Bilaspur News: अनुकंपा नियुक्ति पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, एक बार मिलेगा लाभ, पद स्वीकारने के बाद नहीं कर सकते पदोन्नति का दावा
अनुकंपा नियुक्ति को लेकर हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कहा कि अनुकंपा या दया नियुक्ति एक बार मिलने वाला लाभ है। आपत्ति के साथ अगर पद स्वीकार कर लिया उसके बाद भी पदोन्नति का दावा नहीं कर सकते।
Bilaspur High Court
बिलासपुर। अनुकंपा नियुक्ति के तहत मनमाफिक पद ना मिलने के बाद दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अनुकंपा या दया के आधार पर दी गई नियुक्ति एक बार मिलने वाला लाभ है। जस्टिस राकेश मोहन दुबे ने अपने फैसले में लिखा है कि यदि आवेदक नियुक्ति को लेकर आपत्ति दर्ज कराते हुए इसे स्वीकार कर लेता है वह भविष्य में पदोन्नति का तो दावा कर सकता है और ना ही मांग। कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी लिखा है कि अनुकंपा नियुक्ति की योजना विभाग में पद की उपलब्धता,प्रशासनिक विवेक और अन्य प्रक्रियात्मक आवश्यकताओं की पूर्ति पर निर्भर करता है। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को ड्राइवर के पद के लिए अनुकंपा नियुक्ति के तहत अनुशंसा की गई थी लेकिन उसे माली के पद पर नियुक्ति दी गई। याचिकाकर्ता ने पहले विरोध दर्ज कराया और उसके बाद माली के पद पर ज्वाइन कर लिया। कोर्ट ने कहा कि एक बार नियुक्ति स्वीकार कर ली जाती है तब इसे एकमुश्त लाभ के रूप में माना जाता है और भविष्य में किसी उच्च पद की मांग नहीं की जा सकती।यह कानूनी रूप से स्वीकार्य नहीं है।
क्या है मामला-
याचिकाकर्ता अभिनय दास मानिकपुरी ने अपने पिता की मृत्यु के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया था। याचिकाकर्ता के पिता पीडब्ल्यूडी में चाैकीदार के पद पर कार्यरत थे। अभिनय दास के आवेदन को स्वीकार करते हुए विभागीय अधिकारी ने चतुर्थ श्रेणी के तहत माली के लिए नियुक्ति पत्र जारी कर दिया। जिसे अभिनय ने अस्वीकार कर दिया। इसके बाद विभाग ने ड्राइवर के पद के लिए नियुक्ति पत्र जारी किया। ड्राइवर के पद पर नियुक्ति नहीं मिली,अंत में अभिनय ने माली का पद स्वीकार करते हुए ज्वाइन कर लिया।
लोक निर्माण विभाग में चौकीदार थे। प्रक्रिया के बाद याचिकाकर्ता को माली (कक्षा-4) के पद पर नियुक्ति पत्र मिला, जिसे पहले उसने अस्वीकार कर दिया। बाद में उसे ड्राइवर (कक्षा-3) पद के लिए भी अनुशंसा मिली, लेकिन उस पर नियुक्ति नहीं दी गई। अंततः उसने माली के पद को स्वीकार कर लिया और फिर इस आदेश को याचिका के माध्यम से चुनौती दी। माली के पद पर ज्वाइन करने के बाद अभिनय ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर इसे चुनौती दी। याचिकाकर्ता ने कहा कि वह ड्राइवर पद के लिए योग्य था, उसे वह पद दिया जाए। राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के ला अफसर ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया। अनुसुइया ओटी बनाम छत्तीसगढ़ राज्य और आईजी (कार्मिक) बनाम प्रह्लादमणि त्रिपाठी के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि एक बार नियुक्ति स्वीकार करने के बाद, दोबारा आपत्ति के साथ फिर से पदोन्नति या बदलाव की मांग नहीं की जा सकती।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में यह लिखा है-
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि अनुकंपा नियुक्ति कोई अधिकार नहीं है,यह प्रशासनिक सुविधा है जो दिवंगत कर्मचारियों के परिजनों को आर्थिक संकट से उबारने के लिए यह किया जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि अनुकंपा नियुक्ति को सामान्य भर्ती प्रक्रिया का विकल्प नहीं माना जा सकता और ना ही उच्च पद की मांग की जा सकती है। इस टिप्पणी के साथ हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया है।