हर साल 10,000 करोड़ का नुकसान, पढ़िये Ex केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने छत्तीसगढ़ के रियल इस्टेट में ब्लैकमनी को व्हाइट किए जाने पर CM को क्या लिखा था

छत्तीसगढ़ में जमीनों का गाइडलाइन रेट देश में सबसे कम है। इसको लेकर चीफ सिकरेट्री कांफ्रेंस में कैबिनेट सचिव चिंता जता चुके हैं तो पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री स्व0 अरुण जेटली ने पूर्व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि छत्तीसगढ के रियल इस्टेट में सरकारी रेट बेहद कम होने की वजह से स्टेट के राजस्व के साथ ही इंकम टैक्स का काफी नुकसान हो रहा है। जाहिर है, अगर जमीनों का सरकारी रेट सरकार अगर ठीक ढंग से तय कर दे, तो राज्य के खजाने में पंजीयन से होने वाली आय 10 हजार करोड़ तक बढ़ जाएगी।

Update: 2024-07-25 15:42 GMT

रायपुर। छत्तीसगढ़ में संपत्ति का सरकारी गाइडलाइन रेट बेहद कम होने की वजह से राज्य के खजाने को हर साल करीब 10 हजार करोड़ का फटका लग रहा है। देश के छोटे-छोटे राज्यों में सरकारों को स्टांप ड्यूटी के रूप में हर साल पांच से सात करोड़ रुपए मिलते हैं। बड़े राज्यों में 50 करोड़ तक सिर्फ स्टांप ड्यूटी से राजस्व प्राप्त होता है। मगर छत्तीसगढ़ में पिछले साल का राजस्व था मात्र 24 सौ करोड़।

केंद्रीय स्तर पर चिंता

संपत्ति का सरकारी रेट कम होने से छत्तीसगढ़ में पिछले दो दशक से धड़ल्ले से ब्लैकमनी को व्हाइट किया जा रहा है। दिल्ली, मुंबई, हरियाणा, पंजाब जैसे मेट्रो सिटी और राज्यों के लोग छत्तीसगढ़ के रियल इस्टेट में इंवेस्ट करने आ रहे हैं क्योंकि छत्तीसगढ़ में काली कमाई खपाने का यहां सर्वोत्तम सुविधा उपलब्ध है। जिस संपत्ति का बाजार रेट 6 हजार वर्गफुट है, उसका सरकारी रेट 800 से 1000 रुपए है। याने हजार रुपए के हिसाब से आप एक नंबर में पैसा दीजिए और बाकी कैश में। जाहिर है, काली कमाई कैश में ही होती है। छत्तीसगढ़ के रियल इस्टेट में किस तरह काली कमाई को व्हाइट किया जा रहा कि इसकी चर्चा देश में हो रही। एक बार चीफ सिकरेट्री के कांफ्रेंस में कैबिनेट सचिव इस पर चिंता जताए थे, तो फरवरी 2018 में केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ0 रमन सिंह को पत्र लिख कहा था कि छत्तीसगढ़ में बाजार रेट और वास्तविक रेट में काफी फर्क होने से कैश ट्रांजेक्शन बड़े स्तर पर हो रहा है। इससे राज्य के खजाने को नुकसान होने के साथ ही इंकम टैक्स को भी क्षति हो रही है। हालांकि उसके कुछ महीने बाद सरकार बदल गई। सो, उनके पत्र पर कोई एक्शन नहीं हो पाया। (खबर में पूर्व केंद्रीय मंत्री का पत्र लगा हुआ है)


 30 फीसदी छूट देकर मालामाल कर दिया भूमाफियाओं और बिल्डरों को

छत्तीसगढ़ में एक तो संपत्ति की सरकारी रेट और बाजार रेट में दिल्ली आसमान का अंतर है, उपर से पिछली कांग्रेस सरकार ने स्टांप ड्यूटी में 30 फीसदी छूट देकर बिल्डरों और भूमाफियाओं को मालामाल कर दिया। हालांकि, छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने अब स्टांप ड्यूटी में छूट का एक्सटेंशन नहीं दिया है। याने छूट समाप्त कर दी गई है। बावजूद इसके सरकारी और बाजार रेट में इतना अंतर है कि दूसरे राज्यों की तरह इसे मॉडिफाई कर दिया जाए, तो सरकार के खजाने में पंजीयन का राजस्व हर साल 10 हजार करोड़ तक बढ़ जाएगा। मगर राज्य के भूमाफियाओं द्वारा सरकार को हमेशा डराया जाता है कि अगर सरकारी रेट बाजार रेट के करीब कर दिया जाए तो रियल इस्टेट बैठ जाएगा। मगर सवाल यह है कि दूसरे राज्यों में जहां बाजार रेट और सरकारी रेट में खास अंतर नहीं, वहां का रियल इस्टेट क्यों नहीं बैठता। गुड़गांव में तो बाजार और सरकारी रेट बराबर है।

अफसरों से भूमाफियाओं और बिल्डरों की गठजोड़

छत्तीसगढ़ में अफसरों की मिलीभगत से बिल्डरों और भूमाफियाओं के गठजोड़ ने ऐसा गुल खिलाया कि पिछले एक दशक में छत्तीसगढ़ के बिल्डर और भूमाफिया मालामाल हो गए। दरअसल, सबसे बड़ा खेला गाइडलाइन रेट में किया गया। गाइडलाइन रेट तय करने वाले अफसरों ने कचना और विधानसभा रोड की लग्जरी कालोनियों का रेट भी हजार रुपए तय कर दिया। आपको जानकर हैरानी होगी कि सड्डू के सबसे पिछड़े इलाकों में जमीनों का सरकारी रेट भी हजार रुपए है और विधानसभा रोड पर बने हाई प्रोफाइल कालोनियां का भी वही रेट।

पॉश कालोनियों में 1395 रुपए रेट

छत्तीसगढ़ में लालफीताशाही का कमाल देखिए विधानसभा रोड, कचना, आमासिवनी में गाइडलाइन रेट में 30 प्रतिशत छूट खतम होने के बाद भी 1390, 1395 रुपए से अधिक नहीं है। ये उन पॉश इलाकों की बात कर रहे हैं, जिन कालोनियों में डेढ़ करोड़ से नीचे का कोई छोटा मकान नहीं मिलता और 60 से 70 लाख से नीचे 1200 वर्ग का प्लॉट नहीं मिलेगा। मगर रजिस्ट्री होती है 1390 रुपए के रेट से। रायपुर के सबसे पॉश कालोनी और बिजनेस हब बनाने का दावा करने वाले एक बिल्डर की कालोनी और व्यवसायिक पार्क का एनपीजी न्यूज संवाददाता ने विजिट किया, वहां रेट बताया गया 7000 रुपए वर्ग फुट।

5 साल से रेट नहीं बढ़ा

एक तो रायपुर के आउटर कालोनियों का सरकारी रेट हजार, बारह सौ से उपर नहीं हुआ, उपर से सरकार ने 30 परसेंट और कम कर दिया। बीजेपी की नई सरकार आने के बाद गाइडलाइन रेट की छूट को समाप्त किया गया। लोकसभा चुनाव के आचार संहिता का फायदा उठाते हुए राज्य पंजीयन विभाग ने 30 परसेंट छूट के आदेश को कंटिन्यू न करने का फैसला किया। इससे बिल्डरों और भूमाफियाओं को तगड़ा झटका लगा। बता दें, दूसरे राज्यों में हर साल गाइडलाइन रेट में बाजार के हिसाब से कुछ-न-कुछ वृद्धि की जाती है। छत्तीसगढ़ देश का इकलौता राज्य होगा, जहां 2017 के बाद जमीनों के संपत्ति दर में एक पैसे की वृद्धि नहीं हुई। उपर से 30 परसेंट छूट दे दी गई। याने आउटर की महंगी जमीनों को सरकारी रेट वैसे ही औने-पौने और उपर से एक तिहाई का रियायत भी।

मनी मनी लॉड्रिंग का बड़ा सोर्स

जमीनों और संपत्तियां का सरकारी रेट कम करने के खेला से रायपुर मनी लॉड्रिंग का केंद्र बन गया है। महंगी जमीनों को कौडियों के भाव रजिस्ट्री करने से ब्लैक मनी का चलन तेजी से बढ़ा है। काली कमाई वाले दूसरो प्रदेशों के इंवेस्टर्स छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। नाममात्र के सरकारी रेट में जमीन या मकान बेचने से बिल्डरों और भूमाफियाओं को इंकम टैक्स का बड़ा फायदा हो रहा है। जरा सोचिए 7000 फुट की जमीन में जो प्लॉट बिल्डर बेच रहे हैं, उसका सरकारी रेट है 1300। याने पांच गुना कम। बिल्डरों को 7000 की बजाए 1300 रुपए के हिसाब से इंकम टैक्स जमा करना पड़ता है। इसमें ब्लैक मनी का फ्लो इसलिए बढ़ गया है कि एक नंबर में बहुत थोड़े पैसे देने पड़ रहे हैं, 70 से 75 परसेंट हिस्सा कैश में ले रहे बिल्डर। चूकि बिल्डरों और भूमाफियाओं को कैश में पैसे ज्यादा मिल रहा है सो दो नंबर का काम रियल इस्टेट में ज्यादा हो रहा।

कार्रवाई क्यों नहीं?

इसे अंधा सिस्टम कहा जाएगा कि जब सभी को मालूम है कि बाजार में किस रेट से जमीनों और संपत्तियों को विक्रय किया जा रहा है, उसके बाद भी छत्तीसगढ़ के अफसर आंख मूंदकर पुराने गाइडलाइन रेट को फॉलो करते हैं। छत्तीसगढ़ में पिछले 20 साल में बाजार रेट दस गुना तक बढ़ गए हैं मगर सरकारी रेट वही है हजार, बारह सौ।

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