ईरानी राष्ट्रपति की मौत, हफ्तेभर पहले हुई चाबहार डील पर क्या पड़ेगा असर, आखिर क्यों अहम है भारत के लिए ये समझौता, जिस पर अमेरिका भी दिखा चुका है आंखें?

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के बाद अब 13 मई को भारत के साथ हुई चाबहार डील पर क्या असर पड़ेगा और ये डील क्यों इतनी महत्वपूर्ण है, ये सवाल अब सबके मन में है।

Update: 2024-05-20 09:21 GMT

ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी, विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन समेत 9 लोगों का हेलिकॉप्टर क्रैश में निधन हो गया है। ईरान की सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने सोमवार सुबह ये जानकारी दी। अजरबैजान से लौटते समय उनका हेलिकॉप्टर रविवार शाम करीब 7 बजे लापता हो गया था। ईरानी राष्ट्रपति की मौत ऐसे समय में हुई है, जब हाल ही में भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट पर बड़ा समझौता साइन किया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रईसी की मौत पर कहा कि वे ईरान के राष्ट्रपति के निधन से 'दुखी और स्तब्ध' हैं। उन्होंने एक्स पर लिखा, 'भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है।'

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मोहम्मद मोखबर बन सकते हैं ईरान के नए राष्ट्रपति

रईसी की मौत नई दिल्ली और तेहरान के बीच चाबहार बंदरगाह के संचालन को लेकर हुई ऐतिहासिक डील के बाद हुई है, इसलिए अब दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय समझौतों को लेकर वहां के नए राष्ट्रपति का क्या रुख रहेगा, इस पर चर्चा तेज हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि उपराष्ट्रपति मोहम्मद मोखबर ईरान के नए राष्ट्रपति हो सकते हैं। दरअसल मोहम्मद मोखबर ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामनेई के करीबी माने जाते हैं।

भारत और ईरान के बीच मजबूत और दोस्ताना संबंध

ईरान भारत का महत्वपूर्ण रणनीतिक, व्यापारिक और ऊर्जा साझादीर है। इस साल ईरानी राष्ट्रपति रईसी भारत भी आने वाले थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले कार्यकाल से ही विदेश नीति पर काफी जोर दिया और विश्व के अलग-अलग देशों के साथ मजबूत और सकारात्मक संबंध बनाने की कोशिश की। भारत के प्रति रईसी का रुख भी काफी सकारात्मक था। पीएम मोदी और रईसी अच्छे मित्र थे। यही वजह है कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत और ईरान के बीच व्यापारिक और रणनीतिक साझेदारी पर कोई बुरा असर नहीं पड़ा।

चाबहार पोर्ट पर दोनों देशों के बीच बड़ा समझौता

हफ्तेभर पहले ही भारत ने ईरान के साथ चाबहार पोर्ट पर बड़ा समझौता साइन किया है। अगले 10 वर्षों तक चाबहार पोर्ट का संचालन अब भारत के पास रहेगा। इब्राहिम रईसी ने भारत के साथ इस डील को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई थी। प्रधानमंत्री मोदी ने रईसी की मौत पर दुख जताते हुए कहा है कि भारत संकट की इस घड़ी में ईरान के साथ खड़ा रहेगा। भारत को चाबहार मिलना रणनीतिक रूप से बेहद जरूरी था। यह न सिर्फ यूरेशिया और पूर्वी यूरोप में जाने का रास्ता है, बल्कि इसके माध्यम से मिडिल ईस्ट और यूरोप के रास्ते भी भारत तलाश रहा है।

अमेरिका की आपत्ति पर भारत ने दिया था करारा जवाब

इस डील के बाद भारत के लिए अफगानिस्तान और मध्य एशिया में व्यापार करना आसान होगा। हालांकि इस डील के बाद अमेरिका ने भारत को प्रतिबंधों की चेतावनी भी दी थी, लेकिन भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर ने दो टूक जवाब दिया था कि ये बंदरगाह पूरे क्षेत्र को लाभान्वित करेगा और अमेरिका को इस मामले में संकीर्ण दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहिए।

चाबहार समझौते के बारे में जानिए

ईरान के चाबहार में शाहिद बेहेशती पोर्ट को भारत ने 10 साल के लिए लीज पर ले लिया है। भारत और ईरान के बीच यह डील 13 मई को हुई है। अब पोर्ट का पूरा मैनेजमेंट भारत के पास होगा। भारत इस पोर्ट की मदद से ईरान, अफगानिस्तान, आर्मेनिया, अजरबैजान, रूस, मध्य एशिया और यूरोप के साथ सीधे व्यापार कर सकता है। इसी के साथ पाकिस्तान की जरूरत भी खत्म हो जाएगी। डील के तहत भारतीय कंपनी इंडिया पोर्ट्स ग्लोबल लिमिटेड (IPGL) चाबहार पोर्ट में 120 मिलियन डॉलर का निवेश करेगी।

अमेरिका ने भारत को इस बंदरगाह के लिए हुए समझौतों को लेकर कुछ खास प्रतिबंधों में छूट दी है। चाहबार को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट की तुलना में भारत के रणनीतिक पोर्ट के तौर पर देखा जा रहा है। ग्वादर को बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट के तहत चीन विकसित कर रहा है।

अब हेलीकॉप्टर क्रैश में ईरानी राष्ट्रपति की मौत

ईरानी स्टेट मीडिया IRNA के मुताबिक, रईसी 19 मई की सुबह अजरबैजान के राष्ट्रपति इल्हाम अलीयेव के साथ एक बांध का उद्घाटन करने गए थे। इसे ईरान और अजरबैजान ने मिलकर बनाया है। लौटते समय उनके साथ उनके हेलिकॉप्टर में विदेश मंत्री होसैन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर मलिक रहमती, ​​तबरीज के इमाम मोहम्मद अली अलेहाशेम सवार थे, लेकिन इनका हेलीकॉप्टर अजरबैजान की सीमा के करीब ईरान के वरजेघन शहर के पास क्रैश हुआ।

हादसे में क्रैश हुए हेलिकॉप्टर 'बेल 212' की खास बात

यूटिलिटी हेलीकॉप्टर जिसमें लोगों के साथ हथियार भी ढोए जा सकते हैं। अमेरिकन एयरोस्पेस कंपनी बेल टेक्सट्रॉन ने बनाया है। हेलीकॉप्टर में 15 लोग सवार हो सकते हैं। इसमें 48 फीट विंग स्पैन, 12 फीट 7 इंच हाइट, 57 फीट 2 इंच लेंथ, 2 इंजन, केबिन वैल्यूम 208 क्यूबिक फीट, इंटरनल बैगेज 40 क्यूबिक फीट, इंजन मॉडल PT6T-3B है।

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