महिला शिक्षक का बड़ा फर्जीवाड़ा: 20 साल नौकरी से गायब रहीं, दो फर्जी मेडिकल सर्टिफिकेट पेश करने पर FIR दर्ज, डॉक्टर पर भी गिरेगी गाज
Rewa teacher fraud: रीवा में महिला शिक्षक अर्चना आर्या पर 20 साल नौकरी से गायब रहने और फर्जी प्रमाणपत्र पेश करने का मामला दर्ज। हाई कोर्ट ने कहा– स्पष्ट फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी।
Rewa teacher fraud: रीवा। रीवा। मध्य प्रदेश के रीवा जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां एक महिला शिक्षक 20 साल तक नौकरी से गायब रहीं और फिर फर्जी मेडिकल प्रमाण पत्रों के सहारे नौकरी में वापसी की कोशिश की। लेकिन जब मामला हाई कोर्ट पहुंचा, तो सारा खेल उजागर हो गया।
कोर्ट ने शिक्षिका पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा कि यह स्पष्ट धोखाधड़ी और दस्तावेजी फर्जीवाड़ा का मामला है। रीवा पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
2001 में नियुक्ति, 2002 से लगातार गैरहाजिर
जानकारी के अनुसार, रीवा निवासी अर्चना आर्या की नियुक्ति वर्ष 2001 में शिक्षा कर्मी वर्ग-तीन के पद पर हुई थी। लेकिन नियुक्ति के महज एक साल बाद, 2002 से उन्होंने नौकरी छोड़ दी और लगातार अनुपस्थित रहीं।
वर्ष 2006 में अर्चना ने विभाग में अनफिट (बीमारी) प्रमाण पत्र पेश किया, फिर 2017 में फिटनेस प्रमाण पत्र लगाकर पुनः सेवा में लौटने की मांग की। विभाग ने इस पर संदेह जताया और आवेदन खारिज कर दिया, जिसके बाद वह जबलपुर हाई कोर्ट पहुंचीं।
कोर्ट में खुला फर्जीवाड़ा का मामला
न्यायमूर्ति विवेक जैन की एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि दोनों प्रमाण पत्रों 2006 के अनफिट और 2017 के फिटनेस सर्टिफिकेट पर रीवा मेडिकल कॉलेज के मनोरोग विभागाध्यक्ष (HOD) डॉ. प्रदीप कुमार के हस्ताक्षर थे। कोर्ट ने पूछा क्या एक व्यक्ति 11 साल तक एचओडी बना रह सकता है?
जब कॉलेज के डीन डॉ. सुनील अग्रवाल से जवाब मांगा गया, तो उन्होंने बताया कि मनोरोग विभाग की स्थापना ही वर्ष 2009 में हुई थी, अर्थात 2006 में विभाग और हस्ताक्षर दोनों अस्तित्व में नहीं थे।
कोर्ट ने दिए एफआईआर दर्ज करने के आदेश
कोर्ट ने मामले को स्पष्ट आपराधिक कृत्य बताते हुए रीवा एसपी को 15 दिनों में रिपोर्ट पेश करने और फर्जी हस्ताक्षर करने वालों पर आपराधिक कार्रवाई करने का निर्देश दिया। 7 अक्टूबर को जारी इस आदेश के बाद, गुरुवार रात पुलिस ने अर्चना आर्या के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। अब पुलिस उन लोगों की भी जांच कर रही है, जिन्होंने इस फर्जीवाड़े में सहयोग किया।
एसपी शैलेंद्र सिंह ने मीडिया को बताया कि, जांच में जिन डॉक्टर या अन्य व्यक्तियों की भूमिका सामने आएगी, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। साक्ष्य एकत्र किए जा रहे हैं।