नियद नेल्लानार योजनाः छत्तीसगढ़ सरकार की इस योजना से अंतिम व्यक्ति तक पहुंच रही विष्णुदेव सरकार की योजनाएं, बन रहा...अपना गांव, अच्छा गांव
नियद नेल्लानार‘ का शाब्दिक अर्थ है-आपका अच्छा गांव, जो एक दण्डामी बोली का शब्द है
रायपुर। विकास को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रारंभ किया है...नियद नेल्लानार योजना। इसका मतलब है अच्छा गांव। जाहिर है, जब सड़कें, बिजली, पानी, स्कूल बनेंगे तभी अच्छा गांव बनेगा। और सरकार यही कर रही है।
विभिन्न विभागों में संचालित 34 व्यक्तिमूलक योजनाओं को बस्तर के माओवादी प्रभावित क्षेत्रों में घर-घर पहुंचाने संवेदनशील क्षेत्रों में स्थित गांवों में शिविर आयोजित किए जा रहे हैं। सुदूर बीहड़ क्षेत्रों में निवासरत आदिवासियों को अब शिविरों के माध्यम से योजनाओं की जानकारी ही नहीं, बल्कि मौके पर तात्कालिक लाभ भी मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने उक्त योजना को विस्तार देने 20 करोड़ रूपए के अतिरिक्त बजट का प्रावधान भी किया है।
क्या है नियद नेल्लानार योजना
‘नियद नेल्लानार‘ का शाब्दिक अर्थ है-आपका अच्छा गांव, जो एक दण्डामी बोली का शब्द है। विकास से किंचित अछूते ग्रामों में सुशासन की परिकल्पना, पराकाष्ठा व प्रतिबद्धता के साथ छत्तीसगढ़ सरकार ने यह योजना लागू की है। इसके तहत प्रभावित क्षेत्र में पांच किलोमीटर की परिधि में आने वाले गांवों में मूलभूत आवश्यकताओं व सुविधाओं को शत-प्रतिशत ग्रामीणों तक पहुंचाने प्रदेश सरकार भगीरथ प्रयास कर रही है, जहां सड़क, विद्युत, पीडीएस सेंटर, आंगनबाड़ी केन्द्र, स्कूल, उपस्वास्थ्य केन्द्र, पेयजल एवं कृषि सिंचाई की सुविधाएं, पंचायत एवं सामुदायिक भवन निर्माण, मोबाइल नेटवर्क आदि जरूरतों को सम्मिलित किया गया है। कांकेर जिले के कोयलीबेड़ा विकासखण्ड में ऐसे ही पांच गांव चिन्हांकित किए गए हैं जहां राज्य शासन के निर्देशानुसार जिला प्रशासन द्वारा कैम्प लगाकर ग्रामीणों को मौके पर ही सेवाएं एवं सुविधाएं उपलब्ध कराने का कार्य किया जा रहा है। इनमें ग्राम पंचायत पानीडोबीर और आलपरस के आश्रित ग्राम हितुलबेड़ा, हिचाकोट, हेटारकेसा, गुंदुल व अलपर शामिल हैं जहां तिथिवार समाधान शिविर लगाए जा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों को शासन की योजनाओं से जोड़ने इन शिविरों में आधार पंजीयन, बैंक खाते, आयुष्मान कार्ड, स्वास्थ्य जांच कार्ड, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड, वन अधिकार मान्यता पत्र, सामाजिक पेंशन योजना, सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, प्रधानमंत्री आवास योजना, उज्ज्वला योजना, शौचालय निर्माण, नोनी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व वंदना योजना, ड्रायविंग लायसेंस, जन्म प्रमाणपत्र सहित राजस्व विभाग के तहत नक्शा, खसरा निर्माण, जाति, निवास, आय प्रमाण-पत्र, भूमि सीमांकन, नामांतरण बंटवारा, ऋण पुस्तिका निर्माण, आरबीसी 6-4 के तहत आर्थिक सहायता आदि के लिए कैम्प लगाकर समाधान किया जा रहा है।
मिलेगी 500 युनिट तक की निःशुल्क बिजली
नियद नेल्लानार के तहत प्रदेश सरकार द्वारा चालू वित्तीय वर्ष में 20 करोड़ का प्रावधान किया गया है, ताकि माओवादी प्रभावित क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति शासन की सुविधाओं से वंचित न रहे। साथ ही इन गांवों में 500 युनिट तक की बिजली निःशुल्क कर दी गई है जिसका प्रत्यक्ष लाभ इन क्षेत्रों में निवासरत ग्रामीणों को मिल सके। इस तरह प्रदेश में विकास की गंगा बहाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार अपने छह महीने की अल्पावधि में प्रदेश की जनता के जीवन को सुगम और सुगढ़ बनाने सतत् भगीरथ प्रयास कर रही है। नियद नेल्लानार योजना वनवीरों को उनके गांव और घर तक सुविधा मुहैया कराने का एक बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हुई है, जो प्रतिकूल परिस्थितियों का दंश झेल रहे ग्रामीणों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
खानाबदोश जीवन पर लगा विराम
पेशे से बांस की टोकरी और दैनंदिनी के अन्य पारम्परिक सामान बनाकर बेचने वाली यह जनजाति भी शासन की योजनाओं का लाभ लेने में पीछे नहीं है। प्रायः कमार जनजाति के लोग घुमंतू और खानाबदोश प्रवृत्ति के होते हैं लेकिन यहां के कमारजन जो प्रायः घासफूस, खदर और मिट्टी से निर्मित अस्थायी घरों में रहते थे, उनको एक तरह से स्थायित्व मिल गया है, क्योंकि स्थायी ठौर के तौर पर अब उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत उन्हें पक्के आवास मिल चुके हैं। विशेष पिछड़ी जनजाति के कमार लोगों को इसका सबसे बड़ा फायदा यह हुआ कि पक्के मकान मिलने से स्थायी तौर पर निवास करने में उनमें रुचि पैदा हुई। परिणामस्वरूप, ये अब घर छोड़कर कहीं जाने के मूड में नहीं हैं। एक तरह से उनकी घुमंतू व खानाबदोशी जीवन शैली पर विराम लग गया है।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास देने के साथ ही उन्हें यह भी समझाइश दी गई कि शासन की और भी योजनाओं का लाभ लेने उन्हें स्थायी रूप से रहने पर राशन कार्ड, आधार कार्ड, आयुष्मान कार्ड सहित अन्य जरूरी कागज़ात बनाने की ज़रूरत पड़ेगी। यह बात उनकी समझ में आ गई। इस पर अमल करते हुए ग्राम मावलीपारा में निवासरत सभी 16 परिवार यहां के स्थायी निवासी बन गए और जरूरी दस्तावेज बनवाकर अब वे विभिन्न योजनाओं का लाभ ले रहे हैं। चाहे स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालय निर्माण हो, आयुष्मान भारत योजना के तहत स्वास्थ्य कार्ड हो या प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजनांतर्गत रसोई गैस कनेक्शन हो अथवा राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत् महिला स्वसहायता समूह का निर्माण हो।
विकास की मुख्यधारा से जुड़ाव
ग्राम पंचायत मावलीपारा के कमारों के मुखिया हीराराम नेताम ने बताया कि आज से लगभग 10-15 साल पहले उनकी जनजाति के ज्यादातर लोग गांवों के बाहर अस्थायी निवास बनाकर रहते थे। यानी घासफूस और लकड़ी के घर बनाकर कुछ दिनों तक रहते, फिर मौसम परिवर्तन के साथ ही रोजगार की तलाश में वे अक्सर अपना निवास बदल देते थे। नेताम ने बताया कि उनका मुख्य व्यवसाय बांस की टोकरी व सूपा, बिजना जैसी घरेलू उपयोग की चीजें बनाने का रहा है। जब से कम कीमत पर प्लास्टिक और कृत्रिम उत्पाद बाजार में आए, तब से उनका यह धंधा भी मंदा हो चला है। आत्मविश्वास से लबरेज नेताम ने बताया कि अब ऐसा नहीं है। यहां निवासरत ज्यादातर परिवारों के पास राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड सहित प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत घर, स्वच्छ भारत मिशन से बने शौचालय हैं, जिसका वे नियमित उपयोग करते हैं।
नेताम ने बताया कि उनकी जनजाति के लोग स्थायी रूप से निवास करना अपेक्षाकृत फायदेमंद और बेहतर है। इसी तरह ग्रामीण पनकूराम कमार (नेताम) ने बताया कि पहले आजीविका के तौर पर मछली का शिकार करके, शहद इकट्ठा करके बेचने सहित अन्य लघु वनोत्पादों को शहर जाकर बेचने का काम किया जाता था। उसी से परिवार का जीवनयापन होता था। अब पीडीएस से मुफ्त राशन के अलावा बीपीएल कार्ड व आधार आदि बनाए जा चुके हैं। घर पहुंच सेवाएं मुहैया कराने के लिए उन्होंने शासन को धन्यवाद दिया। इसी तरह कमार जनजाति की महिलाएं शांति बाई, अमिता नेताम व बृजबती मरकाम ने बताया कि उनके परिवारों को भी शासन की अधिकांश योजनाओं का लाभ मिल रहा है। छूटे हुए लोगों को दायरे में लाने के लिए गांव में कैम्प भी लगाया जा रहा है। इस प्रकार कमार जनजाति का जुड़ाव शनैः शनैः विकास की मुख्यधारा से हो रहा है। नरहरपुर ब्लॉक के 13 ग्राम मावलीपारा, बिहावापारा, बतबनी, भीमाडीह, सांईमुड़ा, मुसुरपुट्टा, दुधावा, बासनवाही, गंवरसिल्ली, भैंसमुण्डी, दलदली, बादल और ग्राम डोमपदर में कमार जनजाति के लोग वर्तमान में निवासरत हैं।
प्रधानमंत्री जनमन योजना
स्वभाव से लजीले, शर्मीले और दुनियावी भागमभाग से दूर अपने आप में मस्त व मशगूल रहने वाले लोगों तक शासन की योजनाओं की पहुंच उनके गांव और घर पर सुनिश्चित करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास को दृष्टिगत करते हुए हाल ही में पीएम जनमन योजना प्रारंभ की। इसके तहत समाज के निचले तबके की जनजातियों को मुख्यधारा में शामिल कर आमजनों की तरह उन्हें शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं का शत-प्रतिशत लाभ दिलाना है। इसी क्रम में जिला प्रशासन की पहल पर जिले के 13 ग्रामों में निवासरत 72 परिवारों के 283 कमार जनजाति के लोगों तक योजना की पहुंच सुनिश्चित करने स्वास्थ्य विभाग, शिक्षा, समाज कल्याण, ग्रामीण विकास विभाग सहित विभिन्न विभागों के द्वारा गांवों में कैम्प लगाकर तथा उनके घर जाकर आवश्यक दस्तावेज तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा आधार अपडेशन जैसे कार्य भी गांव में कैम्प लगाकर युद्ध स्तर पर किए जा रहे हैं। कलेक्टर श्री अभिजीत सिंह ने जल्द से जल्द शत-प्रतिशत सैचुरेशन के निर्देश जिला अधिकारियों को दिए हैं।
आधारभूत सुविधाओं का लाभ
इससे यह स्पष्ट है कि शासन की योजनाओं से विशेष पिछड़ी जनजाति के लोगों की न सिर्फ जीवनचर्या में सकारात्मक बदलाव आ रहे हैं, अपितु वे अपने पारम्परिक मूल्यों और बाहर आकर शासन की योजनाओं का लाभ लेकर समाज की मुख्यधारा से भी जुड़ रहे हैं। मनुष्य की मौलिक आवश्यकता रोटी, कपड़ा और मकान से अब वे भी दूर नहीं रह सकेंगे। अपने बच्चों को बचपन से ही तीर-कमान से शिकार करना, मधुमक्खी के बर्रे से शहद निकालना और स्कूल के बजाय वनोत्पादों का संग्रहण करना सिखाने वाले कमार अब उन्हें रोजाना स्कूल भेज रहे हैं। यहां तक कि गांव के दो शिक्षित कमार युवक शासकीय नौकरी में सेवारत हैं। पक्के मकान से निवास का स्थायी जरिया मिलने के साथ-साथ राशन, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी अन्य आधारभूत सेवाओं का लाभ लेने में भी अब वे किसी से कमतर नहीं हैं। वास्तव में यह शासन के प्रयासों से सकारात्मक परिवर्तन की बयार है जो आने वाले दिनों में और भी सुखद परिणाम आएंगे।