Supreme Court News: ट्रायल कोर्ट को 60 दिनों के भीतर करना होगा चार्ज फ्रेम: देशभर के हाई कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट ने मांगी जानकारी
Supreme Court News: एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के भीतर जार्च फ्रेम नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा उन आरोपियों को भुगतना पड़ रहा है जो लंबे समय से जेल में बंद है। इसके चलते उनके मौलिक अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग इस तरह के मामलों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एमिकस क्यूरी द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने कहा है।
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Supreme Court News: दिल्ली। एक मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तय समय सीमा के भीतर जार्च फ्रेम नहीं किया जा रहा है। इसका खामियाजा उन आरोपियों को भुगतना पड़ रहा है जो लंबे समय से जेल में बंद है। इसके चलते उनके मौलिक अधिकार भी प्रभावित हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाई कोर्ट को ट्रायल कोर्ट में पेंडिंग इस तरह के मामलों की जानकारी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए एमिकस क्यूरी नियुक्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को एमिकस क्यूरी द्वारा मांगी गई जानकारी उपलब्ध कराने कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने देशभर में ट्रायल कोर्ट द्वारा चार्ज फ्रेम करने में किए जा रहे विलंब को रोकने और तय समयावधि के भीतर आरोप तय करने के संबंध में जरुरी गाइड लाइन का निर्णय लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को मामले की सुनवाई के बाद देशभर के हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को निर्देशित किया कि इस तरह के मामलों की जानकारी एमिकस क्यूरी को जल्द उपलब्ध कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने रजिस्ट्रार जनरल से ये भी कहा है,एमकिस क्यूरी द्वारा मांगी गई महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध कराएं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, जिला न्यायालयों से इस तरह की जानकारी के लिए चीफ जस्टिस समिति का गठन भी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सीनियर एडवाेकेट सिद्धार्थ लूथरा और नागामुथु एमिक्स क्यूरी नियुक्त है।
मामले की सुनवाई के दौरान एमिकस क्यूरी लूथरा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि इस तरह के लंबित मामलों की स्थिति देशभर के ट्रायल कोर्ट में है और स्थिति गंभीर है। सीनियर एडवोकेट लूथरा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की चिंता के बाद उसने देश के कुछ हाई कोर्ट मसलन केरल, जम्मू-कश्मीर व लद्दाख, तेलंगाना, मद्रास और इलाहाबाद ने लंबित मामलों के संबंध में जानकारी भेजी है। देश के अधिकांश हाई कोर्ट ने इस संबंध में जानकारी उपलब्ध नहीं कराई है।
जस्टिस अरविंद कुमार और जस्टिस एन.वी. अंजारिया की खंडपीठ ने हाल ही में कहा था कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) की धारा 251(b) के तहत सेशन ट्रायल वाले मामलों में पहले ही दिन से 60 दिनों के भीतर आरोप तय करना अनिवार्य है। कोर्ट ने पाया था कि तय किए गए वैधानिक समय सीमा का व्यापक रूप से उल्लंघन हो रहा है। इसके चलते कई आरोपी वर्षों से जेल में हैं और उनके खिलाफ आरोप तक तय नहीं किया गया है।
सुनवाई के दौरान एमकिस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि कुछ अदालतों ने यह टिप्पणी की है कि उनके पास 2022 के पुराने मामले पेंडिंग हैं, इसलिए वह पहले उन मामलों को निपटाना प्राथमिक समझते हैं। इस पर जस्टिस कुमार ने टिप्पणी की उन्हें दिन-रात मेहनत करनी होगी, बस। एमकिस क्यूरी ने कहा कि उन्होंने केवल BNSS के मामलों की जानकारी मांगी है, क्योंकि इसी कानून ने समयसीमा तय की है। यदि पुराने दंड प्रक्रिया संहिता CrPC वाले मामलों की पूरी जानकारी मांगी जाए, तो वर्षों पीछे तक जाना पड़ेगा और यह व्यावहारिक नहीं होगा।
एमकिस क्यूरी ने कोर्ट से अनुरोध किया कि मामले को नॉन-मिस्लेनियस डे पर कुछ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए ताकि वह देश के सभी हाईकोर्ट से एकत्रित किए गए डेटा प्रस्तुत कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, हाईकोर्ट से प्राप्त आंकड़ों को रिकॉर्ड पर लाया जाए। जिन हाईकोर्ट ने अभी तक जवाब नहीं भेजा है, वे तुरंत आवश्यक सूचनाएं उपलब्ध कराएं।