Bore Basi: बोरे बासी में चुनावी तड़का: कांग्रेस कल मनाएगी बोरे बासी दिवस, जिलाध्‍यक्षों को जारी किया पत्र, बीजेपी बोली- हम रोज खाते हैं बासी

Bore Basi: कल 1 मई यानी श्रमिक दिवस है। छत्‍तीसगढ़ में बीते 5 सालों में इस दिन को बोरे बासी दिवस के रुप में मनाया जा रहा था। इस बार परिस्थितयां बदली हुई हैं। चुनावी माहौल के बीच अब बोरे बासी पर भी प्रदेश में राजनीति गरमा गई है।

Update: 2024-04-30 15:00 GMT

Bore Basi: रायपुर। छत्‍तीसगढ़ में कांग्रेस कल बोरे बासी दिवस मनाने का फैसला किया है। इस संबंध में पार्टी की तरफ से सभी जिलाध्‍यक्षों को पत्र जारी किया गया है। वहीं, पूर्व सीएम भूपेश बघेल कल रायगढ़ के दौरे पर रहेंगे। जहां वे पूर्व विधायक प्रकाश नायक के घर पर बोरे बासी खाएंगे। बोरे बासी दिवस का सरकार के स्‍तर पर आयोजन नहीं होने की वजह से कांग्रेस खफा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने अपनी संस्कृति और खान-पान को आगे बढ़ाने के लिए बोरे-बासी तिहार की शुरूआत की थी, लेकिन बीजेपी सरकार को छत्तीसगढ़ की संस्कृति से कोई लेना-देना नहीं है। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बोरे-बासी दिवस मनाएगी। इसके लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने सभी जिला अध्यक्षों को पत्र भेज दिया है। उन्होंने मजदूरों को सम्मान देने के लिए लोगों से बोरे-बासी खाने और फोटो पोस्ट करने की अपील की।

कांग्रेस मजदूरों के बोरे बासी का पैसा खा गई- नेताम

मंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़िया रोज बोरे बासी खाते है। कांग्रेस सरकार ने बोरे-बासी का अपमान किया था। सरकार के दबाव में अधिकारी काटा चम्मच में बासी खाते थे। यहां कांग्रेस सरकार मजदूरों के बोरे-बासी में भी पैसे खा गई। कांग्रेस सरकार ने छत्तीसगढ़िया संस्कृति का अपमान किया हैं। वहीं डिप्‍टी सीएम अरूण साव ने कहा कि हम छत्तीसगढ़ की संस्कृति पर काम करते हैं। कांग्रेस सरकार ने राज्य की संस्कृति को दूषित किया हैं। कांग्रेस सरकार में बोरे बासी को चम्मच और कांटा चम्मच में खाते थे।

कांग्रेस पार्टी हमेशा श्रमिकों का सम्मान करती है- दीपक बैज

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने भी लोगों से बोरे-बासी तिहार मनाने की अपील की है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने श्रमिकों के सम्मान में बोरे-बासी तिहार शुरू किया था। कांग्रेस पार्टी हमेशा श्रमिकों का सम्मान करती है। उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार मजदूरों और किसानों की सरकार नहीं है। यह उद्योगपतियों की सरकार है, उन्हें प्रदेश की संस्कृति से कोई मतलब नहीं है। इसलिए बीजेपी सरकार बोरे-बासी दिवस नहीं मनाएगी। पूर्व गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि हमने प्रदेश की संस्कृति को आगे बढ़ाने का काम किया। छत्तीसगढ़ी, तीज-त्योहार और खानपान को बढ़ावा दिया। बीजेपी सरकार छत्तीसगढ़िया की बात करती है पर बोरे-बासी से परहेज है।

बोरे और बासी बनाने की विधि

बोरे और बासी बनाने की विधि बहुत ही सरल है। बोरे और बासी बनाने के लिए पका हुआ चावल (भात) और सादे पानी की जरूरत है। बोरे और बासी दोनों की प्रकृति में अंतर है। बोरे से अर्थ, जहां तत्काल चुरे हुए भात (चावल) से है जिसे पानी में डूबाकर खाया जाता है। वहीं बासी एक पूरी रात या दिनभर भात (चावल) को पानी में डूबाकर रखा जाता है। फिर अगले दिन इसे खाया जाता है। कई लोग भात के पसिया (माड़) को भी भात और पानी के साथ मिलाते खाते हैं। यह पौष्टिक के साथ स्वादिष्ट भी होता है।

बोरे-बासी खाने से लाभ

बोरे-बासी में पानी की भरपूर मात्रा होती है, जिसके कारण गर्मी के दिनों में शरीर को शीतलता मिलती है। उच्च रक्तचाप नियंत्रित करता है पाचन क्रिया में मदद मिलती है। गैस या कब्ज की समस्या वाले लोगों के लिए यह फायदेमंद है। बासी का सेवन किया जाए तो पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है। चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है। बासी के साथ माड़ और पानी से मांसपेशियों को पोषण भी मिलता है। बासी खाने से मोटापा भी दूर भागता है। बासी का सेवन अनिद्रा की बीमारी से भी बचाता है।

बासी का पोषक मूल्य

बासी में कार्बाेहाइड्रेट, आयरन, पोटेशियम, कैल्शियम, विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण और जल की बहुतायत होती है। ताजे बने चावल (भात) की अपेक्षा इसमें करीब 60 फीसदी कैलोरी ज्यादा होती है। बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है। पोषक मूल्यों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहते हैं। इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है। दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम रहता है।

बासी पोषक तत्वों से भरपूर है

छत्तीसगढ़ का बोरे बासी पोषक तत्वों से भरपूर है। शरीर को ठंडक पहुंचाने के साथ यह स्किन के लिए भी फायदेमंद है। बासी के साथ हमेशा भाजी खाया जाता है। पोषक तत्वों के लिहाज से भाजी में लौह तत्व प्रचुर मात्रा में विद्यमान रहता हैं। इसके अलावा बासी के साथ दही या मही सेवन किया जाता है। दही या मही में भारी मात्रा में कैल्शियम मौजूद रहते हैं। दरअसल गर्मी के दिनों में छत्तीसगढ़ में भाजी की बहुतायत होती है। इन भाजियों में प्रमुख रूप से चेंच भाजी, कांदा भाजी, पटवा भाजी, बोहार भाजी, लाखड़ी भाजी बहुतायत में उपजती है। इन भाजियों के साथ बासी का स्वाद दुगुना हो जाता है। जिन लोगों को हाई बीपी की समस्या है, वे 'बासी' का सेवन करके इस कंट्रोल कर सकते हैं. भले ही ये एक देसी तरीका हो, लेकिन इसके लाभ कई हैं। पेट संबंधित समस्याओं से निजात पाने के लिए आप बासी को खा सकते हैं। ये आहार पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है और गैस या कब्ज जैसी समस्याएं भी आपसे दूर रहेंगी। बासी में पानी की भरपूर मात्रा होने के कारण पेशाब ज्यादा लगती है, यही कारण है कि नियमित रूप से बासी का सेवन किया जाए तो मूत्र संस्थान में होने वाली बीमारियों से बचा जा सकता है। पथरी की समस्या होने से भी बचा जा सकता है। चेहरे में ताजगी, शरीर में स्फूर्ति रहती है। बासी में शरीर के लिए जरूरी कई पोषक तत्व जैसे कार्बोहाइड्रेट, विटामिन बी-12, कैल्शियम, पोटेशियम और आयरन काफी मात्रा में मौजूद होते हैं। इसमें ताजे चावल के मुकाबले ज्यादा कैलोरी होती है, इसलिए जो लोग वजन बढ़ाना चाहते हैं, वे इसे अपने खान-पान का हिस्सा जरूर बनाएं। बोरे-बासी में अन्य पोषक तत्व होते हैं जो गर्मी के मौसम में शरीर का संतुलन बनाए रखते हैं, जिससे इसे खाने से हमारी थकान दूर हो जाती है।

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हर राज्य का अपना अलग ही खानपान होता है. और वह राज्य उन व्यंजनों के लिए फेमस हो जाता है. जैसे साउथ इंडिया में इडली-डोसा, गुजरात में ढोकला, थेपला-फाफडा फेमस है वैसे ही छत्तीसगढ़ में बोरे और बासी फेमस है। बोरे-बासी बनाना बेहद आसान है और स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद है।

बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर खाये जाने वाले इस स्वादिष्ट व्यंजन को छत्तीसगढ़ में बोरे और बासी के नाम से जाना जाता है। बोरे और बासी दोनों ही अलग है। बोरे दिन में बचे हुए चावल को भिगोकर शाम में या डिनर के टाइम खाया जाता है। वहीं बासी रात में बचे हुए चावल को पानी में भिगोकर अगली सुबह साफ पानी से धोकर दही और नमक डालकर खाया जाता है। आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें



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