Bilaspur Highcourt News: मृत्युपूर्व बयान विश्वनीय: तो हो सकता है सजा का महत्वपूर्ण आधार, पढ़िए हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

Bilaspur Highcourt News: विवाहिता की मौत के मामले में मृत्यपूर्व कथन को विश्वसनीय पाकर ट्रायल कोर्ट ने विवाहिता की मौत के मामले में दहेज हत्या मान आरोपी पति और सास को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की गई थी। हाईकोर्ट ने भी माना कि यदि मृत्यपूर्व कथन यदि विश्वसनीय हो तो वह अकेले सजा का आधार हो सकता है। इस आधार पर हाईकोर्ट ने आरोपियों के आजीवन कारावास के फैसले को बरकरार रखा है।

Update: 2025-06-27 08:19 GMT

High Court News

Bilaspur Highcourt News: बिलासपुर। हाईकोर्ट ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि मृत्युपूर्व दिया गया कथन प्रमाणिक और विश्वसनीय पाए जाने पर उस पर भरोसा किया जा सकता है। बिना किसी पुष्टि के उसे दोषसिद्धि का एकमात्र आधार बनाया जा सकता है। कोर्ट ने इस आधार पर पति और सास की सजा बरकरार रखी है।

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा एवं जस्टिस बीडी गुरु की डीबी में सजा के खिलाफ अपील पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने मृत्युपूर्व बयान को विश्वनीय पाकर दहेज हत्या के आरोपी मां-बेटे की अपील खारिज कर दी। दोषियों को सत्र न्यायालय से आजीवन कारावास की सजा हुई है।

यह है मामला

मालखरौदा क्षेत्र के ग्राम धमनी निवासी धनेश्वर यादव का 16 अप्रैल 2015 को राधा बाई के साथ विवाह हुआ था। आरोपी धनेश्वर यादव व उसकी माड्ड मंगली बाई बहू राधा को छोटी-छोटी बातों पर गाली-गलौज और मारपीट कर परेशान करते थे। वे उससे उसके माता-पिता के घर से पैसे लाने के लिए कहते थे। 1 सितंबर 2021 को आरोपियों ने मिलकर राधा बाई के शरीर पर मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। 6 सितंबर 2021 को रायपुर के डीकेएस अस्पताल में उपचार के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। वार्ड ब्वाय ओमप्रकाश वर्मा की सूचना पर मृत्यु के संबंध में थाना गोलबाजार रायपुर में प्रकरण दर्ज कर शव का पोस्टमार्टम कराया गया।

एफआईआर देर से होने को बनाया आधार

आरोपियों के विरुद्ध मालखरौदा थाने में धारा 304 बी, 302, 34 के अंतर्गत प्रकरण दर्ज कर जांच की गई। आरोपी धनेश्वर यादव से माचिस और घटनास्थल से चौकोर कंबल, आधा जला पैंट, आधी जली साड़ी, प्लास्टिक की स्प्राइट बोतल जब्त की गई। जांच के पश्चात आरोपी धनेश्वर यादव और उसकी मां मंगली बाई के विरुद्ध धारा 304 बी, 302, 34 आईपीसी के अन्तर्गत आरोप पत्र प्रस्तुत किया गया। प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश सक्ती ने आरोपियों को धारा 302 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

इसके खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील कर कहा कि दहेज हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराना अनुचित है, क्योंकि अभियोजन पक्ष इसे साबित करने में विफल रहा है। अभियोजन पक्ष के अनुसार, घटना 1 सितंबर 2021 को हुई मृत्यु 6 सितंबर को, लेकिन एफआईआर लगभग साढ़े 3 माह बाद 15 जनवरी 2022 को दर्ज कराई गई, वह भी सिर्फ मर्ग सूचना पर। जबकि मृत्युपूर्व बयान 2 सितंबर 2021 को ही दर्ज कर लिया गया था।

फैसला समुचित मूल्यांकन और कानून अनुसार

आरोपियों के तर्क सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि विचारण न्यायालय द्वारा पारित निर्णय साक्ष्य के समुचित मूल्यांकन पर आधारित है, जो न तो विकृत है और न ही अभिलेखों के साथ-साथ सर्वोच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित कानून के विपरीत है। इसमें किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है। इसलिए अपीलकर्ता धनेश्वर यादव और मंगली बाई को दी गई सजा और दोषसिद्धि के निर्णय की पुष्टि की जाती है।

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