CG Right to Education Act: CG कसा शिकंजा तो तिलमिलाए प्राइवेट स्‍कूल संचालक: RTE के भुगतान को लेकर उड़ाई अफवाह, सरकार ने दिया यह जवाब...

CG Right to Education Act: शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) को लेकर सरकार ने प्राइवेट स्‍कूलों पर शिकंजा कस दिया है। इससे स्‍कूल संचालक तिलमिला गए हैं और सरकार को घोरने की कोशिश में लग गए हैं। प्राइवेट स्‍कूल संचालकों की तरफ से भुगतान को लेकर उड़ाई जा रही खबरों का आज सरकार की तरफ से करारा जवाब दिया गया है।

Update: 2024-05-24 14:22 GMT

CG Right to Education Act: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में सरकार शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में प्राइवेट स्‍कूलों का खेला समझ गई है। एक-एक कर इस मामले में सरकार शिकंजा कसने की तैयारी में है। स्‍कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परेदशी ने ड्राप आउट पर रिपोर्ट मांगी है। वहीं, कलेक्‍टरों को बीते 5 साल के ड्राप आउट की समीक्षा करने के लिए कहा है। इससे प्राइवेट स्‍कूलों की चिंता बढ़ गई है। सरकार की तरफ से बढ़ते दबाव को कम करने के लिए प्राइवेट स्‍कूल संचालकों ने अब अफवाह उड़ाना शुरू कर दिया है। आरोप लगा रहे हैं कि सरकार आरटीई का भुगतान नहीं कर रही है।

प्राइवेट स्‍कूलों की तरफ से भुगतान नहीं किए जाने को लेकर उड़ाई जा रही अफवाहों का सरकार ने भी तथ्‍यों के साथ जवाब दिया है। शिक्षा विभाग के अफसरों ने बताया कि प्राइवेट स्‍कूलों की तरफ से यह प्रचारित किया जा रहा है कि आरटीई के तहत प्राइवेट स्‍कूलों का 285 करोड़ रुपये लंबित है। यानी सरकार नहीं दे रही है।

अफसरों ने 285 करोड़ लंबित होने के आरोपों की सच्‍चाई बताई है। अफसरों ने बताया कि जनवरी 2024 से अप्रैल 2024 तकं वर्ष 2022-23 हेतु नर्सरी से 8वीं में अध्ययनरत विद्यार्थियों की शुल्क प्रतिपूर्ति राशि 185.91 करोड़ और कक्षा 9वीं से 12वीं में अध्ययनरत विद्यार्थियों की शुल्क प्रतिपूर्ति राशि 20.71 करोड़ के विरूद्ध कुल 134,30,27,339 रुपये निजी विद्यालयों के खाते में ट्रांसफर किया जा चुका है। वर्ष 2022-23 में शेष लंबित राशि लगभग 70.00 करोड़ के भुगतान की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसी तरह वर्ष 2023-24 की प्रतिपूर्ति के लिए सत्रांत अगस्त का समय निर्धारित है। विद्यालयों द्वारा समय-सीमा में दावा किए जाने के पश्चात् शुल्क प्रतिपूर्ति राशि के भुगतान के लिए कार्यवाही की जावेगी।

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रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत हर साल हजारों गरीब परिवार के बच्‍चों का प्राइवेट स्‍कूलों में दाखिला होता है। इन बच्‍चों की पढ़ाई का खर्च सरकार वहन करती है। इसके बावजूद ज्‍यादातर बच्‍चे एक या दो साल में पढ़ाई छोड़ देते (ड्राप आउट) हैं। यह मामला अब सरकार के संज्ञान में आया है। पता चला है कि ऐसा बड़े और नामी स्‍कूलों में ज्‍यादा हो रहा है। वहां पहले साल तो बच्‍चों का दाखिला होता जाता है, लेकिन आगे की क्‍लास में बच्‍चे नहीं पढ़ते हैं। सरकार ने इसे गंभीरता से लेते हुए इसकी पड़ताल शुरू कर दी है। एक दिन पहले स्‍कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने प्रदेश के सभी कलेक्‍टरों को पत्र जारी करके आरटीई के बच्‍चों की ड्राप आउट पर रिपोर्ट मांगी है। साथ ही कलेक्‍टरों को पूरे पांच साल की रिपोर्ट की समीक्षा करने के लिए कहा है। इस खबर को विस्‍तार से पढ़नें के लिए यहां क्लिक करें

यह भी पढ़ें- CG प्राइवेट स्‍कूलों पर सरकार ने कसा शिकंजा: स्‍कूल शिक्षा सचिव ने RTE वाले बच्‍चों की मांगी ड्राप आउट रिपोर्ट, कलेक्‍टरों को 5 साल की समीक्षा करने के निर्देश...

रायपुर। शिक्षा का अधिकार (आरटीई) के मामले में मनमानी करने वाले प्राइवेट स्‍कूलों की अब खैर नहीं है। प्रदेश की विष्‍णुदेव साय सरकार शिक्षा सत्र की शुरुआत में ही आरटीई को लेकर सख्‍ती शुरू कर दी है। स्‍कूल शिक्षा सचिव सिद्धार्थ कोमल परदेशी ने कलेक्‍टरों को पत्र लिखकर आरटीई वाले बच्‍चों की ड्राप आउट रिपोर्ट तलब की है। इस खबर को विस्‍तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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