UP IAS Suspended: CM का बड़ा एक्शन, आईएएस समेत 4 अधिकारियों को किया सस्पेंड, 6 साल पुराने मामले में हुई कार्रवाई
UP IAS Suspended: मुख्यमंत्री ने 6 साल पुराने मामले में एक्शन लेते हुए एक आईएएस और तीन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया है.
UP IAS Suspended: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बड़ी कार्रवाई की है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 6 साल पुराने मामले में एक्शन लेते हुए एक आईएएस और तीन पीसीएस अफसरों को निलंबित कर दिया है. एक साथ चार अफसरों के निलंबन से हड़कंप मच गया है.
जानकारी के मुताबिक़, आईएएस अधिकारी घनश्याम सिंह (IAS Ghanshyam Singh) को निलंबित कर दिया गया है. आईएएस घनश्याम सिंह अपर आयुक्त लखनऊ मंडल के पद पर तैनात है. इसके साथ ही पीसीएस अधिकारियों को ससपेंड किया गया है. जिनमे बाराबंकी के एडीएम (वित्त एवं राजस्व) अरुण कुमार सिंह, झांसी के नगर मजिस्ट्रेट विधेश सिंह, बुलंदशहर की एसडीएम रेनु शामिल है.
6 साल पुराने मामले में कार्रवाई
इन अफसरों पर 6 साल पुराने मामले में कार्रवाई हुई है. इस दौरान ये चारों अधिकारी लखीमपुर खीरी में तैनात थे. इन अधिकारियों पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से जुड़े पुराने कार्यकर्ता की जमीन की पैमाइश लटकाए जाने के आरोप हैं. साथ ही काम में लापरवाही और घूसखोरी के आरोप लगाए गए हैं. इस मामले और भी कर्मचारियों व अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है.
क्या है मामला
दरअसल, कुछ दिनों पहले लखीमपुर खीरी के सदर विधायक योगेश वर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ था. जिसमें वह स्कूटी से कलेक्ट्रेट ऑफिस पहुंच गए और एसडीएम से लेकर कानूनगो की शिकायत करते हुए नजर आ रहे थे. वीडियो में विधायक योगेश वर्मा ने कहा, अधिकारियों ने रिटायर शिक्षक विश्वेश्वर दयाल की भूमि की पैमाइश के लिए पांच हजार रिशवत ली. जिसे वापस दिलाने की मांग की.
वीडियो संज्ञान में आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मामले की जांच के आदेश दिए. जिसके बाद नियुक्ति विभाग के प्रमुख सचिव ने लखीमपुर खीरी की डीएम आईएएस दुर्गा शक्ति नागपाल से रिपोर्ट मांगी. लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी से पूरे मामले की रिपोर्ट नियुक्ति विभाग को सौंप दी. जिलाधिकारी के जांच रिपोर्ट के अनुसार चार अधिकारी दोषी पाए गए. इस दौरान ये अधिकारी लखीमपुर खीरी में एसडीएम, तहसीलदार, और नायब तहसीलदार के रूप पदस्थ थे. चारों अधिकारियों को लापरवाही और भ्रष्टाचार का आरोप है. जिसके बाद इन अधिकारियो को ससपेंड कर दिया गया है.
निलंबन के दौरान इन अफसरों को वेतन का लगभग 50 फीसदी गुजारा भत्ता दिया जाएगा. इन अधिकारियों को अब राजस्व विभाग से अटैच कर दिया है. जहाँ अपनी हाजिरी दर्ज करानी होगी. इस मामले की जांच की जिम्मेदारी राजस्व विभाग के उच्च अधिकारियों को दी गई है. जो अगले दो से तीन महीने में जांच पूरी करनी होगी.