याद आओगे दादा : कसाब सहित तीन आतंकियों की फांसी पर प्रणब ने ही लगाई थी मुहर….कभी सख्त फैसले लेने में नहीं हिचके….कार्यकाल में सबसे ज्यादा दया याचिका ठुकराने वाले दूसरे राष्ट्रपति थे

Update: 2020-08-31 08:07 GMT

नयी दिल्ली 31 अगस्त 2020। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी आज इस दुनिया में नहीं रहे। नरम मिजाज व मिलनसार व्यक्तित्व के धनी प्रणब मुखर्जी अपने कार्यकाल के दौरान कई कड़े फैसले के लिए भी चर्चित रहे। पूर्व राष्ट्रपतियों की तुलना में अक्सर प्रणब मुखर्जी के कार्यकाल को बेहतर माना जाता था क्योंकि इन्होंने अपने कार्यकाल में करीब 37 दया याचिकाएं खारिज की और कसाब और अफजल गुरु जैसे खूंखार आतंकियों को भी फांसी की सजा को मंजूरी दी।

प्रणब मुखर्जी से ज्यादा दया याचिकाएं सिर्फ आर वेंकटरमण ने ही खारिज की थीं. आर वेंकटरमण 1987 से लेकर 1992 तक राष्ट्रपति रहे. इस दौरान उन्होंने कुल 44 दया याचिकाएं खारिज कर थीं. उनके बाद राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का ही नंबर आता है जिन्होंने 37 प्रार्थियों से जुड़ी 28 दया याचिकाओं को खारिज कर दिया. प्रणब से पहले राष्ट्रपति रहीं प्रतिभा पाटिल ने सबसे ज्यादा 30 लोगों को फांसी के फंदे से बचाया था. प्रणब ने सिर्फ 7 फांसी की सजा माफ कीं.

कसाब, अफजल जैसे खूंखार आतंकियों की सजा में नहीं की देरी

प्रणब मुखर्जी ने अपने कार्यकाल में मुंबई के 26/11 हमले के दोषी अजमल कसाब और संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु और 1993 मुंबई बम धमाके के दोषी याकूब मेनन की फांसी की सजा पर फौरन मुहर लगा दी. यानी प्रणब मुखर्जी ने बतौर राष्ट्रपति तीन बड़े आतंकी अजमल, अफजल और याकूब को फांसी दिलाने में अहम रोल निभाया और जल्द से जल्द मामले का निपटारा किया. बता दें कि कसाब को 2012, अफजल गुरु को 2013 और याकूब मेनन को 2015 में फांसी हुई थी.

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