केंद्र सरकार ने संसद में स्वीकारा.. “कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मुद्दों का समाधान करने.. …..रोकने और विधिक और संस्थागत ढाँचे को मजबूत करने बने GOM की रिपोर्ट 10 फ़रवरी से सरकार के पास”

Update: 2020-09-20 08:03 GMT

नई दिल्ली,20 सितंबर 2020।कार्य स्थल पर यौन उत्पीड़न शोषण के मसले जिसमें यूरोप के बाद भारत में भी “मी टू” आंदोलन की शक्ल ले ली थी और हंगामा इस कदर हुआ कि सरकार को पूरे मामले में समीक्षा रिपोर्ट के लिए मंत्री समूह याने GOM बनाना पड़ा था, जो रिपोर्ट इस तरह के मामलों में नए क़ानून या कि नई बेहतर सुरक्षित व्यवस्थाओं की सिफ़ारिश करती, वह रिपोर्ट केंद्र सरकार के पास बीते बीते सात महिनों से अपनी बारी का इंतज़ार कर रही है।
जिस वक्त यह मामला भारत में उछला.. सिलसिलेवार तरीक़े से महिलाएँ सामने आई और उन्होंने अपने साथ हुई यौन उत्पीड़न शोषण का कच्चा चिट्ठा खोल दिया। भारत में यह मामला बहुत गर्माया, इस कदर सरगर्म हुआ कि भारत सरकार में बतौर मंत्री शामिल एम जे अकबर को मंत्री पद से हाथ धोना पड़ गया।

बढ़ते हंगामे और बवाल के दौरान केंद्र सरकार पर ठोस नीति नियम लाने का दबाव बना जिस पर केंद्र सरकार ने मंत्रियों की समिति का 24 अक्टूबर 2018 को गठन किया।
यह समिति कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न से निपटने और इसे रोकने के लिए विधिक और संस्थागत ढाँचे की जाँच करने और उसे मज़बूत करने की सिफ़ारिशें प्रदान करने के लिए बनाई गई थी। तब जबकि यह समिति बनी थी सरकार की ओर से कहा गया था कि समिति से मिली सिफ़ारिशों के बाद केंद्र सरकार नीति नियमों में आवश्यक परिवर्तन करेगी और व्यवस्थाएँ इस तरह सुदृढ़ होगी कि यौन प्रताड़ना शोषण जैसी किसी भी घटना को होने से रोका जा सके और यदि कोई दोषी पाया जाए तो सजा से बच ना सके।

समय के साथ “मी टू” जो कि आंदोलन की शक्ल ले चुका था वह थम गया, इधर केंद्र सरकार की तत्परता भी इस मसले पर जैसी उस वक्त दर्शाई गई थी जैसा व्यवहार अंततः इस पूरे प्रकरण में किया गया उससे स्पष्ट संकेत मिलते हैं वह तत्परता वक्ती थी।
मोदी सरकार ने लोकसभा में स्वीकार किया है कि मंत्री समुह की यह रिपोर्ट उसके पास दस फ़रवरी 2020 को ही आ चुकी है, ज़ाहिर है अब तक इस रिपोर्ट को लेकर कोई हलचल नहीं है। विदित हो कि मंत्री समुह याने GOM को 18 जुलाई 2019 को पुनर्गठित भी किया गया था।
जबकि सरकार ने यह जानकारी दी तब तक सरकार के पास रिपोर्ट आए 7 महिने 5 दिन हो चुके थे।

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