New Labor Code Explainer: नए लेबर कोड लागू, पढ़ें आपकी सैलरी, छुट्टियां, ओवरटाइम और जॉब सिक्योरिटी पर क्या-क्या बदल गया?

New Labor Code Explainer: केंद्र सरकार ने 21 नवंबर से नए लेबर कोड लागू कर दिए हैं। जानें कैसे बदलेंगे आपकी सैलरी, छुट्टी, ओवरटाइम, PF-ग्रेच्युटी, गिग वर्कर्स की सोशल सिक्योरिटी और नौकरी से जुड़े नियम।

Update: 2025-11-23 17:34 GMT

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने 29 पुराने लेबर कानूनों को मिलाकर चार नई श्रम संहिताएँ बना दी हैं, जो 21 नवंबर से पूरे देश में लागू हो गई हैं। इनमें वेतन संहिता 2019, औद्योगिक संबंध संहिता 2020, सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020, और व्यावसायिक सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्य स्थिति संहिता 2020 शामिल हैं। यह सुधार भारत के श्रम ढांचे को मॉडर्न बनाने और हर तरह के कर्मचारियों- फुल-टाइम, पार्ट-टाइम, कॉन्ट्रैक्ट, गिग और डिजिटल प्लेटफॉर्म वर्कर्स को एक समान सुरक्षा देने के लिए लाए गए हैं। इसका सीधा असर आपकी सैलरी, छुट्टियों, ओवरटाइम, जॉब सिक्योरिटी और सोशल बेनिफिट्स पर पड़ेगा।

आपकी सैलरी और PF-ग्रेच्युटी पर क्या असर पड़ेगा?
नए नियम के तहत बेसिक पे को आपकी कुल सैलरी का कम से कम 50% रखना अनिवार्य है। इससे कई कर्मचारियों की टेक-होम सैलरी थोड़ी कम हो सकती है, क्योंकि PF और ग्रेच्युटी में योगदान बढ़ जाएगा। लेकिन लंबी अवधि में आपका रिटायरमेंट फंड और सुरक्षा पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी। कंपनियों को सैलरी स्ट्रक्चर को नए कोड के हिसाब से रीडिज़ाइन करना पड़ेगा।
मिनिमम मजदूरी का नया नियम
अब हर कर्मचारी को चाहे वह संगठित क्षेत्र में हो या असंगठित में राष्ट्रीय न्यूनतम मजदूरी का कानूनी अधिकार होगा। इसका मतलब है कि कोई भी नौकरी आपको तय न्यूनतम वेतन से कम नहीं दे सकेगी।
गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को पहली बार कानूनी सुरक्षा
स्विगी, जोमैटो, उबर, ओला जैसी प्लेटफॉर्म कंपनियों के वर्कर्स को अब सोशल सिक्योरिटी मिलेगी। एग्रीगेटर्स को अपने सालाना टर्नओवर का कुछ प्रतिशत लाइफ कवर, हेल्थ बेनिफिट्स और डिसेबिलिटी कवर वाले फंड में देना अनिवार्य होगा। यह कदम भारत की तेजी से बढ़ती गिग इकॉनमी के लिए गेम-चेंजर है।
नौकरी की शर्तें: ग्रेच्युटी, अपॉइंटमेंट लेटर और सैलरी टाइमिंग
निश्चित अवधि वाले कर्मचारियों के लिए ग्रेच्युटी की पात्रता पाँच साल से घटाकर सिर्फ एक साल कर दी गई है। हर वर्कर चाहे वह फुल-टाइम हो या गिग को अब नियुक्ति पत्र देना अनिवार्य है, जिससे जॉब सिक्योरिटी बढ़ेगी। कंपनियों को महीने की सैलरी सात दिनों के भीतर देनी होगी, जबकि इस्तीफा/टर्मिनेशन के बाद दो वर्किंग डेज में भुगतान करना पड़ेगा।
ओवरटाइम, छुट्टियां और हेल्थ-चेकअप
अगर आप नॉर्मल वर्किंग आवर्स से ज्यादा काम करते हैं तो आपको कम से कम दोगुना ओवरटाइम वेतन मिलेगा। छुट्टी के लिए पात्रता को 240 दिनों से घटाकर 180 दिन कर दिया गया है, जिससे नए कर्मचारियों को जल्दी लाभ मिलेगा। 40 साल से ज्यादा उम्र के सभी कर्मचारियों के लिए वार्षिक फ्री हेल्थ चेकअप अनिवार्य कर दिया गया है।
वर्क फ्रॉम होम और यात्रा दुर्घटना कवर
सर्विस सेक्टर में आपसी सहमति से वर्क फ्रॉम होम की व्यवस्था को कानूनी मान्यता मिल गई है जिससे लचीलापन बढ़ेगा। ऑफिस आने-जाने के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं को अब नौकरी से जुड़ा माना जाएगा और कर्मचारियों को मुआवजा मिलेगा।
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