Bilaspur High Court: NHAI के अफसरों ने हाई कोर्ट से कहा- जानवरों में लगाई जाए जियो टैगिंग, मालिक को खोजना होगा आसान
Bilaspur High Court: आवास की व्यवस्था ना होने और मालिकों का पता ना चलने के कारण दिक्कतें आ रही है।अफसरों ने मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश की तर्ज की मवेशियों में जियो टैगिंग की सलाह दी है।
Bilaspur High Court: बिलासपुर। एनएचएआई के अफसरों ने हाई कोर्ट के डिवीजन बेंच के समक्ष कहा कि जानवरों को सड़क से पकड़ने के बाद दोबारा फिर आ जाते हैं। आवास की व्यवस्था ना होने और मवेशी मालिकों के बारे में जानकारी ना होने के कारण यह परेशानी खड़ी हो रही है। अफसरों ने कोर्ट से कहा कि मध्यप्रदेश और आंध्रप्रदेश की तर्ज पर मवेशियों में जियो टैगिंग की जाए। इससे मालिक का नाम,पता और सही जानकारी मिलेगी। तब कार्रवाई भी संभव हो सकेगा। डिवीजन बेंच ने शपथ पत्र के साथ पूरी योजना के बारे में बताने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए 30 अक्टूबर की तिथि निर्धारित कर दी है ।
सडक दुर्घटनाओं के मामले में स्व संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका के तौर पर सुनवाई हो रही है। इस मामले में आज एनएचएआई के अफसरों ने मवेशियों पर टैग लगाने का सुझाव दिया।
प्रदेश में खराब ट्रेफिक स्थितियों के कारण हो रही सडक दुर्घटनाओं को लेकर हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। इसके बाद चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने एक जनहित याचिका के रूप में सुनवाई प्रारंभ की है। सडक पर आवारा मवेशियों के जमा होने से लेकर भारी वाहनों की चपेट में आकर मारे जाने वाले मवेशियों का भी उल्लेख इस याचिका पर सुनवाई करते हुए किया गया है। हाई कोर्ट ने एडवोकेट प्रांजल अग्रवाल और रविन्द्र शर्मा को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए सभी जगह जांच कर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा था।
बुधवार को डीबी में हुई सुनवाई में कोर्ट कमिश्नरों ने बताया कि, बिलासपुर और आसपास कई प्रमुख मार्गों पर निरीक्षण के बाद यह मालूम हुआ कि, सडकों से मवेशियों को हटाने की कोई योजना जिला प्रशासन के पास ही नहीं है। सुबह जिन मवेशियों को हटाया जाता है , शाम को फिर उसी जगह पर वापस आ जाते हैं।
स्थानीय निकायों के सहभागिता बिना संभव नहीं
कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में नगर निगम, नगर पंचायत व ग्राम पंचायत जैसी स्थानीय प्रशासन की सहभागिता पर जोर देते हुए कहा कि इनकी सहभागिता के बिना सड़कों से मवेशियों को हटाना और सुरक्षित जगह पर रखना संभव नहीं है।
इस तरह की खामियां भी गिनाई
कोर्ट कमिश्नरों ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया है कि प्रदेश में कई ऐसे भी अस्पताल भवन है जिसमें पार्किंग की व्यवस्था ही नहीं है। गाड़ियां सड़क पर खड़ी रहती है,वह भी बेरतीब। इसके चलते दुर्घटना की आशंका भी बनी रहती है। इस दिशा में समुचित कदम उठाने की जरुरत है। व्यवसायियों ने फूटपाथ पर कब्जा कर रखा है। सुरक्षित आवागमन में यह भी बड़ी बाधा है।
एनएचएआई के वकील ने कहा, जानवरों में जियो टैगिंग जरुरी
नेशनल हाइवे एथारिटी के अधिवक्ता धीरज वानखेड़े ने कोर्ट को बताया कि , जानवरों को यदि पकड लिया जाए तो उन्हें रखने का कोई समुचित इंतजाम नहीं है। यदि जानवर पकडे जाते हैं तो उनके मालिकों का पता नहीं चलता है। उन्होंने एक सुझाव देते हुए कहा कि मप्र व आंध्रप्रदेश जैसे अन्य राज्यों की तरह इनमें यहाँ भी जिओ टैग लगा दिया जाये तब मालिक का नाम, पता सब मालूम रहेगा और कार्रवाई आसान होगी।