High Court News: गजब की यूपी पुलिस: छत्तीसगढ़ के धर्मांतरण कानून के तहत कर दिया एफआईआर, हाई कोर्ट ने दिए ये निर्देश..
High Court News: छत्तीसगढ़ के धर्मांतरण कानून का इस्तेमाल उत्तर प्रदेश में हो गया। यूपी पुलिस ने छत्तीसगढ़ के धर्मांतरण कानून के तहत अपराध दर्ज कर दिया। मामला हाई कोर्ट पहुंचा। हाई कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए लापरवाह पुलिस अफसरों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है।
High Court News: लखनऊ। इलाहाबाद हाई कोर्ट के लखनऊ बेंच ने अपराधियों पर कार्रवाई करने के दौरान की गई एफआईआर में बड़ी चूक को लेकर लापरवाह पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई का निर्देश जारी किया है। पुलिस अफसरों ने गलती से यूपी गैर-कानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2021 की जगह छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 के तहत FIR दर्ज कर दी। एफआईआर के बाद कोर्ट में आरोप पत्र पेश कर दिया। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने सीतापुर के पुलिस अधीक्षक को आरोप पत्र वापस करते हुए निचली अदालत द्वारा पारित आदेश को रद्द कर दिया है।
2022 में सीतापुर जिले में धर्मांतरण मामले में नैमिश गुप्ता की शिकायत पर पुलिस ने डेविड अस्थाना और रोहिणी अस्थाना के खिलाफ FIR दर्ज की थी। एफआईआर दर्ज करते समय पुलिस ने यूपी धर्मांतरण विरोधी कानून के बजाय छत्तीसगढ़ धर्म स्वतंत्रता अधिनियम, 1968 की धारा 3/5 दर्ज कर दी। इसे लेकर आरोपियों ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। मामले की सुनवाई के दौरान SP ने स्वीकार किया कि यूपी कानून के तहत एफआईआर दर्ज की जानी थी। एसपी ने बताया कि पुलिस स्टेशन में FIR लिखने वाले पुलिस अधिकारी की गलती के कारण यूपी की जगह छत्तीसगढ़ कानून का नाम गलती से लिख दिया गया।
एसपी ने बताया कि ऑनलाइन एफआईआर में गलती को सुधार दिया गया है। छत्तीसगढ़ की जगह यूपी धर्मांतरण कानून का हवाला दिया गया है। दस्तावेजों में इसे सुधारा नहीं गया। एसपी ने कोर्ट को बताया कि जांच अधिकारी ने 23 जनवरी, 2023 को निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप पत्र में छत्तीसगढ़ अधिनियम का विवरण देना जारी रखा। आरोप पत्र के मुख्य हिस्से में सही अधिनियम का उल्लेख किया गया है। मामले की सुनवाई के दौरान निचली अदालत ने भी इस त्रुटि की ओर ध्यान नहीं दिया। लिहाजा IPC की धारा 295A, 153A और 420 के साथ-साथ छत्तीसगढ़ अधिनियम के तहत अपराधों का संज्ञान लिया।
CrPC की धारा 482 के तहत आवेदन को मंज़ूरी देते हुए हाई कोर्ट ने निचली अदालत द्वारा जारी आदेश को रद्द कर दिया है। हाई कोर्ट ने निर्देश दिया कि आरोप पत्र एसपी को वापस कर दी जाए। हाई कोर्ट ने एसपी को निर्देश दिया गया कि, संबंधित अदालत में यूपी एक्ट के तहत आरोप पत्र दाखिल करें। इसके लिए हाई कोर्ट ने एसपी को एक महीने की मोहलत दी है। नाराज हाई कोर्ट ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने दिए निर्देश का पालन प्रतिवेदन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। इसके लिए कोर्ट ने एसपी को शपथ पत्र के साथ 16 फरवरी, 2026 तक रिपोर्ट पेश करने कहा है।