कॉलेज की ज़मीन बिक्री को अनुमति नही: भूमाफियाओं को तगड़ा झटका, जमीन के चर्चित खेल में SDM ने प्रतिवादियों की दलील को सही माना

Update: 2021-08-05 05:17 GMT

बिलासपुर, 5 अगस्त 2021। स्थानीय जरहाभाटा स्थित शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज के खेल मैदान के रुप में इस्तमाल हो रहे 2.38 एकड़ ज़मीन के बिक्री की अनुमति वाले आवेदन को SDM कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया। प्रतिवादियों ने आवेदन कर्ता की विधिक स्थिति को चुनौती देते हुए आवेदन को विधि विरुद्ध बताया था।
मसला शिव भगवान रामेश्वर लाल चैरिटेबल ट्रस्ट के स्वामित्व का है, जिसके नाम करोड़ों की ज़मीन है। एसबीआर ट्रस्ट के नाम से पहचाना जाने वाला यह मामला जरहाभाटा स्थित उस शासकीय आर्ट एंड कॉमर्स कॉलेज के सामने ओर मौजुद ज़मीन का है। यह ट्रस्ट पारिवारिक ट्रस्ट है,और इसका गठन 1944 में हुआ था। इस ट्रस्ट ने इलाक़े में बेहतर उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए कॉलेज खोला था। वित्तीय और पारिवारिक स्थितियों के बीच यह कॉलेज 1975 में सरकार को दे दिया गया, कॉलेज भवन और क़रीब आठ एकड़ ज़मीन सरकार को सौंपी गई। ट्रस्ट के स्वामित्व में कॉलेज के सामने मौजुद 2.38 एकड़ ज़मीन थी, जिसका उपयोग खेल मैदान के रुप में होता था।
यह पारिवारिक ट्रस्ट तब चर्चा और विवादों में आया जबकि मूलत: ट्रस्ट के अनिवार्य नए सात सदस्यों को छोड़कर तीन सदस्यों के साथ ट्रस्ट पर स्वतः नियुक्त अध्यक्ष घोषित करते हुए उक्त ज़मीन का सौदा कर लिया गया।
ट्रस्ट की ज़मीनों का विक्रय बग़ैर सक्षम न्यायालय की अनुमति के नहीं होता है, नियमों के अनुसार यदि अनुमति नहीं है तो रजिस्ट्री नहीं होगी। स्वत: नियुक्त अध्यक्ष की ओर से अनुमति माँगी गई तो ट्रस्ट में स्वाभाविक रुप से शामिल होने की अधिकारिता रखने वाले वे सदस्य जो कि सदस्य नहीं बनाए गए थे, उन्होंने ज़मीन के विक्रय की अनुमति वाले आवेदन पर आपत्ति की, साथ ही सिविल कोर्ट में ट्रस्ट के ग़लत बनने को लेकर वाद भी दायर किया गया।
इस पूरे प्रकरण में बेहद प्रभावशाली भू माफिया और कद्दावर राजनैतिक शख़्सियतों की दिलचस्पी सार्वजनिक थी। लेकिन SDM बिलासपुर के फ़ैसले ने ज़मीन पर नज़र जमाए बैठे उस प्रभावशाली समूह को करारा झटका दिया है।
S.D.M. देवेंद्र पटेल ने ज़मीन की बिक्री की अनुमति का आवेदन जिस पर सुनवाई सितंबर 2019 से चल रही थी, उसमें आपत्तिकर्ताओं के तर्कों से सहमति जताते हुए ज़मीन बिक्री की अनुमति का आवेदन निरस्त कर दिया है।
बिलासपुर जैसे शहर के लिहाज़ से 2.38 एकड़ ज़मीन की क़ीमत किस कदर आसमानी होगी यह केवल अंदाज लगाया जा सकता है। मामले में ट्रस्ट की वैधता की लड़ाई लड़ रहे और ज़मीन बिक्री की अनुमति के विरोध में आपत्तिकर्ता के रुप में मौजुद अतुल बजाज ने इसे बड़ी जीत माना है।
शहर विधायक शैलेष पांडेय ने भी इस फ़ैसले के आते ही ख़ुशी जताई है। शैलेष पांडेय ने फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा
”सच परेशान हो सकता है.. पराजित नहीं हो सकता..यह फ़ैसला ज़मीन पर येन केन प्रकारेण क़ब्ज़ा करने वालों के लिए सबक़ है।”

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