Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने की हाई कोर्ट जज की आलोचना, कहा: बेंच का गठन व मामले का स्थान तय करना चीफ जस्टिस का अधिकार

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले ने कहा है,बेंच का गठन करने से लेकर मामले का स्थान तय करना चीफ जस्टिस का अधिकार क्षेत्र है.

Update: 2025-10-03 07:25 GMT

supreme court of india (NPG file photo)

Supreme Court News: दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी भी बेंच को वर्तमान रोस्टर देखकर यह निर्णय नहीं लेना चाहिए कि मामला किसे भेजा जाए। यह केवल चीफ जस्टिस का विशेषाधिकार है। रोस्टर बदलने का हवाला देकर जमानत याचिका पहले जज को न भेजना हाई कोर्ट जज के लिए अनुचित है।

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक हाई कोर्ट जज की आलोचना की, जिन्होंने एक सामान्य जमानत याचिका को पहले की बेंच को भेजने से इनकार कर दिया था, जिसने उसी FIR से संबंधित अग्रिम जमानत याचिका पर फैसला दिया था।

बेंच ने पहले जज का रोस्टर बदलने को कारण बताया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट जज द्वारा अपनाया गया यह कारण उचित नहीं है। डिवीजन बेंच ने उस याचिका की सुनवाई की, जिसमें दो आरोपियों को दी गई जमानत को चुनौती दी गई थी।

दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर याचिकाकर्ता ने सिंगल बेंच से अनुरोध किया था कि मामला उसी बेंच को भेजा जाए जिसने अग्रिम जमानत याचिका खारिज की थी। लेकिन यह अनुरोध खारिज कर दिया गया।क्योंकि पहले जज का रोस्टर बदल गया था और वह उस दिन डिविजन बेंच में बैठे थे।

सुप्रीम कोर्ट ने इस दृष्टिकोण को अस्वीकार करते हुए कहा,“सिर्फ इसलिए कि सिंगल जज का रोस्टर बदल गया था और वह उस दिन डिविजन बेंच में थे, मामले के ट्रांसफर का अनुरोध सम्बन्धी याचिका को खारिज करना उचित नहीं है। ऐसा कारण दर्ज करने से यह प्रतीत होता है कि अगर जज का रोस्टर नहीं बदलता या वह डिवीजन बेंच का हिस्सा नहीं होते, तो मामला उसी जज को भेजा जा सकता था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, किसी भी बेंच को वर्तमान रोस्टर देखकर यह निर्णय नहीं लेना चाहिए कि मामला किसे भेजा जाए। यह केवल चीफ जस्टिस का विशेषाधिकार है।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, किसी भी मामले को सह-बेंच को भेजते समय, उस बेंच की वर्तमान संरचना को देखना न्यायालय का काम नहीं है। यह केवल चीफ जस्टिस का अधिकार है कि वे बेंच का गठन करें या मामले का स्थान तय करें। अगर किसी जज ने ट्रांसफर का आदेश दिया भी है, तो रजिस्ट्री उसे तब तक लागू नहीं करेगी जब तक चीफ जस्टिस उपयुक्त आदेश जारी न करे।

डिवीजन बेंच ने कहा, सामान्य नियम जो जमानत याचिकाओं को उसी बेंच के समक्ष सूचीबद्ध करने का आदेश देता है, उसे रोस्टर बदलने की स्थिति में शिथिल किया जा सकता है। इस आदेश में जमानत याचिकाओं में होने वाली देरी को ध्यान में रखा गया।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि यह आदेश किसी जज के अधिकार को प्रभावित नहीं करता कि वे जमानत याचिकाओं को पहले जज को भेज सकें, बशर्ते चीफ जस्टिस की मंजूरी प्राप्त हो।

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