Supreme Court News: एक याचिका ऐसे बनी पीआईएल: देशभर के प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कामकाज का सुप्रीम कोर्ट करेगा जांच, राज्य व केंद्र शासित प्रदेश से मांगी जानकारी
Supreme Court News: एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में तब्दील कर दिया है। याचिका को जनहित याचिका के रूप में तब्दील करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में संचालित हो रहे प्राइवेट व डिम्ड यूनिवर्सिटी के कामकाज की जांच करने का निर्णय लिया है। बेंच ने राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जानकारी पेश करने कहा है।
supreme court of india (NPG file photo)
Supreme Court News: दिल्ली। एक याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में तब्दील कर दिया है। याचिका को जनहित याचिका के रूप में तब्दील करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में संचालित हो रहे प्राइवेट व डिम्ड यूनिवर्सिटी के कामकाज की जांच करने का निर्णय लिया है। बेंच ने राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी कर जानकारी पेश करने कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार,राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों से सभी प्राइवेट और डीम्ड-टू-बी यूनिवर्सिटी को बनाने, उनके कामकाज और रेगुलेटरी निगरानी के बारे में पूरी जानकारी मांगी। जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की डिवीजन बेंच ने एक स्टूडेंट ने अपना आफिशियल नाम बदलने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। स्टूडेंट ने कोर्ट से मांग की की थी,एमिटी यूनिवर्सिटी को उसका ऑफिशियल नाम बदलने निर्देश जारी करने की मांग की थी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इसे जनहित याचिका के रूप में बदल दिया है। कोर्ट ने केंद्र,राज्य सरकार व केंद्र शासित प्रदेशों से पूछा है कि एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी को कैसे रेगुलेट किया जा रहा है। कोर्ट ने पूछा है कि सभी प्राइवेट, गैर-सरकारी, डीम्ड यूनिवर्सिटी किन बैकग्राउंड, हालात और कानून के किन नियमों के तहत बनी हैं। सरकार ने उन्हें क्या फायदे दिए हैं, जिसमें वे शर्तें और नियम शामिल हैं जिनके तहत उन्हें ज़मीन देने, किसी भी तरह का खास या दूसरे फायदे दिए गए। सरकार उन सोसाइटियों, संगठनों और लोगों के मेमोरेंडम ऑफ़ आर्टिकल्स और मकसद और लक्ष्यों की भी जानकारी देगी, जोक इन यूनिवर्सिटीज़ को चला रहे हैं।
UGC से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने यूजीसी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से शपथ पत्र के साथ जानकारी मांगी है, ऐसे संस्थानों के बारे में उनकी अपनी क्या भूमिका है। यूजीसी को शपथ पत्र के साथ यह बताना होगा कि इन संस्थानों में नियमों के पालन करने को लेकर मानिटरिंग की क्या व्यवस्था है।स्टूडेंट्स के एडमिशन की पॉलिसी, ऐसी यूनिवर्सिटीज़ द्वारा अपनाए गए अकादमिक स्टाफ़ की भर्ती प्रक्रिया, सरकार द्वारा लगाए गए रेगुलेटरी चेक शामिल होंगे ताकि यह पक्का हो सके कि ऐसे संस्थानों पर लगाए गए कानूनी व शर्तों का पालन हो रहा है या नहीं।
कैबिनेट सिकरेट्री और चीफ सिकरेट्री शपथ पत्र के साथ देंगे जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार के कैबिनेट सिकरेट्री और राज्य व केंद्र शासित प्रदेशों के सभी चीफ सिकरेट्री अपने अधिकार क्षेत्र में काम करने वाले सभी संबंधित मंत्रालयों, डिपार्टमेंट से ऊपर बताई गई जानकारी लेंगे। मिली जानकारी को अपनी तरफ से पुष्ट करेंगे और उसके बाद शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करेंगे। यूजीसी चेयरमैन को भी इसी तरीके से शपथ पत्र के साथ जानकारी पेश करना होगा। शपथ पत्र में गलत जानकारी देने पर सख्त रवैया अपनाने की हिदायत कोर्ट ने दी है।
ये है मामला
याचिकाकर्ता ने 2021 में अपना नाम खुशी जैन से बदलकर आयशा जैन कर लिया। एमिटी यूनिवर्सिटी से आयशा जैन के तौर पर एक साल के सर्टिफिकेशन प्रोग्राम में एनरोल किया। 2024 में जब उसने उसी यूनिवर्सिटी में MBA करने के लिए आवेदन किया और यूनिवर्सिटी रोल में अपना नाम बदलने के लिए सभी लीगल डॉक्यूमेंट्स यूनिवर्सिटी में जमा किए। यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने उसका नाम बदलने से मना कर दिया, जिसकी वजह से वह परीक्षा देने के लिए न्यूनतम उपस्थिति मापदंड को पूरा नहीं कर पाया। इससे उसका अकादमिक साल बर्बाद हो गया।