CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ का शराब घोटाला, 30 अफसरों पर EOW की बड़ी कार्रवाई, चार्जशीट दाखिल
CG Liquor Scam: छत्तीसगढ़ में 2161 करोड़ के शराब घोटालें में संलिप्तता के आरोप में EOW आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने 30 से अधिक अधिकारियों के खिलाफ स्पेशल कोर्ट में चार्ज शीट पेश कर दी है। छत्तीसगढ़ में अब तक की ये सबसे बड़ी कार्रवाई है। ब्यूरो ने जिन 30 अफसरों के खिलाफ चार्ज शीट पेश किया है उसमें 16 अधिकारी अभी नौकरी पर हैं। 11 अफसर रिटायर हो गए हैं। घोटाले में शामिल दो अधिकारियों की बीमारी से मौत हो चुकी है। जांच एजेंसी की पांचवीं चार्जशीट में इन अफसरों को घोटाले के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
CG Liquor Scam
CG Liquor Scam: रायपुर। छत्तीसगढ़ में हुए 2161 करोड़ के शराब घोटाले में अफसरों से लेकर राजनेता और शराब निर्माता कंपनी सभी की मिलीभगत सामने आई है। ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट के सामने अब तक चार चार्जशीट पेश किया है। सोमवार को जांच एजेंसी की ओर से पांचवीं चार्जशीट पेश की गई है। इसमें छत्तीसगढ़ के 30 से अधिक अधिकारियों को दोषी ठहराया गया है। छत्तीसगढ़ में जांच एजेंसी के द्वारा अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई और चार्जशीट है। 66,000 से अधिक पन्नों के चार्जशीट में जांच एजेंसी ने अहम खुलासे किया है।
ब्यूरो के अनुसार, 2019 से 2023 के बीच सिंडिकेट के साथ मिलकर आबकारी अफसरों ने बड़े पैमाने पर घोटाला किया। शराब बिक्री प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर हेरफेर किया। नकली होलोग्राम,ओवर रेटिंग,नकली बिल,कैश वसूली और दाम तय करने में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी और घोटाले का आरोप है। जांच एजेंसी द्वारा पेश चार्जशीट में तकनीकी दस्तावेज, बैंक ट्रांजेक्शन डिटेल्स, कॉल रिकॉर्ड्स, गवाहों के बयान और डिजिटल साक्ष्य प्रस्तुत पेश किया गया है। चार्जशीट में जांच एजेंसी ने यह भी बताया है कि अफसरों ने सिंडिकेट के साथ मिलकर नियमों व मापदंडों से परे करोड़ो की लूट की है और सरकारी खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया है। घोटाले के लिए अफसरों व सिंडिकेट ने संगठित गिरोह की तरह काम किया है।
छत्तीसगढ़ में पहली बार इतनी बड़ी कार्रवाई-
छत्तीसगढ़ में यह पहली बार देखने को मिल रहा है जब घोटाले में जांच एजेंसी ने राज्य सेवा संवर्ग के 30 से अधिक अधिकारियों को दोषी ठहराते हुए चार्जशीट पेश किया है। जांच एजेंसी की इस कार्रवाई से प्रशासनिक स्तर पर सरगर्मी देखी जा रही है।
चार्जशीट में इन अफसरों के नाम-
तत्कालीन विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी के करीबी जनार्दन कौरव, दिनकर वासनिक, नवीन प्रताप सिंह तोमर, विकास गोस्वामी, नीतू नोतानी, इकबाल खान समेत अन्य शामिल हैं। झारखंड में त्रिपाठी का पूरा काम दिनकर देख रहा था। विधानसभा चुनाव में त्रिपाठी ही फंडिंग का काम देख रहे थे। उनके लिए दिनकर और नवीन प्रताप फील्ड में काम कर रहे थे।
शराब की बिक्री बढ़ाने के लिए 70 करोड़ दिया कमीशन-
शराब बिक्री के लिए राज्य को 8 जोन में बांटा गया था। जोन के अनुसार डिस्टलरी मालिकों से सिंडीकेट और सरकार कमीशन लेती थी। 2018 के पहले शराब बिक्री में 54% भागीदारी छत्तीसगढ़ डिस्टलरी की थी। 28% वेलकम डिस्टलरी और 18% भाटिया वाइन की भागीदारी थी। कांग्रेस सरकार में शराब कारोबार को चलाने के लिए सिंडीकेट बनाया गया। तब डिस्टलरी संचालकों ने ज्यादा शराब खपाने के लिए मोटा कमीशन लिया। वेलकम डिस्टलरी की भागीदारी बढ़ाकर 58% कर दी गई। भाटिया की 28% की गई और छत्तीसगढ़ डिस्टलरी की घटाकर 14% कर दिया गया। जिनकी भागीदारी बढ़ी उन्होंने हर साल 70-70 करोड़ रुपए कमीशन दिया।
ये तीन पार्ट जिसमें डिस्लरी संचालक थे शामिल-
ईओडब्ल्यू ने स्पेशल कोर्ट में पेश चौथी चार्जशीट में बताया है कि पार्ट-ए, पार्ट-बी और पार्ट-सी, इन तीनों घोटाले में डिस्टलरी मालिक की संलिप्तता रही है। डिस्टलरी संचालकों को पार्ट-बी के शराब में सबसे ज्यादा फायदा हुआ है। सरकार ने डिस्टलरी मालिकों को पार्ट टू में अतिरिक्त शराब निर्माण की अनुमति दी। इन्हीं शराब की बोतल में फैक्ट्री के भीतर ही डुप्लीकेट होलोग्राम लगाए जाते थे। वहां से आबकारी अधिकारियों की निगरानी में बिक्री के लिए अवैध शराब सीधे दुकान पहुंचाई जाती थी। अवैध शराब की बिक्री के हिसाब के लिए हर दुकान में अलग से गल्ला रखा गया था। इसमें पहले 560 रुपए प्रति पेटी कमीशन डिस्टलरी को मिलता था। बाद में इसे बढ़ाकर 600 रुपए प्रति पेटी कर दिया गया। जबकि वैध शराब की पेटी में 75-100 रुपए कमीशन मिलता था।
जार्चशीट में ये भी खुलासा-
जांच एजेंसी की चौथी चार्जशीट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सिंडिकेट सबसे ज्यादा पावरफूल था। प्रदेश में किस कंपनी की शराब बिकेगी और किसकी नहीं, यह सब सिंडिकेट ही तय करता था। जो कंपनी सिंडिकेट को ज्यादा कमीशन देती थी, उसी ब्रांड का शराब प्रदेश में बिकता था। पिछली सरकार में ब्रांडेंड शराब की शार्टेज थी। सिंडिकेट को मनचाहा कमीशन ना मिलने के कारण ब्रांडेड की बिक्री रोक दी गई थी। चार्जशीट के मुताबिक छत्तीसगढ़ डिस्टलरी के मालिक नवीन केडिया, भाटिया वाइन एंड मर्चेंट्स के भूपेंद्र पाल सिंह भाटिया और वेलकम डिस्टलरी के राजेंद्र जायसवाल व उनके सहयोगियों की अवैध फायदा पाने में आपराधिक लिप्तता रही है।