Bilaspur High Court: 14 मंत्री बनाए जाने पर हाई कोर्ट में सुनवाई, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा बैकग्राउंड...
Bilaspur High Court News: प्रदेश में 14 मंत्री बनाए जाने को लेकर जनहित याचिका लगाई गई है। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग, मुख्यमंत्री समेत 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है। अदालत ने याचिकाकर्ता के पृष्ठभूमि की जानकारी शपथ पत्र में मांगी है। इसके साथ ही राज्य शासन को जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
Bilaspur High Court News: बिलासपुर। छत्तीसगढ़ शासन में 14 मंत्री बनाए जाने को लेकर जनहित याचिका लगाई गई है। याचिका में छत्तीसगढ़ कैबिनेट की संख्या 14 होने को असंवैधानिक बताया गया है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में हुई। अदालत ने राज्य शासन से इस संबंध में जारी दिशा–निर्देशों की जानकारी मांगने के साथ ही याचिकाकर्ता से उसका बैकग्राउंड पूछा है।
छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल में पहले 11 मंत्री थे। इसी मां 20 अगस्त को मंत्रियों की संख्या बढ़ाकर तीन नए मंत्री शामिल किए गए हैं। 20 अगस्त को ही इनका शपथ ग्रहण करवाया गया और इन्हें विभाग आवंटित किए गए हैं। अब कैबिनेट मंत्रियों की संख्या 11 से बढ़कर 14 हो गई है। कांग्रेसी से लेकर लगातार विरोध कर रहा है। कांग्रेस के कई नेताओं ने इसके खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है। नेता प्रतिपक्ष चरण दास महंत ने भी राज्यपाल को पत्र लिखकर इसे नियम विरुद्ध बताते हुए किसी एक मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है।
वहीं कांग्रेस के कार्यकर्ता बसदेव चक्रवर्ती ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाई है। जनहित याचिका में मंत्रिमंडल में 14 मंत्री बनाने को असंवैधानिक बताते हुए याचिका दायर की गई है। इसमें सामान्य प्रशासन विभाग मुख्यमंत्री समेत सभी 14 मंत्रियों को पक्षकार बनाया गया है। याचिका में बताया गया है कि मंत्रिमंडल के सदस्यों के अनुपात में नियमों के अनुसार केवल 13 मंत्री हो सकते हैं। छत्तीसगढ़ के 90 विधानसभा सीटों की तुलना में 14 मंत्री बनाने पर 15% की सीमा क्रॉस कर गई है। यह संविधान के अनुच्छेद 164(1क) का उल्लंघन है। भाजपा इसे हरियाणा की तर्ज पर करना बता रही है।
आज चीफ जस्टिस रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डीबी में यह मामला आया। जनहित याचिका के रूप में लगी इस याचिका की गंभीरता को परखने के लिए चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से उनका बैकग्राउंड और समाज सेवा में किए गए कामों की जानकारी शपथ पत्र में मांगी है। याचिकाकर्ता को यह निर्देश दिए गए हैं कि अपनी पृष्ठभूमि की जानकारी शपथ पत्र में देवें। इसके साथ ही राज्य शासन से भी इस मामले में जवाब मांगा गया है। मामले की अगली सुनवाई 2 सितंबर मंगलवार को रखी गई है।