VIDEO : कोरोना पाजिटिव पर बड़ा खुलासा-क्या मंत्री के करीबी होने के कारण कोरोना पॉजिटिव युवक को क्वारंटाईन नहीं किया गया….10 दिन शहर में मटरगश्ती करता रहा ठेकेदार का बेटा, आफिस जाने से लेकर दोस्तों के साथ की तफरीह….कलेक्टर किरण बोली- प्रशासन चौकस, लापरवाही का सवाल ही नहीं

Update: 2020-04-01 13:41 GMT

कोरबा 1 अप्रैल 2020। कोरबा में कोरोना पॉजेटिव मरीज के बारे में हर घंटे नये खुलासे हो रहे हैं। खबर है कि युवक हास्पीटलाइज होने से पहले 80 से 100 लोगों के संपर्क में आया था, हो सकता है ये आंकड़ा और भी ज्यादा है। लेकिन, इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही भी सामने आयी है। सबसे बड़ी लापरवाही तो यही कि स्वास्थ्य विभाग ने सेंट्रल गाइडलाइऩ का खुल्लम खुल्ला उल्लंघन कर विदेश से लौटे इस स्टूडेंट खुलेआम शहर में पार्टी और घूमने की इजाजत कैसे दे दी। दर्ज FIR में इस बात का जिक्र है कि विदेश से लौटे इस युवक ने ना तो आइसोलेशन नियमों का पालन किया और जिला प्रशासन को भी अंधेरे में भी रखा। इधर युवक का एक सीसीटीवी फुटेज भी सामने आया है, जिसमें युवक इधर-उधर घूमते और आफिस में मीटिंग करते हुए नजर आ रहा है।

घर वाले भी स्वीकार कर रहे हैं कि कोरोना के बाद भी वह आफिस आया था। युवक का मोबाइल लोकेशन भी इसकी चुगली कर रहा है। आफिस का मोबाइल लोकेशन मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी आफिस पहुंचे तो युवक के पिता ने बताया कि कुछ देर के लिए वह आफिस आया था, लेकिन हमलोगों ने उसे डांट कर भगा दिया।

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स्वास्थ्य विभाग की इस नरमदिली की एक बड़ी वजह ये सामने आ रही है कि ये परिवार प्रदेश के एक मंत्री का करीबी है, लिहाजा रसूख की वजह से नियम कानून को ताक पर यहां विभाग ने रख दिया।

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खबर तो ये भी है कि इसने अलग-अलग दोस्तों के साथ अलग-अलग जगहों पर तीन पार्टियां भी की थी, हालांकि पार्टियों के सबूत तो अभी सामने नहीं आये हैं, लेकिन आफिस में मीटिंग करते और फिर बाहर जाने के CCTV फुटेज पुलिस के हाथ जरूर लगे हैं। हालांकि इस पूरे प्रकरण में स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही भी सामने आ रही है।

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सेंट्रल गाइडलाइन के मुताबिक युवक को आईसोलेट किया जाना था, लेकिन उसे नहीं किया गया, तब भी नहीं किया गया, जब वो विदेश से लौटा और उस वक्त भी नहीं किया गया, जब पोसपोर्ट आफिस से युवक के विदेश से आने की खबर प्रशासन को मिली। लापरवाही का आलम ये रहा कि 18 को कोरबा पहुंचे युवक का 29 मार्च को टेस्ट हुआ।

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अब जबकि ब्रिटेन से लौटे ट्रांसपोर्टर के बेटे की कोरोना पॉजेटिव रिपोर्ट आयी है तो स्वास्थ्य विभाग के साथ-साथ जिला प्रशासन के भी होश उड़े हुए हैं। लेकिन इस सवाल का जवाब किसी भी जिम्मेदारों के पास नहीं है कि मौत का जहर बांटने वाले इस युवक को इतनी छूट क्यों मिली? कैसे वो शहर भर में घूमता रहा? कैसे आफिस से लेकर दोस्तों तक वो तफरीह करते फिरता रहा? क्या स्वास्थ्य विभाग को जानकारी ही नहीं थी या फिर वो जानबूझकर आंखे मूंदे बैठा रहा ?

अभी तक कि जो खबर है कि उसके मुताबिक 10 दिनों में वो करीब 80 से 100 लोगों के संपर्क में आया, हालांकि ये तो वो आंकड़ा है जो प्रशासन की नजरों में है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा लोगों तक उसके संपर्क रहे। अब स्वास्थ्य विभाग युवक के घरवालों से लेकर उसके दोस्तों, आफिस के कर्मचारी, माली और केयर टेकर की सैंपलिंग कर रहे हैं, लेकिन जरा सोचिये ? उनमें से किसी एक भी संक्रमण की चपेट में आया होगा, तो फिर उससे ना जाने और कितने को उससे फैलने का खतरा बढ़ जायेगा।

इधर कलेक्टर किरण कौशल ने कहा कि….

प्रशासन हर बाहर से आये लोगों की निगरानी कर रहा है, कोरोना पॉजेटिव युवक भी स्वास्थ्य विभाग की निगरानी में था और होम क्वारंटीन किया गया था, प्रशासन के निर्देश पर ही उसकी सैंपलिंग हुई और जांच के दौरान जब लापरवाही आयी तो उस पर एफआईआर भी हुई, प्रशासन की कोरोना को लेकर सख्त नजर है, ऐसे मामलों में लापरवाही का बिल्कुल सवाल ही नहीं है”

 

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