CG News: रेलवे ठेकेदार को हाई कोर्ट से झटका, सीबीआई जांच पर रोक लगाने की याचिका खारिज
CG News: टेंडर हथियाने रेल अफसर को लाखों रुपये का रिश्वत देने के आरोपी हाईप्रोफाइल ठेकेदार सुशील झांझरिया को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सुशील झांझरिया की झाझरिया निर्माण कंपनी को ही बिलासपुर के स्टेशन को एयरपोर्ट की तर्ज पर विकसित करने के लिए 400 करोड़ रुपए का टेंडर मिला है। सीबीआई द्वारा दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए लगाई गई याचिका सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने खारिज कर दी है।
High Court News
CG News: बिलासपुर। बिलासपुर हाई कोर्ट ने रेलवे ठेकेदार व उद्योगपति सुशील झांझरिया की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। सीबीआई CBI द्वारा दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग याचिका में की गई थी। फिलहाल याचिकाकर्ता न्यायिक हिरासत में है।
CBI सीबीआई ने 25 अप्रैल 2025 को एफआइआर दर्ज की थी, मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7, 8, 9, 10 और 12 तथा भारतीय न्याय संहिता की धारा 61(2) के तहत दर्ज हुआ था। गिरफ्तारी के बाद से झांझरिया न्यायिक हिरासत में है। याचिकाकर्ता ने संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत याचिका दायर करते हुए सीबीआई की कार्रवाई को अवैध बताया और कई अहम बिंदुओं पर सवाल उठाए। याचिका में कहा गया था कि टेलीफोन काल इंटरसेप्शन में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं हुआ। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17 ए के तहत पूर्व स्वीकृति अनिवार्य थी, जो ली ही नहीं गई। सीबीआई ने अपने ही क्राइम मैनुअल 2020 का उल्लंघन किया।
एफआईआर में रिश्वत मांगने जैसे आवश्यक तथ्यों का उल्लेख नहीं है, जिससे अपराध का इरादा साबित नहीं होता। गिरफ्तारी के समय आरोप स्पष्ट नहीं बताए गए, जो अनुच्छेद 22(1) और दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 50 का उल्लंघन है। केस डायरी और जरूरी दस्तावेज जानबूझकर छिपाए गए, जिससे निष्पक्ष सुनवाई का अधिकार प्रभावित हुआ।
सीबीआई ने रखा अपना पक्ष-
सीबीआई की ओर से अधिवक्ता बी. गोपा कुमार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि विस्तृत जांच के बाद एफआईआर दर्ज की गई और अब चार्जशीट भी दाखिल कर दी गई है। मामले में ट्रायल कोर्ट द्वारा संज्ञान लिया जाना शेष है। सुनवाई के बाद मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने कहा कि जब चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और ट्रायल कोर्ट संज्ञान लेने की प्रक्रिया में है तो सीधे हाई कोर्ट से एफआईआर रद्द करने का आदेश नहीं दिया जा सकता। याचिकाकर्ता को अब यह स्वतंत्रता है कि वे चार्जशीट और संज्ञान आदेश के खिलाफ कानूनी प्रक्रिया के तहत उचित मंच पर चुनौती दें। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका को वापस लेने की अनुमति देते हुए याचिका खारिज कर दी है।