कॉलेज प्राचार्य के निलंबन के लिए हाथ तक जोड़ गए विधायक.. क़रीब बारह मिनट तक दोहराते रहे निलंबित करिए.. मंत्री उमेश पटेल की दो टूक – “ न्यायालय का आदेश मानना अनिवार्य है.. जाँच समिति बनी है.. उसका निष्कर्ष आने दीजिए”

Update: 2021-03-03 04:14 GMT

रायपुर,3 मार्च 2021। विधानसभा में अनूठा नजारा नुमाया हुआ जबकि मनेंद्रगढ़ विधायक विनय जायसवाल और भरतपुर सोनहत विधायक गुलाब कमरो चिरमिरी कॉलेज की प्रिंसिपल आरती तिवारी को निलंबित करने के लिए मंत्री से माँग कर रहे थे और इस दौरान विधायक गुलाब कमरो ने हाथ तक जोड़ लिए।लेकिन मंत्री उमेश पटेल ने हाईकोर्ट के पूर्व आदेश का हवाला देते हुए असमर्थता जता दिया।
प्रश्नकाल के दौरान विधायक द्वय विनय जायसवाल ने मनेंद्रगढ़ विधानसभा में कॉलेजों में स्वीकृत पद तथा रिक्त पदों की जानकारी और प्राचार्य की पदस्थापना को लेकर जानकारी माँगी थी, मंत्री उमेश पटेल के द्वारा इस संबंध में लिखित जवाब के बाद चिरमिरी की प्रिंसिपल का विषय विधायक विनय जायसवाल ने उठाया। विधायक विनय जायसवाल ने सदन में कहा
“वहाँ प्रिंसिपल है आरती तिवारी.. उनके ख़िलाफ़ ढेरों शिकायतें हैं, एक बार पीएससी की परीक्षा का सेंटर था कॉलेज में, तो ताला बंद कर के सो रही थीं.. तब निलंबित हुई थी.. उन पर भ्रष्टाचार के भी आरोप हैं..उन पर कार्यवाही होनी चाहिए..
तब विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने कहा
“क्या कार्यवाही चाहते हैं आप..बताईए”
इस पर विधायक विनय जायसवाल ने कहा
“उनका निलंबन होना चाहिए.. निलंबन की कार्यवाही करें”
विधायक विनय जायसवाल को सदस्य गुलाब कमरो का साथ मिला, विधायक गुलाब कमरो ने हाथ जोड़ते हुए कहा
“हम लोग उस क्षेत्र के विधायक हैं..बहुत दिक़्क़त है.. निलंबन करिए”
इस पर विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने मुस्कुराते हुए पूछा –
“ये जो हैं वे जानती हैं कि आप विधायक है या नहीं जानती”
इस पर मंत्री उमेश पटेल ने कहा –
“जो विषय आप बता रहे हैं उस पर न्यायालय का आदेश है और न्यायालय का वह आदेश अनिवार्य रुप से मानना बाध्यकारी है.. हम निलंबन नहीं कर सकते.. बाक़ी उन पर जो आरोप है उस पर जाँच कमेटी का गठन किया जा चुका है”
मंत्री उमेश पटेल के इस जवाब के बाद सदस्य शिवरतन शर्मा ने चुटकी ली –
“देखिए सरकार के पास तो कई तरीक़े हैं सस्पेंड करना है तो.. एक में न्यायालय का आदेश है तो किसी दूसरे में कर दीजिए”
इसी के साथ वरिष्ठ सदस्य धर्मजीत सिंह ने कहा –
“भ्रष्टाचार का आरोप है भी तो बहुत छोटी मात्रा है.. यहाँ तो बड़े बड़ों को कुछ नहीं होता.. जाने दीजिए”

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