CG OBC Commission: 4 जिलों के कलेक्टर और कई विभागों के सिकरेट्री रहे Rtd IAS को बनाया गया ओबीसी आयोग का अध्यक्ष, जानिये उनके बारे में

CG OBC Commission: छत्तीसगढ़ सरकार ने कल ओबीसी कल्याण आयोग का गठन कर दिया। रिटायर आईएएस आरएस विश्वकर्मा को सात सदस्यीय आयोग के अध्यक्ष बनाया गया है। विश्वकर्मा बेहद तेज और रिजल्ट देने वाले अफसर माने जाते हैं। उन्होंने छत्तीसगढ़ में लगभग सभी बड़े विभागों के सिकरेट्री रहे। इसके अलावा चार जिलों के कलेक्टर भी।

Update: 2024-08-09 15:55 GMT

CG OBC Commission रायपुर। ओबीसी के सामाजिक और आर्थिक अध्ययन के लिए राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग का गठन कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बने इस आयोग में अध्यक्ष को मिलाकर सात सदस्य हैं। ओबीसी कल्याण आयोग तकनीकी आयोग है, जिसे निश्चित समयावधि के लिए बनाया गया है। रिपोर्ट देने के बाद इसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा। इसी लिए सरकार ने आयोग को तीन महीने का टाईम मुकर्रर किया है।

जानिये रिटायर आईएएस विश्वकर्मा के बारे में

आरएस विश्वकर्मा एलॉयड सर्विस से आईएएस में आए। याने वे न तो यूपीएससी एग्जाम देकर आए और न ही पीएससी के जरिये डिप्टी कलेक्टर चुने जाने के बाद प्रमोट हुए। मगर काम में इतने स्मार्ट और दबंगई के साथ सिस्टम को आपरेट करते थे कि हमेशा वे अच्छे पदों पर बिठाए गए। बहरहाल, वे वित्त सेवा के मध्यप्रदेश राज्य कैडर के अफसर थे। उन्हें एलायड कोटे के तहत आईएएस अवार्ड किया गया था। विश्वकर्मा देश के उन गिने-चुने अफसरों में शामिल होंगे, जिन्हें योग्यता के आधार पर आईएएस के लिए चुना गया। वरना, अधिकांश एलायड वाले आईएएस सोर्स, पैरवी या फिर सत्ताधारी पार्टी की खास नजरे इनायत की वजह से चयनित हो जाते हैं।

चार जिलों के कलेक्टर रहे

आरएस विश्वकर्मा छत्तीसगढ़ में लगातार चार जिलों के कलेक्टर रहे। उसमें भी जशपुर, रायगढ़, कोरबा और राजनांदगांव जैसे जिले। ये चारों जिले काफी पोस्टिंग की दृष्टि से प्रभावशाली माने जाते हैं। इसके अलावा वे बस्तर के डेवपलमेंट कमिश्नर भी रहे। रमन सरकार ने कमिश्नरी सिस्टम लागू करने से पहले कुछ महीनों के लिए बस्तर और सरगुजा में ट्रायल के तौर पर डेवलमेंट कमिश्नर की नियुक्ति की थी।

कई जिलों के सचिव रहे

प्रमोशन पाकर मंत्रालय पहुंचने के बाद वहां भी विभागों के मामले में वे बेहद किस्मती रहे। वे माईनिंग, फायनेंस, एक्साइज, वाणिज्यिक कर जैसे विभागों के सिकरेट्री रहे, जिसके लिए डायरेक्टर आईएएस भी चाहते हैं कि ये विभाग उन्हें करने के लिए मिल जाए।

माईनिंग से हटाए गए थे

आरएस विश्वकर्मा काम में तेज और रिजल्ट देने वाले थे मगर थोड़े अक्खड स्वभाव के भी। सो, वे एक लिमिट से अधिक सुनते नहीं थे। एक बार माईनिंग सिकरट्री रहते कुछ करने का प्रेशर आया, मगर उन्होंने साफ इंकार कर दिया। हालांकि, उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी। सरकार ने उन्हें माईनिंग से हटाकर बीएल ठाकुर को सिकरेट्री बना दिया था। अलबत्ता, तत्कालीन मुख्यमंत्री उनके बारे में जानते थे इसलिए फिर से उन्हें आबकारी और वाणिज्यिक कर विभाग का दायित्व सौंपा गया। रिटायरमेंट से दो दिन पहले उन्हें बकायदा प्रमुख सचिव बनाकर रिटायर किया गया।

पीएससी चेयरमैन

रिटायरमेंट के बाद राज्य सरकार ने उन्हें पीएससी का चेयरमैन अपाइंट किया। पीएससी चेयरमैन के तौर पर भी उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई। इंटरव्यू समाप्त होने के घंटे भर के भीतर रिजल्ट निकालने की परंपरा उन्होंने शुरू की। दो बार ऐसा हुआ कि पीएससी मेंस का इंटरव्यू खतम होने के घंटे भर बाद रिजल्ट आउट हो गया। इससे पीएससी में पारदर्शिता बढ़ी। किसी को खेला करने का मौका नहीं मिलता था। चूकि पीएससी चेयरमैन का रिटायरमेंट एज 62 साल है और वे आईएएस से 60 वर्ष में रिटायर हुए थे। सो, पीएससी में उन्हें दो साल ही काम करने का मौका मिल पाया।

उद्योगपति से नाराज

आरएस विश्वकर्मा जब रायगढ़ के कलेक्टर थे, उस समय एक दिग्गज उद्योगपति से वे किसी बात पर नाराज हो गए। बाद में एक दिन उद्योगपति उनके टाईम मांग बंगले पर मिलने पहुंचे। बताते हैं, विश्वकर्मा ने निर्देश दे दिया था कि कार भीतर नहीं आएगी। देश के ब़ड़े उद्योगपति को सुरक्षाकर्मियों ने गेट पर रोक दिया। लिहाजा, उन्हें पैदल चलकर बंगले में जाना पड़ा।

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