CG News: आज़ादी के बाद भी हाथ में तिरंगा लिए इस तरह स्कूल जाने पर मजबूर बच्चे, देंखे VIDEO

CG News: जब देशभर में 15 अगस्त को आज़ादी का उत्सव मनाया जा रहा था, तब छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो हाथ में तिरंगा लिए इस जश्न में शामिल होने के लिए मौत के मुंह से होकर गुज़रे. इन बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस की परेड और झंडारोहण में भाग लेने के लिए एक उफनते नाले को पार किया, वो भी बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के.

Update: 2025-08-16 05:51 GMT

CG News: जब देशभर में 15 अगस्त को आज़ादी का उत्सव मनाया जा रहा था, तब छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में कुछ बच्चे ऐसे भी थे जो हाथ में तिरंगा लिए इस जश्न में शामिल होने के लिए मौत के मुंह से होकर गुज़रे. इन बच्चों ने स्वतंत्रता दिवस की परेड और झंडारोहण में भाग लेने के लिए एक उफनते नाले को पार किया, वो भी बिना किसी सुरक्षा इंतज़ाम के.

दरअसल, पूरा मामला सूरजपुर जिले के प्रेमनगर ब्लॉक के महेशपुर गांव के गौंटियापारा इलाके का है. जहां बारिश आते ही यह नाला सबसे बड़ी मुसीबत बन जाता है. न कोई पुल है, न कोई सुरक्षित पगडंडी. कई बरस बीत गए, शिकायतें दी गईं, लेकिन हालात जस के तस हैं. बच्चों को इसी तरह स्कूल जाना पड़ता है.

सोशल मीडिया वीडियो वायरल

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि छोटे-छोटे बच्चे, जिनकी उम्र 6 से 12 साल के बीच होगी, गीली ड्रेस में, हाथ में बैग लेकर बहते पानी से भरे एक नाले को पार कर रहे हैं. नाले का बहाव तेज है और रास्ता फिसलन भरा. फिर भी ये बच्चे डरे नहीं क्योंकि उन्हें स्वतंत्रता दिवस मनाने स्कूल जाना था.

स्थानीय निवासियों में नाराजगी

स्थानीय निवासियों का कहना है कि कई बार बच्चे फिसल चुके हैं, घायल भी हुए हैं. अगर कोई हादसा हो जाए, तो कौन जिम्मेदार होगा?. प्रशासन ने अब तक सिर्फ कागज़ी वादों से ही भरोसा दिया है.

एक तरफ डिजिटल इंडिया की बात होती है, वहीं दूसरी तरफ इन मासूमों को सुरक्षित स्कूल पहुंचने के लिए भी संघर्ष करना पड़ रहा है. यह तस्वीरें बताती है कि हमारे देश में कई ऐसी जगहें हैं जो आजादी के बाद भी विकास से वंछित है. जिस पर प्रशासन को ध्यान देने की जरूरत है.


गांव वालों की मांग

गांव वालों ने अब खुलकर प्रशासन से कहा है कि अगर जल्द ही स्थायी पुल नहीं बनाया गया, तो वे आंदोलन करेंगे. उनका कहना है कि बच्चों की सुरक्षा से बढ़कर कोई मुद्दा नहीं हो सकता. अब उन्हें सिर्फ आश्वासन नहीं, एक ठोस कदम चाहिए. जब तक देश का हर बच्चा बिना डर और खतरे के स्कूल नहीं जा सकता, तब तक आज़ादी अधूरी है.


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