालांकि, बाद में इसकी अधिकारिक वजह खराब मौसम बताया गया।

सूत्रों का कहना है कि 25 दिसंबर 2024 को पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी बाजपेयी के जन्मदिन को बीजेपी ने धूमधाम से मनाया था। उसी दिन मंत्रियों की शपथ होनी थी। उस दिन मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय कुनकुरी दौरे पर गए तो हुआ कि शाम को लौटकर होगा। फिर हुआ कि 26 अगस्त को मंत्री शपथ लेंगे। मगर बीच में ऐसा सियासी ब्रेक आया कि नए मंत्रियों की इंट्री होते-होते लटक गई।

अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव?

नए मंत्रियों में अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव का नाम लगभग फायनल हो गया था। गजेंद्र ने दुर्ग में अरुण वोरा को हराया ही, उनका परिवार संघ से जुड़ा रहा है। उनके पिता बिसरा राम यादव छत्तीसगढ़ के संघ प्रमुख रहे हैं। उन्हें मंत्री बनाने से एक फायदा यह होगा कि बिहार चुनाव में पार्टी उसे इनकैश कर पाएगी। बिहार में यादवों का वोट करीब 14 परसेंट है। बीजेपी वहां यादवों पर डोरे डाल सकती है कि हमने मध्यप्रदेश में यादव को मुख्यमंत्री बनाया और छत्तीसगढ़ में मंत्री।

सीएम के पसंद

रही बात अमर अग्रवाल की तो उनके पास 14 से ज्यादा मंत्री रहने का तजुर्बा है। छत्तीसगढ़ बीजेपी के पितृ पुरूष लखीराम अग्रवाल के बेटे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं। और सबसे अहम बात कि वे रिजल्ट देने वाले मंत्री माने जाते हैं। अमर को सीएम विष्णुदेव साय का पसंद बताया जा रहा तो प्रदेश प्रभारी नीतीन नबीन भी चाह रहे कि अमर अग्रवाल जैसे सीनियर नेता विष्णुदेव कैबिनेट में शामिल किए जाएं। सत्ता के गलियारों में दावे तो ये भी किए जा रहे कि अमर अग्रवाल की वजह से दिसंबर में मंत्रियों का शपथग्रहण टल गया था।

अमर अग्रवाल का विरोध?

भाजपा के भीतर ही ये चर्चा है कि अमर अग्रवाल को पार्टी के कुछ बड़े नेता नहीं चाह रहे कि वे मंत्री बनें और इसीलिए किरण सिंहदेव का पेंच फंसाया गया। किरण सिंहदेव ने भी खुला संकेत दिया कि वे प्रदेश अध्यक्ष की बजाए मंत्री बनना चाहते हैं। मगर पार्टी नेतृत्व ने इसे पसंद नहीं किया और किरण सिंहदेव को फिर प्रदेश अध्यक्ष का पद स्वीकार करना पड़ा। तब तक नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव का समय आ गया। इस वजह से कैबिनेट विस्तार टल गया। 

और कई दावेदार

हालांकि, अमर अग्रवाल और गजेंद्र यादव के अलावे अजय चंद्रकार, राजेश मूणत, सुनील सोनी भी मंत्री पद के दावेदारों में शामिल हैं। अजय और राजेश रमन मंत्रिमंडल में मंत्री रह चुके हैं। अजय चंद्राकर की कद्दावर नेताओं में गिनती होती है।

पार्टी चौंका भी सकती है

नए दो मंत्रियों के लिए चार-पांच दावेदारों की चर्चा जरूर है मगर बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व का कोई भरोसा नहीं। पार्टी चर्चाओं से इतर कोई दो नया नाम भी निकाल दें तो आश्चर्य नहीं। 

पूर्व गृह मंत्री की पेंच

उधर, बोर्ड और निगमों में नई नियुक्तियों से पहले पूर्व गृह मंत्री ननकीराम कंवर ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिख रोड़ा अटका दिया है। कंवर ने मांगी की है कि पुराने नेताओं को बोर्ड और निगमों में नियुक्ति न दी जाए। पुराने नेताओं से उनका आशय यह है कि जिन्हें रमन सरकार के दौरान लाल बत्ती का सुख मिल गया है। कंवन ने कहा है कि इन नेताओं के चलते 2018 का विधानसभा चुनाव बीजेपी बुरी तरह हारी थी। ऐसे में, पुराने नेताओं को अब कोई पद नहीं दिया जाए।

0 पूर्व गृह मंत्री ने कुछ इस तरह लिखी चिट्ठी

सन् 2003 से 2018 तक प्रदेश में भाजपा की सरकार रही, उस समय विभिन्न निगम मंडलों के अध्यक्ष एवं उपाध्यक्ष व अन्य पदों पर कई लोगों की नियुक्यिां की गई। कई ऐसे निगम के मंडल अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं अन्य सदस्य रहे जिनके कार्यकलाप से भाजपा सरकार को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है। जिसके चलते वर्ष 2018 में हमारी सरकार नहीं आई।

यहां इस बात की उल्लेख करना अति आवश्यक है तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय जिन कर्मचारी,अधिकारियों के द्वारा भाजपा के नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को झूठे मामले में फंसाया व उन्हें अन्य तरीके से प्रताडित किया गया था उन्ही कर्मचारी अधिकारियों को हमारी पार्टी के कुछ दलाल प्रकृति के लोग उनके विरूद्ध हो रही शिकायत पर कार्यवाही पर रोक लगाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्हें मनचाही जगहों पर पदस्थ कराने के प्रयास में है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर इन्हें पार्टी के मुख्य पदों से दूर रखना उचित होगा। पार्टी के लिए काफी लंबे समय से कार्य करने वाले कार्यकर्ताओं को निगम मंडल के अध्यक्ष उपाध्यक्ष एवं अन्य पदों पर नियुक्त करना उचित होगा।

0 निष्ठावान कार्यकर्ताओं का हो सम्मान

पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता जो कि काफी समय से पार्टी के लिए लगातार ईमानदारी पूर्वक काम करते आये हैं और जिन्हें आज तक किसी भी निगम, मंडल के अध्यक्ष व उपाध्यक्ष एवं सदस्य के रूप में कार्य करने का मौका नहीं मिल पाया है, उन्हें मौका दिया जाना चाहिये।



 


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